रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड के सामने खालिस्तान समर्थकों पर कार्रवाई का मुद्दा उठाया। लगभग एक घंटे तक चली बैठक में राजनाथ सिंह ने तुलसी गबार्ड के सामने खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) और उसके मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू पर कार्रवाई करने कहा है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि SFJ को आतंकी संगठन घोषित किया जाए। इस दौरान उन्होंने SFJ और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के कथित संबंधों की जानकारी भी दी।
भारत ने 2019 में ही SFJ को आतंकी संगठन घोषित किया था। पन्नू को भी आतंकी घोषित कर रखा है। हालांकि, अमेरिका ने पन्नू या SFJ पर कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि, आए दिन पन्नू अमेरिकी सरजमीं से भारत विरोधी हरकतें करता है और आतंकवादी हमला करने की धमकी देता रहता है।
यह भी पढ़ें-- इजरायल को धमकी, अमेरिका से टक्कर; कितना ताकतवर है हूती?
मगर इससे होगा क्या?
हर मुल्क की एक अपनी लिस्ट होती है, जिनमें आतंकी संगठनों और आतंकियों को डाला जाता है। इस लिस्ट में किसी संगठन या व्यक्ति का नाम आने के बाद उसकी मुश्किलें बढ़ जाती हैं।
अमेरिका की सरकार किसी संगठन को फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन (FTO) तब मानती है, जब वो अमेरिकी सरजमीं पर आतंक मचा रहा हो या उसने ऐसा किया हो जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और अमेरिकियों को खतरा हो।
अमेरिका जब किसी संगठन को FTO घोषित कर देता है तो उसकी संपत्ति और फंडिंग पर रोक लग जाती है। अगर उस संगठन की अमेरिका में संपत्ति है तो उसे जब्त कर लिया जाता है। उसकी सारी फंडिंग रोक दी जाती है। उस संगठन से जुड़े लोगों को अमेरिका में एंट्री नहीं मिलती। अगर संगठन से जुड़ा व्यक्ति अमेरिका में ही है तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है।
अमेरिका की FTO लिस्ट में 90 से ज्यादा आतंकी संगठनों के नाम हैं। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद ही 9 आतंकी संगठनों को इस लिस्ट में डाला जा चुका है।
यह भी पढ़ें-- 4 हिस्से, मकसद आजाद बलूच, BLA के बनने से फैलने तक की कहानी क्या है?
एक बड़ा असर यह भी होता है?
अमेरिका अगर किसी संगठन को FTO घोषित करता है, तो संयुक्त राष्ट्र की लिस्ट में भी ऐसे संगठनों के आने के चांस बढ़ जाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) जिस लिस्ट में किसी संगठन या व्यक्ति को डालते हैं, उसे 1267 ISIL (दाएश) और अल-कायदा समिति कहा जाता है। इस लिस्ट में किसी व्यक्ति या संगठन का नाम तब जोड़ा जाता है, जब उसके आतंकी होने के पुख्ता सबूत हों।
संयुक्त राष्ट्र की ग्लोबल टेररिस्ट की लिस्ट में आने पर तीन तरह की कार्रवाइयां होती हैं। पहली- उस व्यक्ति या संगठन की संपत्ति जिस देश में होती है, उसे जब्त कर लिया जाता है। उसकी फंडिंग के सारे सोर्स रोक दिए जाते हैं। दूसरी- उस व्यक्ति या संगठन से जुड़े लोगों की यात्रा पर प्रतिबंध लग जाता है। कोई भी देश ऐसे व्यक्ति को अपनी सीमा में नहीं घुसने देते। इतना ही नहीं, वह जिस देश में है, वहां भी कोई यात्रा नहीं कर सकता। और तीसरी- ऐसे व्यक्ति या संगठन के हथियार खरीदने पर भी रोक लग जाती है। कोई भी देश ऐसे व्यक्ति या संगठन को हथियार नहीं दे सकता।
यह भी पढ़ें-- US वीजा हुआ रद्द तो खुद हुई सेल्फ डिपोर्ट, कौन हैं रंजनी श्रीनिवासन?
भारत में क्या होता है?
भारत में किसी भी व्यक्ति या संगठन को अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेन्शन एक्ट (UAPA) के तहत 'गैरकानूनी' या 'आतंकवादी' घोषित किया जाता है। यह एक तरह का प्रतिबंध होता है।
UAPA की धारा 35 सरकार को किसी व्यक्ति या संगठन को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार देती है। किसी संगठन या व्यक्ति को आतंकवादी तभी घोषित किया जाता है, जब वह आतंकी गतिविधि शामिल रहा हो या आतंकी हमले की साजिश रच रहा हो।
जब किसी संगठन या व्यक्ति को 'प्रतिबंधित' किया जाता है तो उससे जुड़े सारे लोग अपराधी बन जाते हैं। उसकी फंडिंग पर रोक लग जाती है। आतंकी संगठन घोषित किए जा चुके लोगों को गिरफ्तार किया जाता है और उम्रकैद तक हो सकती है। वहीं, अगर कोई ऐसे संगठनों को फंडिंग करता है तो दोषी पाए जाने पर 14 साल की जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है।
भारत ने 2019 में सिख फॉर जस्टिस को आतंकी संगठन घोषित किया जाता है। गृह मंत्रालय की लिस्ट में अभी UAPA के तहत 57 लोगों को आतंकी घोषित किया गया है, जिनमें SFJ का सरगना पन्नू भी शामिल है।