logo

ट्रेंडिंग:

नौकरी का लालच, काम साइबर क्राइम का; विदेश से बचाए गए 2,471 भारतीय

केंद्र सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी 2022 से मई 2025 के बीच 2,471 भारतीयों को साउथ एशियाई देशों से बचाया गया है। ये वे भारतीय हैं जो यहां जाकर साइबर धोखाधड़ी जैसे क्राइम में फंस गए हैं।

cyber crime

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

साउथ एशियाई देशों में नौकरी के लालच जाकर फंसे कितने भारतीयों को बचाया गया है? इसका आंकड़ा केंद्र सरकार ने दे दिया है। केंद्र सरकार ने बताया है कि 2022 से मई 2025 के बीच साउथ एशियाई देशों से 2,471 भारतीयों का रेस्क्यू कर सुरक्षित वापस लाया गया है। यह वे भारतीय हैं, जिन्हें नौकरी का लालच देकर ले जा जाया गया और फिर वहां साइबर क्राइम और धोखाधड़ी करने को मजबूर किया गया था। जिन भारतीयों को रेस्क्यू किया गया है, उनमें से 273 तमिलनाडु, 247 उत्तर प्रदेश, 224 महाराष्ट्र, 196 केरल और 151 जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं।

 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 1 जनवरी 2022 से 31 जनवरी 2025 तक थाईलैंड, कंबोडिया, म्यांमार और वियतनाम जाने वाले 22,145 भारतीय अभी वापस नहीं लौटे हैं।

 

गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के आंकड़ों के अनुसार, साउथ एशियाई देशों में इन ठगी करने वाले गिरोहों में 20 हजार से ज्यादा भारतीयों के काम करने की आशंका है, जहां से वे भारतीयों और दूसरे देशों के नागरिकों को निशाना बना रहे हैं।

 

यह भी पढ़ें-- संसद का मॉनसून सत्रः वे मुद्दे जिन पर आमने-सामने होंगे सरकार-विपक्ष

किस देश से कितने लोगों को बचाया गया?

जनवरी 2022 से मई 2025 के बीच जितने भारतीयों का रेस्क्यू किया गया है, उनमें से 1,089 भारतीय लाओस से, 800 कंबोडिया से और 582 म्यांमार से लौटे हैं।

 

रिपोर्ट के मुताबिक, लाओस से लाए गए 1,089 भारतीयों में से 145 तमिलनाडु, 129 महाराष्ट्र, 96 जम्मू-कश्मीर, 79 उत्तर प्रदेश और 69 केरल के रहने वाले हैं। वहीं, जिन 800 भारतीयों को कंबोडिया से लाया गया है, उनमें 116 केरल, 103 यूपी, 95 तमिलनाडु और 71-71 आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। वहीं, म्यांमार से बचाए गए 582 भारतीयों में से 65 यूपी, 61 महाराष्ट्र, 57 गुजरात, 48 पंजाब और 34 कर्नाटक से हैं।

 

एक अधिकारी ने बताया कि साउथ एशियाई देशों में काम कर रहे ये भारतीय साइबर धोखाधड़ी में शामिल हैं। ऐसे अपराधों से देश को हर महीने लगभग एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

 

यह भी पढ़ें-- संसद में जस्टिस वर्मा के खिलाफ चलेगा महाभियोग? 100 MP ने किए हस्ताक्षर

22,145 भारतीय अभी भी इन देशों में

1 जनवरी 2022 से 31 जनवरी 2025 के बीच म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस और वियतनाम में विजिटर वीजा पर गए 22,145 भारतीय 1 मार्च तक वापस नहीं लौटे हैं।

 

एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 22,145 भारतीयों में से थाईलैंड में 15,828, वियतनाम में 3,566, कंबोडिया में 2,121, म्यांमार में 387 और लाओस में 243 भारतीय हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 3,358 लोग पंजाब से हैं। उत्तर प्रदेश से 2,581, तमिलनाडु से 2,441, केरल से 1,978, महाराष्ट्र से 1,857, हरियाणा से 1,477, दिल्ली से 1,058, गुजरात से 973, कर्नाटक से 876 और राजस्थान से 740 भारतीय गए हैं।

 

बताया जा रहा है कि इन भारतीयों को नौकरी का लालच दिया गया और यहां लाकर उन्हें साइबर क्राइम और धोखाधड़ी जैसे अपराध करने के लिए मजबूर किया गया। अधिकारियों ने बताया कि 22,145 भारतीयों में से 7,811 की उम्र 20 से 29 साल के बीच है। वहीं 6,682 भारतीय ऐसे हैं जिनकी उम्र 30 से 39 साल है। 40 से 49 साल की उम्र के 3,204 और 50 से 59 साल की उम्र के 1,631 भारतीय हैं।

 

यह भी पढ़ें-- ऑपरेशन सिंदूर, SIR... सर्वदलीय बैठक के बाद बाहर आए नेताओं ने क्या कहा?

नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी में 178 FIR दर्ज

गृह मंत्रालय के निर्देश पर कई केंद्रीय एजेंसियों और पुलिस ने नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी, ठगी और अन्य आरोपों में 178 FIR दर्ज की हैं। इनमें 224 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एक जांच से पता चला है कि साउथ एशियाई देशों में तीन तरह के साइबर अपराध हो रहे हैं। पहला- स्टॉक ट्रेडिंग या निवेश स्कैम। दूसरा- डिजिटल अरेस्ट। और तीसरा- इन्वेस्टमेंट करने के नाम पर ठगी।

 

Related Topic:#Cyber Crime

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap