भारत की राजधानी दिल्ली में ग्लोबल स्पेस एक्सप्लोरेशन कॉन्फ्रेंस (GLEX) हो रही है। इस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने दुनिया के कई बड़े देशों से प्रतिनिधि भारत आ रहे हैं लेकिन अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा इस कॉन्फ्रेंस में भाग नहीं ले रही है। दुनियाभर के बड़े अंतरिक्ष यात्रियों और वैज्ञानिकों का जमावड़ा भारत में लगा है और इसमें दुनिया की सबसे बड़ी एजेंसी के प्रतिनिधियों का न होना सबको खल रहा है। नासा से लगभग एक दर्जन अंतरिक्ष यात्री और वैज्ञानिक इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने आने वाले थे लेकिन वह नहीं आ सके। उनके भारत में न आने की वजह से जानकर सब हैरान हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नासा की टीम भारत में इस सम्मेलन में पैसों कमी के चलते नहीं आ सकी। आयोजन समिति के एक सदस्य ने नाम न बताने की शर्त पर बताया है कि इस सम्मेलन में नासा का प्रतिनिधित्व इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि उन्हें भारत में यात्रा करने के लिए फंड नहीं दिया गया। नासा जैसे प्रमुख अंतरिक्ष संस्थान का पैसे की कमी के कारण सम्मेलन में शामिल न हो पाना वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग की दिशा में एक चिंताजनक संकेत है। हालांकि, इसरो और नासा अभी भी साथ मिलकर कई प्रोजेक्टस पर काम कर रहे हैं।
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ट्रंप ने नहीं दिया पैसा
इस साल के पहले महीने में डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में वापसी की। उनकी वापसी के बाद उनकी सरकार ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की फंडिंग बंद कर दी थी और कुछ पर नई शर्तें लगा दी थी। 2026 के वित्तीय साल के लिए बड़े पैमाने पर बजट में कटौती की गई है। नासा के बजट में भी कटौती हुई है और अमेरिकी इतिहास में यह नासा के बजट में हुई अब तक की सबसे ज्यादा कटौती है। इस साल नासा का बजट 24.8 बिलियन डॉलर से घटकर 18.8 बिलियन डॉलर रह गया है। कम बजट के कारण नासा के कई मिशन रद्द कर दिए गए हैं या उनको स्थगित कर दिया गया है इसमें कई अहम मिशन भी शामिल हैं।
भारत में हो रहा GLEX
GLEX का मतलब ग्लोबल स्पेस एक्सप्लोरेशन कॉन्फ्रेंस है, इसे इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉटिकल फेडरेशन (IAF) आयोजित करती है। यह अंतरिक्ष खोज पर केंद्रित है और इसमें वैज्ञानिक, इंजीनियर, और नीति निर्माता हिस्सा लेते हैं। GLEX 2025 अभी 7 से 9 मई 2025 तक चल रहा है। यह सम्मेलन इस साल भारत की राजधानी नई दिल्ली में हो रहा है। भारत की स्पेस रिसर्च एजेंसी ISRO और एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया इसका आयोजन कर रहे हैं।
7 से 9 मई के बीच हो रही इस कॉफ्रेंस में 35 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। इस कॉन्फ्रेंस में चीन, जापान, कनाडा और यूरोप के कई देशों के 1700 से ज्यादा प्रतिनिधि और 10 अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। भारत ने पिछले कुछ सालों में अंतरिक्ष रिसर्च में कई बड़े सफल मिशन चलाए हैं। ऐसे में इस वैश्विक आयोजन का भारत में होना भारत के लिए गौरव की बात है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने भी किया संबोधन
नई दिल्ली में आयोजित इस सम्मेलन के उद्धघाटन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना संबोधन दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा और इस क्षेत्र में वैश्विक सहयोग पर जोर दिया। मोदी ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा प्रतिस्पर्धा के बारे में नहीं, बल्कि एक साथ ऊंचाइयों को छूने के बारे में है। उन्होंने 'वसुधैव कुटुंबकम' पर जोर दिया। भले ही अमेरिका की स्पेस एजेंसी इसरो ने इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा नहीं लिया लेकिन आने वाले हफ्तों में भारतीय अंतरिक्ष यात्री ISRO-NASA के साझे मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएगा।