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नेपाल में चुनाव की तारीखों का एलान, PM सुशीला कार्की भी हैं तैयार

नेपाल को देश की पहली अंतरिम महिला प्रधानमंत्री मिल गई हैं। सुशीला कार्की भारत से पढ़ी-लिखी हैं और बेहतर रिश्तों की पक्षधर हैं। उनके शपथ लेने के कुछ घंटों बाद ही चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है।

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नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और प्रधानमंत्री सुशीला कार्की। (Photo Credit: PTI)

नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने देश में आम चुनाव कराने का एलान किया है। उन्होंने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि 5 मार्च 2026 तक नेपाल में आम चुनाव कराए जाएंगे। राष्ट्रपति राम चंद्र की सलाहकार किरण पोखरेल ने कहा है कि सुशीला कार्की ने नेपाल में चुनाव कराने की सिफारिश की थी, जिसके बाद चुनाव की तारीख का एलान हुआ। अब सुशीला कार्की के नेतृत्व वाली सरकार के पास 6 महीने तक नेपाल को स्थिर रखने की चुनौती है। 

नेपाल की 'जेन ज़ी' क्रांति के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा, संसद भी भंग हो गई। अब सुशीला कार्की की सरकार, छह माह के भीतर चुनाव कराएगी। शुक्रवार रात ही उन्होंने नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है। सुशीला कार्की नेपाल की पहली मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। 

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राम चंद्र पौडेल कौन हैं?

राम चंद्र पौडेल नेपाल के राष्ट्रपति हैं। जेन ज़ी आंदोलनकारी उनका भी इस्तीफा मांग रहे हैं लेकिन अभी तक उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है। उन्होंने अंतरिम पीएम को शपथ भी दिलाई है। मार्च 2023 में उन्होंने अपना पद संभाला था। वह नेपाल कांग्रेस के सीनियर नेता रहे हैं। उन्हें लोग राम चंद्र दाई के नाम से भी जानते हैं। वह साल 1994 से लेकर 1999 तक प्रतिनिधि सभा के स्पीकर रहे हैं। वह उप प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं। वह नेपाल के तनहुं जिले के रहने वाले हैं। नेपाली साहित्य, संस्कृत और सामाजिक न्याय पर वह किताबें भी लिखते हैं।

ओली सरकार की विदाई के बाद भंग हुई संसद

नेपाल में सिर्फ एक सप्ताह के विरोध प्रदर्शन में पुरानी सत्ता उखड़ गई। जेन ज़ी चाहते थे कि जब तक पूर्ण कालिक सरकार नहीं बनती है, तब तक ईमानदार छवि की सुशीला कार्की ही अंतरिम प्रधानमंत्री रहें। सेना भी उनके नाम पर सहमत नजर आई। सहमति मिलने के बाद वह शपथ लेने को तैयार हुईं। अब सुशीला कार्की को राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।


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नेपाल ने क्रांति में बहुत कुछ गंवा दिया 

नेपाल की जेन ज़ी क्रांति में सरकारी भवनों, ऐतिहासिक इमारतों और सरकारी प्रतिष्ठानों को तोड़ दिया गया है, आग के हवाले कर दिया गया है। नेपाल के सीमावर्ती इलाके भी हिंसा की जद में आए। कई जगह भंसार भवन तोड़े गए हैं। सोशल मीडिया पर बैन से शुरू हुआ यह आंदोलन, राष्ट्रव्यापी भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन बन गया। नेपाल के ज्यादातर पूर्व प्रधानमंत्री देश छोड़कर भाग चुके हैं या कहीं छिप गए हैं। नेताओं के खिलाफ जनता में भीषण आक्रोश देखने को मिल रहा है। 

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सुशीला कार्की कौन हैं? 

सुशीला कार्की नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश माना जाता है। उनका जन्म 7 जून 1952 को बिराटनगर में हुआ था। वह नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रहीं। उनकी छवि ईमानदार है। वह राजनीति से दूर रही हैं, लेकिन अब उन्हें अहम जिम्मेदारी मिली है। साल 1972 में उन्होंने त्रिभुवन विश्वविद्यालय के महेंद्र मोरंग कैंपस से बीए किया था। साल 1975 में उन्होने भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए किया। 1979 से उन्होंने वकालत शुरू की। वह भारत को मित्र देश मानती हैं और भारत से बेहतर रिश्तों की पक्षधर हैं। 

पीएम मोदी ने सुशीला कार्की को दी बधाई 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की को शुभकामनाएं दीं हैं। पीएम मोदी ने X पर लिखा, 'मैं सुशीला कार्की को नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण करने पर शुभकामनाएं देता हूं। भारत नेपाल के लोगों की शांति, तरक्की और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध बना हुआ है।'

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