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नेपाल के पूर्व PM ने ऐसा क्या किया था कि 15 साल बाद दर्ज हुआ केस?

भ्रष्टाचार रोकने वाली संस्था CIAA ने नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है। क्या है पूरा मामला, जानिए।

Madhav Kumar Nepal Corruption

माधव कुमार नेपाल, Photo Credit: X/ @ncp_madhavnepal

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता माधव कुमार नेपाल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है, जो भूमि घोटाले से जुड़ा है। यह पहली बार है जब हिमालयी देश नेपाल में किसी पूर्व प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचार का केस दर्ज हुआ है। भ्रष्टाचार रोकने वाली संस्था CIAA ने गुरुवार दोपहर माधव नेपाल और उनके अलावा 94 और लोगों के खिलाफ इस मामले में केस दर्ज किया है। एक विशेष अदालत के अधिकारी ने समाचार एजेंसी ANI को बताया कि CIAA ने नेपाल और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया है। 

 

देश के इतिहास में पहली बार

यह पहली बार है जब नेपाल के प्रधानमंत्री पर देश के इतिहास में भ्रष्टाचार के मामले लगे हैं। मामला जमीन के स्वामित्व और सरकारी छूट से जुड़ा है, जो एक प्राइवेट कंपनी के लिए ली गई जमीन के गलत इस्तेमाल से जुड़ा है। भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी ने पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल से 186 मिलियन नेपाली रुपये की मांग की है। माधव कुमार नेपाल, जो अब सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट के अध्यक्ष हैं, ने 1 फरवरी 2010 को सत्ता में रहते हुए बानेपा, कावरे में 815 रोपनी जमीन खरीदने की मंजूरी दी थी। यह जमीन योग केंद्र, आयुर्वेदिक संस्थान और हर्बल उद्योग जैसे कामों के लिए सरकारी छूट के तहत ली गई थी।

 

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सीलिंग छूट क्यों दी गई?

यह फैसला उस वक्त के प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल की अगुवाई वाली कैबिनेट की बैठक में लिया गया था। उसी बैठक में जमीन खरीदने के लिए सीलिंग छूट भी दी गई थी। इसके तहत डांग में 75 बीघा, लामजंग में 300 रोपनी, स्यांगजा में 250 रोपनी, चितवन में 15 बीघा, धनुषा में 25 बीघा, काठमांडू घाटी में 150 रोपनी और बारा-परसा इलाके में पांच साल के अंदर 40 बीघा जमीन खरीदने की मंजूरी दी गई थी।

 

कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद, नेपाल प्रमुख नाम की एक निजी कंपनी ने बानेपा के नासिकस्थान, सांगा, महेंद्रज्योति और चलल गणेशस्थान इलाके में कुल 593 रोपनी, 5 आना और 3 पैसे जमीन खरीदी। इस जमीन खरीदने के फैसले में प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल, भूमि सुधार मंत्री डंबर श्रेष्ठ, मुख्य सचिव माधव घिमिरे, सचिव छविराज पंत और बाकी वरिष्ठ अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे।

 

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सौदे में पैसों की हेराफेरी

सीलिंग छूट के तहत जमीन मिलने के एक महीने बाद, 19 फरवरी 2010 को कंपनी ने उस जमीन को बेचने की इजाजत मांगी। 16 मार्च को मंत्री श्रेष्ठा ने प्रधानमंत्री के निर्देश का हवाला देकर यह प्रस्ताव कैबिनेट में रखा और तीन दिन बाद कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। 30 मार्च को भूमि सुधार विभाग के महानिदेशक केशर बहादुर बनिया ने इसे गैरकानूनी बताते हुए फैसले पर आपत्ति जताई।

 

8 अप्रैल को कैबिनेट ने उनसे जवाब मांगा और अगले ही दिन उन्हें पद से हटा दिया गया। उनकी जगह जीत बहादुर थापा को नियुक्त किया गया, जिन्होंने उसी दिन जमीन बेचने की मंजूरी दे दी। 25 जून 2010 को कंपनी ने 353 रोपनी जमीन काष्ठमंडप बिजनेस होम्स को बेच दी। जांच में पता चला कि इस सौदे में पैसों की हेराफेरी हुई थी। जमीन की बिक्री और खरीद में दर्ज रकम में बड़ा फर्क पाया गया।

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