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एक परमाणु युद्ध और 20 हजार साल पीछे हो जाएगी दुनिया, समझिए कैसे

इजरायल और ईरान के बीच हालात बिगड़ते जा रहे हैं। पिछले चार दिन से दोनों एक-दूसरे पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर रहे हैं। इस बीच परमाणु जंग का खतरा भी बढ़ गया है। ऐसे में जानते हैं कि परमाणु जंग हुई तो कितनी तबाही मचेगी?

nuclear war

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

'हम अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।' इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जब यह बात कही तो उन्होंने यह भी कहा कि 'सोचिए अगर ईरान के पास इजरायली शहरों पर गिराने के लिए परमाणु बम होते तो क्या होता? अगर ईरान के पास 20 हजार मिसाइलें होतीं तो क्या होता? यह इजरायल के लिए अस्तित्व का खतरा है। इसलिए हमने बचाव में युद्ध शुरू किया है और हम पूरी ताकत से लड़ रहे हैं।'


बेंजामिन नेतन्याहू की इन बातों से साफ हो गया है कि इजरायल अब ईरान के न्यूक्लियर प्लांट को तबाह करके ही मानेगा। इजरायल ने जब 13 जून को 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' लॉन्च कर हमला किया तो नेतन्याहू ने कहा था, 'अगर इसे अभी नहीं रोका गया तो ईरान बहुत जल्द ही परमाणु हथियार बना लेगा।'


अभी मध्य पूर्व में एकमात्र न्यूक्लियर पावर इजरायल ही है। इजरायल के पास करीब 90 परमाणु हथियार हैं। परमाणु कार्यक्रम पर नजर रखने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एसोसिएशन (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने पिछले साल BBC को दिए इंटरव्यू में कहा था कि परमाणु हथियार बनाने से ईरान अब बस कुछ कदम ही दूर है।

 

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ईरान के परमाणु प्रोग्राम से दिक्कत क्या?

13 जून को ईरान पर हमले के बाद नेतन्याहू ने कहा था, 'हमने बहुत ही कामयाब हमलों से शुरुआत की है। हम आगे भी बहुत कुछ हासिल करने जा रहे हैं। हमने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमला किया है। हमने ईरान के अहम ठिकाने नतांज को निशाना बनाया है। हमने ईरानी बम पर काम करने वाले वैज्ञानिकों को निशाना बनाया है। हमने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर हमला किया है।'


इजरायल ने जब पहले दिन हमला किया था, तब उसने ईरान के सबसे अहम न्यूक्लियर प्लांट नतांज को निशाना बनाया था। ईरानी मीडिया ने बताया था कि हमले के बाद यहां से काला धुआं उठता हुआ दिखाई दे रहा था। इतना ही नहीं, तेहरान से लगभग 100 किलोमीटर दूर फोर्दो में भी इजरायल ने न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला किया था।

 


ईरान कई दशकों से परमाणु कार्यक्रम पर काम कर रहा है। ईरान अपने इस न्यूक्लियर प्रोग्राम को शांतिपूर्ण बताता है। मगर अमेरिका और इजरायल का मानना है कि ईरान का न्यूक्लियर पावर बनना खतरनाक हो सकता है।


ईरान को न्यूक्लियर पावर बनने से रोकने के लिए अमेरिका ने कई सख्त प्रतिबंध लगाए थे। इसके बावजूद ईरान परमाणु कार्यक्रम पर आगे बढ़ता रहा। हालांकि, 2015 में अमेरिका समेत पश्चिमी मुल्कों के साथ एक ईरान ने परमाणु समझौता किया। इसने ईरान पर लगे प्रतिबंधों को कम कर दिया। हालांकि, 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते को तोड़ दिया था।


अमेरिका और इजरायल को डर है कि अगर ईरान परमाणु हथियार बना लेता है तो इससे सुरक्षा का खतरा बढ़ सकता है। मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान जानी दुश्मन माने जाते हैं। डर है कि अगर ईरान ने परमाणु बम बना लिया तो इजरायल पर हमला कर सकता है। इसके अलावा, मध्य पूर्व में अमेरिका के करीबी सऊदी अरब पर भी खतरा बढ़ सकता है।

 

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अगर इजरायल फेल हो गया तो?

इजरायल ने यह हमला ऐसे वक्त किया है, जब ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु डील को लेकर बात होने वाली थी। इस हमले के बाद यह बातचीत टल गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि ईरान अगर और तबाही से बचना चाहता है तो उसे जल्द से जल्द परमाणु समझौता कर लेना चाहिए।


बेंजामिन नेतन्याहू साफ कर चुके हैं कि उनका मकसद ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना है। इजरायल की सेना ईरान के न्यूक्लियर प्लांट पर जबरदस्त हमले कर रही है। इजरायल के हमलों में ईरान के टॉप जनरल और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हो चुकी है। 


मगर तब क्या होगा जब इजरायल अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाया तो? क्या हो अगर ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी ज्यादा गहराई तक बनी हो और सुरक्षित हो? 


ईरान के पास 60% शुद्धता वाला 400 किलो यूरेनियम है, अगर यह तबाह नहीं हुआ तो क्या होगा? पिछले साल IAEA के डायरेक्टर राफेल ग्रॉसी ने बताया था, 'ईरान अब 60% शुद्धता वाले यूरेनियम को स्टोर कर रहा है। यह परमाणु बम बनाने के लिए जरूरी शुद्धता (90%) से थोड़ा ही कम है।' अगर इजरायल अपने हमलों के बावजूद इस यूरेनियम को नष्ट नहीं कर पाया तो 400 किलो यूरेनियम से कम से कम 10 बम बन जाएंगे। 

 

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अगर परमाणु जंग छिड़ गई तो?

फिलहाल तो ईरान न्यूक्लियर पावर नहीं है इसलिए दोनों के बीच परमाणु जंग छिड़ने की गुंजाइश कम है। मगर फिर भी जंग में सबकुछ जायज है। इजरायल के पास 90 परमाणु हथियार हैं और अगर एक का भी इस्तेमाल होता है तो इतनी तबाही मचेगी, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।


अभी तक दुनिया ने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल सिर्फ एक बार ही देखा है और वह भी दूसरे विश्व युद्ध के समय। साल 1945 में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे। यह हमले इतने जोरदार थे कि इनसे चंद घंटों में ही लाखों मौत हो गई थी। उसके बाद भी सालों तक लोग मरते रहे थे। अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा और 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर परमाणु हमला किया था। 

 


परमाणु हथियारों के प्रतिबंध पर काम करने वाली स्वीडिश संस्था इंटरनेशनल कैंपेन टू अबॉलिश न्यूक्लियर वेपन (ICAN) के मुताबिक, 1945 के आखिर तक हिरोशिमा में 1.40 लाख और नागासाकी में 74 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। हिरोशिमा पर जो बम गिरा था, वह 15 हजार टन वजन का था। वहीं, नागासाकी पर बम गिरने के बाद 6.7 किलोमीटर के दायरे में रेडिएशन फैल गया था। इससे इतनी गर्मी निकली थी कि जमीन का तापमन 4 हजार डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।


ICAN का कहना है कि बड़े से बड़े परमाणु बम को गिरने में 10 सेकंड का वक्त लगता है लेकिन इसका असल दशकों तक रहता है। बम गिरने के बाद अगले कई दशकों तक लोग ल्यूकैमिया और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों से जूझते रहे थे। लाखों लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी।

 

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कितनी भयंकर तबाही मचाएगा परमाणु बम?

