logo

ट्रेंडिंग:

‘क्रोम को बेच दो…’ अमेरिकी सरकार ने अदालत में क्यों दायर की याचिका

अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने गूगल को क्रोम बेचने के लिए अदालत में याचिका दायर की है। जानिए क्या है वजह?

Image of Google Chrome

सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Freepik)

अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट (न्याय विभाग) ने गूगल के खिलाफ अपनी मांग को और ज्यादा सख्त कर दिया है। सरकार चाहती है कि गूगल अपने वेब ब्राउजर क्रोम को बेच दे। यह कदम ट्रंप प्रशासन की बड़ी टेक कंपनियों पर सख्ती की नीति को आगे बढ़ा रहा है।

 

न्याय विभाग ने अदालत में एक याचिका दायर कर जज अमित पी. मेहता से आग्रह किया कि गूगल को अपने सर्च इंजन से जुड़े गलत व्यापार से जुड़े तरीकों को रोकने और क्रोम ब्राउजर को अलग करने का आदेश दिया जाए। सरकार का कहना है कि गूगल को क्रोम और उससे जुड़ी सभी जरूरी सेवाओं को एक नई कंपनी को बेचना होगा, जिसकी मंजूरी अदालत और न्याय विभाग देंगे।

 

यह भी पढ़ें: कैलिफोर्निया में सबसे बड़े मंदिर पर हमला, भारत बोला- सख्त एक्शन लें

क्या है न्याय विभाग की आपत्ति?

सरकार ने अपने बयान में कहा कि गूगल ने अपने अवैध व्यापार के तरीकों से मार्किट में प्रतिस्पर्धा को खत्म कर दिया है और बाजार में अपनी हुकूमत कायम रखी है। सरकार का दावा है कि गूगल ने यूजर्स और व्यवसायों के विकल्प को सीमित कर दिया है, जिससे लोग चाहकर भी किसी दूसरे सर्च इंजन को नहीं अपना सकते।

 

अगस्त 2024 में जज मेहता ने अपने ऐतिहासिक फैसले में पाया था कि गूगल ने वेब ब्राउजर और स्मार्टफोन निर्माताओं को भुगतान कर अपने सर्च इंजन को डिफॉल्ट रूप से सेट करने की व्यवस्था की थी। 2023 के मुकदमे के दौरान यह सामने आया कि गूगल ने 2021 में ही ऐसे समझौतों के लिए 26.3 बिलियन डॉलर खर्च किए गए थे। अदालत ने यह भी पाया कि अमेरिका में लगभग 70% सर्च क्वेरी ऐसी वेबसाइटों पर की जाती हैं, जहां गूगल डिफॉल्ट सर्च इंजन के तौर पर सेट होता है।

 

सरकार चाहती है कि गूगल ऐप्पल, मोजिला और स्मार्टफोन निर्माताओं के साथ किए गए भुगतान वाले समझौतों को बंद करे। साथ ही, न्याय विभाग यह भी चाहता है कि गूगल अपने प्रतिस्पर्धियों को सर्च रिजल्ट और डेटा तक पहुंचने की अनुमति दे, जिससे वे उचित प्रतिस्पर्धा कर सकें।

न्याय विभाग के प्रस्ताव में बदलाव

पहले न्याय विभाग यह चाहता था कि गूगल अपनी AI सर्विसेज को भी अलग कर दे। हालांकि, अब नए प्रस्ताव में यह मांग हटा दी गई है। सरकार ने अब केवल यह शर्त रखी है कि गूगल को किसी भी AI निवेश से पहले सरकार को सूचित करना होगा।

 

गूगल ने जज मेहता के फैसले को चुनौती देने की योजना बनाई है। गूगल का कहना है कि इस मामले में न्यूनतम बदलाव की आवश्यकता है। कंपनी ने प्रस्ताव दिया है कि उसे अपनी भुगतान पर डिफॉल्ट सर्च इंजन की व्यवस्था को जारी रखने की अनुमति दी जाए, लेकिन इस शर्त के साथ कि अन्य सर्च इंजन भी इसके साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।

 

यह भी पढ़ें: टैरिफ को लेकर PM मोदी और ट्रंप की होगी बात! विदेश सचिव ने क्या कहा?

गूगल का बचाव और आगे की कानूनी लड़ाई

गूगल के प्रवक्ता पीटर शॉटेनफेल्स ने बयान जारी कर कहा कि सरकार के प्रस्तावों से अमेरिकी यूजर्स, अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचेगा। कंपनी के मुख्य विधि अधिकारी केंट वॉकर ने इसे 'सरकार का अतिवादी हस्तक्षेप' करार दिया और कहा कि इससे इनोवेशन और साइबर सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।

 

इस मामले पर अप्रैल 2025 में अदालत में सुनवाई होनी है, जिसमें दोनों पक्ष अपने-अपने तर्क पेश करेंगे। हालांकि, गूगल पहले ही संकेत दे चुका है कि यदि अदालत का निर्णय उसके खिलाफ आता है, तो वह इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देगा। यह कानूनी लड़ाई वर्षों तक चल सकती है, जिससे गूगल के भविष्य और डिजिटल बाजार पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

Related Topic:#Google Chrome#Google

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap