नेपाल में राजशाही के आंदोलन में CM योगी की तस्वीर पर विवाद क्यों?
दुनिया
• KATHMANDU 12 Mar 2025, (अपडेटेड 12 Mar 2025, 8:29 AM IST)
नेपाल में राजशाही के समर्थन में आंदोलन तेज हो गया है। इस बीच एक प्रदर्शन में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तस्वीर वाले पोस्टर दिखने पर बवाल हो गया है।

नेपाल में राजशाही आंदोलन में सीएम योगी का पोस्टर। (Photo Credit: Social Media)
नेपाल में एक बार फिर राजशाही व्यवस्था की मांग की जा रही है। इसे लेकर लोग सड़कों पर उतर आए हैं। सड़कों पर उतरे लोग नेपाल में राजतंत्र और हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे हैं। राजशाही की मांग राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी (RPP) कर रही है। इस पार्टी को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र सिंह का समर्थन हासिल है। अब इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर वाले पोस्टर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
दरअसल, रविवार को ज्ञानेंद्र शाह काठमांडू के त्रिभुवन हवाई अड्डे पर पहुंचे तो उनके स्वागत में हजारों लोग खड़े थे। इनके पास पोस्टर थे, जिन्हें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तस्वीर थी।
नेपाल में लोकतंत्र आने के बाद से राजा रहे ज्ञानेंद्र शाह हाशिये पर चले गए हैं। माना जा रहा है कि लोकतंत्र की वजह से लोग नाराज हैं, इसलिए राजतंत्र की बहाली की मांग तेज हो गई है। इस बीच यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तस्वीर वाले पोस्टर दिखने के बाद बहस शुरू हो गई है क्या इस आंदोलन के पीछे भारत का हाथ है?
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सीएम योगी की तस्वीर कैसे आई?
सीएम योगी की तस्वीर वाले पोस्टर सामने आने के बाद विवाद बढ़ गया है।
भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के समर्थकों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ की तस्वीर दिखना इस आंदोलन में 'भारत के हाथ' होने का सबूत है।
वहीं, ज्ञानेंद्र शाह के समर्थकों ने इसे ओली सरकार की साजिश बताया है और दावा किया है कि 'जानबूझकर' आदित्यनाथ की तस्वीर वाले पोस्टर लगाए गए।
रैली के आयोजकों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ की तस्वीर के इस्तेमाल के लिए न तो कोई आधिकारिक मंजूरी थी और न ही उन्हें इसकी जानकारी थी। समर्थकों को केवल राष्ट्रीय ध्वज और ज्ञानेंद्र की तस्वीर का उपयोग करने का निर्देश दिया गया था।
पूर्व मंत्री और राजशाही के समर्थक दीपक ग्यावली ने कहा, 'हम इतने कमजोर नहीं हैं कि हमें अपने जुलूस में किसी विदेशी नेता की तस्वीर का इस्तेमाल करना पड़े।' उन्होंने सवाल किया कि 'कम्युनिस्ट अपने ऑफिस में मार्क्स, लेनिन, माओ की तस्वीरें लगाते हैं, उसका क्या?'
किसने क्या कहा?
रविवार को जब ज्ञानेंद्र शाह के समर्थक नारे लगा रहे थे- 'नारायणहटी खाली करो, राजा आ रहे हैं'। नारायणहटी में रॉयल पैलेस हैं, जहां राजा रहते थे। एयरपोर्ट के बाहर सीएम योगी की तस्वीर वाले पोस्टर दिखने के बाद आरोप लग रहा है कि इस आंदोलन को भड़काने में भारत का हाथ है।
ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नेता विष्णु रिजाल ने कहा, 'जिस योगी की तस्वीर लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है, उसी योगी ने ज्ञानेंद्र को कुंभ में नहीं बुलाया, जबकि इसी कुंभ में 50 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई।' विष्णु रिजाल ने कहा, 'राजा बनने के लिए ज्ञानेंद्र विदेशियों की दलाली कर रहे हैं।'
RPP के उपाध्यक्ष रविंद्र मिश्र ने कहा, 'लाखों लोग जब सड़कों पर आते हैं तो कुछ ऐसी चीजें हो जाती हैं, जो नहीं होनी चाहिए थी। हमने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया। कहीं कोई हिंसा नहीं हुई। इसकी तारीफ होनी चाहिए लेकिन लोग बात कर रहे हैं उस व्यक्ति की जो योगी की तस्वीर लेकर आया था। ऐसे प्रदर्शनों में छोटी-छोटी चीजें होती रहती हैं। राजा का एजेंडा लोकप्रिय हो रहा है और इसे नुकसान पहुंचाने के लिए सरकार अलग-अलग हथकंडे अपना रही है।'
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नेपाल के राजपरिवार का गोरखनाथ से संबंध!
नेपाल के राजपरिवार और गोरखपुर के गोरखनाथ मठ के बीच गहरे और सदियों पुराने संबंध हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ अभी गोरखनाथ मठ के प्रमुख हैं।
आरपीपी के अध्यक्ष राजेंद्र लिंगडेन ने कहा, 'हमें आदित्यनाथ के पोस्टर के बारे में नहीं पता लेकिन हम जो जानते हैं, वह यह है कि राजा ज्ञानेंद्र और गोरखनाथ मठ का गहरा संबंध हैं, क्योंकि माना जाता है कि शाह वंश को गोरखनाथ मठ से आशीर्वाद मिला था।'
गोरखनाथ को शाह राजवंश का इष्टदेव माना जाता है। नेपाल में राजशाही के वक्त भी गोरखनाथ ही इष्टदेव थे। गोरखनाथ मठ के प्रमुख लंबे समय से नेपाल के मठों और मंदिरों में भी जाते रहे हैं।
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योगी ने लोकतंत्र का किया था विरोध
नेपाल में 2008 में राजतंत्र खत्म हो गया था। यहां 239 साल से शाह राजवंश का शासन था। 2008 में यूपीए सरकार के दौर में नेपाल की 8 राजनीतिक पार्टियों ने एक समझौता किया और लोकतंत्र लागू किया गया। लोकतंत्र आने के बाद नेपाल का नया संविधान बना। नेपाल तक दुनिया का एकमात्र हिंदू राष्ट्र था लेकिन संविधान के तहत इसे धर्मनिरपेक्ष बनाया गया।
बताया जाता है कि उस वक्त गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ ने नेपाल में राजतंत्र खत्म कर लोकतंत्र लाने का विरोध किया था। तब कथित तौर पर योगी ने कहा था, 'नेपाल में शांति और स्थिरता राजशाही से ही आ सकती है। नेपाल में माओवादी और भारत के नक्सली मिलकर काम करते हैं। नेपाल में माओवादियों के हाथ में सत्ता आएगी तो भारत के नक्सलियों का भी मनोबल बढ़ेगा।'
लखनऊ में हुई थी मुलाकात
पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने पिछले महीने ही लखनऊ और गोरखपुर में सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। उनके सहयोगियों का कहना है कि इस मुलाकात को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।
वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ आखिरी बार दिसंबर 2023 में नेपाल गए थे। तब वे नेपाल में राम-जानकी विवाह के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए गए थे। उस वक्त नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली भी भगवा कपड़े पहनकर खड़े थे।
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