अगर आज के समय में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होता है तो करोड़ों लोगों की मौत हो जाएगी। ICAN के मुताबिक, एक परमाणु बम पूरा शहर तबाह कर देगा। अगर आज के समय में कई सारे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होता है तो करोड़ों लोग मारे जाएंगे। 


अगर अमेरिका और रूस के बीच बड़ा परमाणु युद्ध छिड़ जाए तो कुछ ही घंटों में 3.4 करोड़ मौतें हो जाएंगी। वहीं, 5.74 करोड़ लोग बुरी तरह झुलस जाएंगे। इंटरनेशनल फीजिशियल फॉर द प्रिवेंशन ऑफ न्यूक्लियर वॉर (IPPNW) की 2022 की स्टडी बताती है कि अमेरिका और रूस के बीच परमाणु युद्ध होने पर दो साल में 5 अरब लोगों की मौत हो जाएगी।


ICAN का कहना है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच एक छोटा परमाणु युद्ध भी हो गया तो इससे 1 अरब लोगों पर भुखमरी का संकट आ जाएगा। इनके अलावा 1.3 अरब लोग ऐसे होंगे, जिनके सामने खाने का संकट खड़ा हो जाएगा। IPPNW ने अनुमान लगाया था कि अगर 15 टन वजनी बम मुंबई पर गिरता है तो इससे 8.66 लाख लोगों की मौत हो सकती है। वहीं, अगर हिरोशिमा जितना बड़ा बम गिरा तो 86 लाख से ज्यादा लोग मारे जा सकते हैं।

 

 

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पूरा सिस्टम ही बिगड़ जाएगा!

परमाणु हमला चाहे कहीं भी या किसी के भी बीच हो, इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। अगर पूरी दुनिया में परमाणु युद्ध होता है तो फिर तो पृथ्वी का पूरा सिस्टम ही बिगड़ जाएगा। 


हिरोशिमा और नागासाकी पर जो परमाणु बम गिरा था, आज के समय में इससे भी कई टन ज्यादा वजनी बम हैं। परमाणु जंग के क्लाइमेट पर असर को लेकर पिछले साल ICAN की एक स्टडी आई थी। इस स्टडी में बताया था कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध होता है तो इससे 2.7 करोड़ टन धुआं निकलेगा, जिससे सतह का तापमान 4 डिग्री सेल्यियस तक पहुंच जाएगा। यह इतना ठंडा होगा, जितना आज से 20 हजार साल पहले हिम युग में था। हिम युग में सतह का तापमान 3 से 8 डिग्री सेल्सियस तक था।


ICAN ने अपनी स्टडी में बताया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध होने पर ग्लोबल रेनफॉल में 40% की कमी आ जाएगी। वहीं, आसमान में इतना धुआं जमा हो जाएगा कि कई सालों तक 30% इलाकों में सूरज की रोशनी तक नहीं पहुंचेगी। इससे खेती भी नहीं हो पाएगी, जिससे कुछ ही सालों में 2 अरब लोग भूख से मर जाएंगे।

 

 


वहीं, अगर अमेरिका और रूस जंग के दौरान अपने कम से कम 20% परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करते हैं तो इतना धुआं निकलेगा कि इससे पृथ्वी की सतह का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा हो जाएगा। यूरेशिया और नॉर्थ अमेरिका जैसे इलाकों में तो 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाएगा। इसका नतीजा यह होगा कि 8 अरब लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएंगे। लाखों प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी। कुल मिलाकर पृथ्वी का अंत ही हो जाएगा। 


परमाणु जंग का मतलब होगा कि इंसान खुद अपनी कब्र खोद लेगा। 9 सितंबर 2024 को नोबेल जीत चुके ऑस्ट्रेलिया के प्रोफेसर पीटर डोहर्टी ने कहा था, 'मुझे नहीं लगता कि कोई महामारी हमें खत्म करेगी। क्लाइमेट चेंज भी हमें धीरे-धीरे ही खत्म करेगा। हमारी विलुप्ति का एकमात्र रास्ता परमाणु युद्ध होगा।'

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