मलेशिया के तेरेंगानु राज्य में नमाज न पढ़ने वालों को अब सख्त सजा दी जाएगी। अगर कोई भी मुस्लिम व्यक्ति बगैर कोई ठोस कारण के जुमे की नमाज छोड़ता है तो उसे दो साल के लिए जेल में डाल दिया जाएगा। इतना ही नहीं, दोषी व्यक्ति पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (SCMP) ने स्थानीय मीडिया के हवाले से इस खबर की जानकारी दी है।
तेरेंगानु सरकार के इस फैसले की आलोचना भी हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग इसे धार्मिक कट्टरता की ओर बढ़ने वाला कदम बता रहे हैं।
क्या है नया नियम?
तेरेंगानु में पैन-मलेशियन इस्लामिक पार्टी (PAS) की सरकार है। यह कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी है। अब इस सरकार ने जुमे की नमाज न पढ़ने वालों के लिए नियम सख्त कर दिए हैं।
पहले केवल उन लोगों को सजा दी जाती थी, जो लगातार तीन जुमे की नमाज छोड़ते थे। मगर अब पहली बार जुमे की नमाज छोड़ने वालों को भी सजा दी जाएगी। सजा में दो साल तक की जेल या 3 हजार रिंगिट (लगभग 62 हजार रुपये) का जुर्माना या दोनों शामिल हैं।
कार्यकारी परिषद के सदस्य मुहम्मद खलिल अब्दुल हादी ने मलेशियाई न्यूज पेपर 'बेरिता हैरियन' को दिए इंटरव्यू में कहा कि यह नियम लोगों को उनकी धार्मिक जिम्मेदारी की याद दिलाने के लिए है।
तेरेंगानु की आबादी 12 लाख है, जिसमें 99% से ज्यादा मलय मुस्लिम हैं। यह मलेशिया का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां विधानसभा में कोई विपक्षी दल नहीं है। 2022 के चुनाव में PAS ने सभी 32 सीटें जीती थीं।
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लोगों ने फैसले पर उठाए सवाल?
इस फैसले पर लोगों ने सवाल भी उठाने शुरू कर दिए हैं। मलेशियाई वकील अजीरा अजीज ने तर्क दिया कि यह कुरान के उस सिद्धांत के विपरीत है, जो कहता है कि मजहब कोई जबरदस्ती नहीं है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 'कोई भी इस बात से असहमत नहीं है कि जुमे कि नमाज वाजिब और जरूरी है लेकिन इसे अपराध की तरह कानून में शामिल करना गलत है।'
एक अन्य यूजर अहमद अजहर ने चेतावनी देते हुए लिखा, 'सभी मलेशियाई लोगों को इस पर आवाज उठानी चाहिए, वरना हम जल्द ही तालिबान बन जाएंगे।'