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₹7 लाख करोड़ का ट्रेड, $22 अरब का निवेश; भारत-UAE की दोस्ती की कहानी

भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच कई सालों में काफी नजदीकियां बढ़ी हैं। प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद यह दोस्ती और गहरी हुई है। ऐसे में जानते हैं कि दोनों के बीच किस तरह के रिश्ते हैं?

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पीएम मोदी और UAE के क्राउन प्रिंस हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मक्तूम। (Photo Credit: X@HamdanMohammed)

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के क्राउन प्रिंस हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मक्तूम भारत आ गए हैं। अल मक्तूम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलावे पर भारत आए हैं। अल मक्तूम 8 और 9 अप्रैल को भारत में रहेंगे। दुबई के क्राउन प्रिंस होने के साथ-साथ अल मक्तूम UAE के उप-प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री भी हैं। 


अपनी दो दिन की यात्रा में दुबई के क्राउन प्रिंस अल मक्तूम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। दो दिन की यात्रा के दौरान अल मक्तूम कई राजनेताओं और कारोबारियों से भी मुलाकात करेंगे। दिल्ली के अलावा अल मक्तूम मुंबई भी जाएंगे, जहां भारतीय और UAE के कारोबारियों के बीच होने वाली राउंडटेबल में हिस्सा लेंगे।


अल मक्तूम की यह यात्रा इसलिए भी खास है, क्योंकि क्राउन प्रिंस बनने के बाद यह उनका यह भारत का पहला दौरा है। 

 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद भारत और UAE के बीच नजदीकियां काफी बढ़ी हैं। 2017 के गणतंत्र दिवस के समारोह में UAE के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद को चीफ गेस्ट के तौर पर आमंत्रित किया गया था। इससे पहले 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी UAE का दौरा किया था। 34 साल में यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला UAE दौरा था।

 

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दशकों पुराने हैं भारत-UAE के रिश्ते

भारत और UAE के बीच दशकों पुराने रिश्ते हैं। भारत और UAE के बीच 1972 में राजनयिक संबंध बन गए थे। उसी साल UAE ने भारत में अपना दूतावास खोल लिया था। अगले साल 1973 में भारत ने भी UAE में अपना दूतावास खोला। 


इसके बाद ही दोनों देशों के बीच कारोबारी रिश्ते भी बन गए थे। 80 के दशक में जब तेल के मध्य पूर्व में तेल का कारोबार बढ़ा तो UAE में भारतीयों की संख्या भी तेजी से बढ़ने लगी। 


भारत और UAE के बीच कितने अच्छे संबंध हैं, इसे इसे बात से समझा जा सकता है कि वहां की अदालतों में इस्तेमाल होने वाली भाषाओं में हिंदी तीसरी आधिकारिक भाषा है।

भारत और UAE: क्यों एक-दूसरे के लिए जरूरी?

  • भारत के लिएः मोदी सरकार ने 2027 तक भारत की जीडीपी को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए भारत को अपना निर्यात बढ़ाने की जरूरत है। ऐसे में UAE बहुत मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि भारत के उसके साथ अच्छे कारोबारी संबंध हैं।
  • UAE के लिए: बाकी खाड़ी देशों की तरह ही अब UAE भी अपनी अर्थव्यवस्था में तेल की निर्भरता कम करना चाहता है। इसके लिए उसकी भारत की जरूरत है। UAE के लिए भारत एक बड़ा बाजार है, जहां वह निवेश कर सकता है और अपनी अर्थव्यवस्था से तेल की निर्भरता कम कर सकता है।

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दोनों के बीच कितना है कारोबार?

भारत और UAE के बीच हर साल लाखों करोड़ रुपये का कारोबार होता है। UAE, भारत का तीसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझीदारी है। जबकि, UAE के लिए भारत दूसरा बड़ा साझीदार है। जनवरी 2017 में जब UAE के राष्ट्रपति भारत आए थे, तब दोनों देशों के बीच अगले पांच साल में कारोबार को 60 फीसदी बढ़ाने पर सहमति बनी थी।


कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, 2024-25 के शुरुआती 9 महीनों यानी अप्रैल से दिसंबर के बीच ही दोनों के बीच 6.10 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हो चुका है। इसमें से 2.26 लाख करोड़ का एक्सपोर्ट और 3.84 लाख करोड़ का इम्पोर्ट है। इससे पहले 2024-25 में दोनों के बीच 6.94 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। 


आंकड़ों से पता चलता है कि 2017-18 में भारत और UAE के बीच 3.22 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। इस हिसाब से 2017-18 से लेकर 2023-24 तक दोनों के बीच होने वाला कारोबार 115 फीसदी बढ़ गया है।


विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत से UAE को पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, अनाज, शक्कर, फल-सब्जी, चाय, टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग और मशीनरी प्रोडक्ट्स और केमिकल्स का एक्सपोर्ट होता है। दूसरी ओर, UAE से भारत को सबसे ज्यादा पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, मेटल, कीमती पत्थर, ज्वेलरी, मिनरल, केमिकल और लकड़ी से बना सामान मिलता है।

 

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निवेश कितना कर चुके हैं?

भारत और UAE के बीच निवेश भी काफी होता है। UAE में स्थित भारतीय दूतावास की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 के बीच UAE ने भारत में 22 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। भारतीय करंसी में यह रकम करीब 1.90 लाख करोड़ रुपये बैठती है।


भारत में निवेश करने वाला UAE सातवां सबसे बड़ा निवेशक है। भारत के रियल एस्टेट, इन्फ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी, प्राइवेट कंपनियों और फाइनेंशियल सर्विसेस में UAE ने सबसे ज्यादा निवेश कर रखा है। UAE भारत के गुजरात में GIFT सिटी भी बना रहा है।


हालांकि, भारत ने UAE में कितना निवेश किया है, इसके आधिकारिक आंकड़े मौजूद नहीं हैं। मगर कई भारतीय कंपनियों ने वहां पर मैनुफैक्चरिंग यूनिट्स बनाई हैं। इसके अलावा कई भारतीय कंपनियों ने UAE में टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी, कैटरिंग, हेल्थकेयर, रिटेल और एजुकेशन सेक्टर में निवेश किया है। UAE में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियों में ताज ग्रुप, BITS पिलानी, जी एंटरटेन्मेंट, अशोक लेलैंड, महिंद्रा और डाबर शामिल हैं। इनके अलावा L&T, ESSAR, पुंज लॉयड और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड ने भी UAE की कई कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट भी किए हैं।

UAE से भी खूब पैसा आता है

UAE में भारतीयों की भी अच्छी खासी तादाद है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, UAE में करीब 35 लाख भारतीय रहते हैं, जो उसकी कुल आबादी का 35% है। 


UAE में भारतीय न सिर्फ ब्लू कॉलर जॉब्स करते हैं, बल्कि ऊंचे ओहदों पर भी हैं। वहां काम करने वाले भारतीयों से हर साल अरबों डॉलर भारत आता है। विदेश में काम करने वाले भारतीयों से जितना भी पैसा भारत आता है, उसमें UAE दूसरा सबसे बड़ा देश है। 


हालांकि, कुछ सालों में UAE की हिस्सेदारी थोड़ी कम जरूरी हुई है। 2016-17 में विदेश से भारतीयों ने जितना पैसा भेजा था, उसमें से 27 फीसदी UAE से आया था। 2023-24 में यह घटकर 19.2 फीसदी हो गया। अब इस मामले में अमेरिका पहले नंबर पर हो गया है। 

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