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पीएम मोदी को जापान में जो गुड़िया मिली, उसकी कहानी क्या है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जापान में दारुमा गुड़िया भेंट की गई। जापान की संस्कृति में इस गुड़िया की खास मान्यता है। यह गुड़िया अनुशासन और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। आइये जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें।

PM Modi Japan Visit.

जापान में पीएम मोदी को भेंट की गई दारुमा गुड़िया। (Photo Credit: PTI)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दो दिवसीय यात्रा पर जापान पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह आठवीं जापान यात्रा है। वे यहां 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। पीएम मोदी के स्वागत में टोक्यो स्थित शोरिनजान दारुमा जी मंदिर के मुख्य पुजारी ने उन्हें जापान की प्रसिद्ध दारुमा गुड़िया भेंट की। जापान की यह गुड़िया इतनी प्रसिद्ध है कि इसे आपने किसी रेस्टोरेंट, मूवी या एनीमे में जरूर देखा होगा। आज जानते हैं कि इस गुड़िया का जापानी संस्कृति में क्या महत्व है? इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें भी जानते हैं।  


जापान में दारुम गुड़िया को सौभाग्य और दृढ़ता का प्रतीक माना जाता है। गोल और बड़ी आंखो वाली इस गुड़िया को पांचवीं शताब्दी के चीनी भिक्षु बोधिधर्म से प्रेरित होकर इसे बनाया गया था। जापान में एक कहावत है- 'सात बार गिरो, आठ बार उठो।' यह गुड़िया इस कहावत की भी प्रतीक है। खास बात यह है कि गुड़िया को इस तरह से बनाया जाता है कि अगर आप थोड़ा सा भी धक्का देंगे तो गुड़िया सीधी खड़ी हो जाती है।

 

 

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जापान के दुकानों, घरों और मंदिरों में इस गुड़िया की पूजा होती है। लोगों का मानना है कि इससे कभी न हारने की प्रेरणा मिलती है। व्यापार में उन्नति हासिल होती है। जब किसी व्यक्ति को दारुमा गुड़िया मिलती है तो आंख पर रंग भर देता है और जब उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है तो वह दूसरी आंख में रंग भरता है। जापानी लोगों का मानना है कि खाली आंख आपको हमेशा अपने लक्ष्य की याद दिलाती है।

 

जापान में कई लोग साल के आखिरी में इस गुडिया को दारुमा कुयो समारोह में मंदिरों को सौंप देते हैं। इसके बाद पुजारी मंत्रोच्चार के साथ इन गुड़ियों को सम्मान के साथ जला देते हैं। इसे पुराने साल की विदाई और आने वाले वर्ष के स्वागत के तौर पर भी देखा जाता है। चुनाव के समय जापान में नेता दारुमा गुड़िया से जीत का आशीर्वाद मांगते हैं। इसके अलावा परीक्षा में पास होने और बीमारी से ठीक की कामना भी लोग करते हैं।

गुड़िया में हाथ-पैर क्यों नहीं होते?

चीनी बौद्ध भिक्षु बोधिधर्म ने जापान में जेन बौद्ध धर्म की स्थापना की। दारुमा गुड़िया का डिजाइन उन्हीं से प्रेरित है। गुड़िया में सिर्फ सिरवाला हिस्सा होता है। शरीर का बाकी हिस्सा शामिल नहीं किया जाता है। इसके पीछे की कहानी भी बौद्ध भिक्षु से जुड़ी है। किंवदंतियों के मुताबिक बौद्ध भिक्षु ने 9 वर्षों तक कठिन साधना की। इससे उनके हाथ और पैर सूख गए थे। इसी वजह से गुड़िया में सिर के अलावा शरीर का कोई अन्य हिस्सा नहीं होता है।

 

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गुड़िया से जुड़ी खास बातें

दारुमा गुड़िया मुख्यत: चटक लाल रंग से बनी होती है। इस रंग को सौभाग्य, समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। बौद्ध धर्म के वस्त्र भी इसे रंग में होते हैं। मगर मौजूदा समय में अब अलग-अलग रंग की गुड़िया भी आने लगी हैं। 

 

  •  गोल आकार होने के कारण धक्का देने पर गुड़िया सीधे खड़ी हो जाती है और 'सात बार गिरो, आठ बार उठो' कहावत की याद दिलाती है। 
  • दोनों आंखें खाली होती हैं। एक में रंग मनोकामना मांगते वक्त भरना होता है और दूसरे में जब पूरी हो जाए तब। 
  • गुड़िया की भौंहें और दाढ़ी को सारस और कछुए की तरह बनाया गया है। यह दीर्घायु और सौभाग्य की निशानी है।
  • गुड़िया पर फुकु-इरी लिखा होता है। इसका अर्थ भाग्य लाना है।

 

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