इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर लागू होने के बाद गुरुवार को पहली बार ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनई का बयान सामने आया है। उन्होंने न केवल ईरान की जीत का दावा किया बल्कि यह भी कहा कि हमारे देश ने अमेरिका के मुंह पर तमाचा मारा है। 19 जून के बाद पहली बार ईरान के सरकारी टेलीविजन पर आयतुल्लाह अली खामेनई का भाषण प्रसारित किया गया। अली खामेनई ने युद्ध में अमेरिकी दखल की वजह बताई। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका को लगता था कि अगर उसने युद्ध में दखल नहीं दिया तो जायोनी शासन (इजरायल) पूरी तरह से तबाह हो जाएगा। सिर्फ इसी कारण से अमेरिका ने जंग में दखल दी। मगर अमेरिका को इस युद्ध से कोई लाभ नहीं मिला।
23 जून को ईरान ने कतर स्थित अमेरिकी बेस पर छह मिसाइलों से हमला किया था। अपने भाषण में अली खामेनई ने इसका भी जिक्र किया और कहा, 'इस्लामिक गणराज्य की जीत हुई है और जवाबी एक्शन से अमेरिका के मुंह पर तमाचा मारा।' आपको बता दें कि अमेरिकी बेस पर ईरानी हमले से कोई नुकसान नहीं हुआ है। हमले के महज तीन घंटे बाद ही डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर का एलान कर दिया था। जवाब में ईरान ने कहा कि अगर इजरायल कोई हमला नहीं करता है तो ईरान भी ऐसा ही करेगा। तीन दिनों से ईरान और इजरायल के आसमानों में शांति देखने को मिल रही है।
'इजरायल-अमेरिका पर जीत मुबारक हो'
आयतुल्लाह अली खामेनई ने अपने संबोधन में कहा, 'जाली जायोनिस्ट रेजीम पर फतह की मुबारकबाद पेश करता हूं। इस्लामिक रिपब्लिक ने अमेरिका के मुंह पर जोरदार तमाचा जड़ा है। उसने इस इलाके में अमेरिका के अहम एयरबेस अल-उदैद पर हमला बोला और उसे नुकसान पहुंचाया है। अमेरिकी सरकार पर भी हमारे प्यारे वतन ईरान की फतह मुबारक हो। अमेरिकी सरकार सीधे जंग में कूद पड़ी, क्योंकि उसे डर था कि अगर वह हस्तक्षेप नहीं करेगी तो जायोनिस्ट रेजीम मिट जाएगी। वह बचाने आई, लेकिन उसे भी कोई सफलता हासिल नहीं हुई।'
भारी कीमत चुकानी पडे़गी: खामेनई
खामेनई ने आगे कहा, 'यह बहुत बड़ी बात है कि इस्लामिक रिपब्लिक ईरान को इस इलाके में अमेरिका के अहम केंद्रों तक पहुंच हासिल है और वह जरूरत पड़ने पर कार्रवाई कर सकता है। आइंदा भी यह कदम दोहराया जा सकता है। अगर कोई उकसावे की कार्रवाई हुई तो दुश्मन को निश्चित तौर पर भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।'
ट्रंप को भी सुना दिया
ईरान के सर्वोच्च नेता ने कहा, 'इतने शोर-शराब और बड़े-बड़े दावों के बावजूद जायोनिस्ट रेजीम इस्लामी जम्हूरिया ईरान के हमलों से लगभग धराशायी हो गई और उसे कुचल कर रख दिया गया। अमरीकी राष्ट्रपति ने ईरान को हथियार डाल देने को कहा। बेशक यह बात अमरीकी राष्ट्रपति की औकात से बड़ी है।'
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12 दिन चला इजरायल-ईरान संघर्ष
13 जून को पहली बार इजरायल ने ईरान के खिलाफ भीषण सैन्य कार्रवाई शुरू की। उसने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर बमबारी की। ईरान के अंदर लगभग 14 परमाणु वैज्ञानिक और दर्जनों आईआरजीसी के अधिकारियों को मौत के घाट उतारा। जवाब में ईरान ने 550 बैलिस्टिक और 1000 ड्रोन से इजरायल पर हमला किया। इन हमलों में इजरायल के 28 नागरिकों की जान गई और लगभग 3000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। ईरान में इजरायली हमलों में 639 की मौत हुई और लगभग 1300 लोग घायल हैं।
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22 जून को अमेरिका ने की थी बमबारी
22 जून की तड़के अमेरिकी बी-2 विमानों ने ईरान के तीन परमाणु संयंत्रों पर हमला किया। यह पहली बार था कि जब अमेरिका ने अपने सबसे बड़े बंकर बस्टर बमों को ईरान पर दागा। अभी तक यह पता नहीं चल पाया कि अमेरिकी हमले में ईरान के परमाणु संयंत्रों को कितना नुकसान पहुंचा है। अमेरिकी खुफिया विभाग की लीक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि परमाणु संयंत्रों के भीतर कुछ नुकसान नहीं हुआ है, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि परमाणु संयंत्र पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं।