नेपाल में हाल ही में राजशाही की बहाली और हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। इस बीच नेपाली सेना को बुला लिया गया और काठमांडू के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
दरअसल, राजशाही की पुनर्स्थापना और नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग की जा रही है। हिंसा इतनी भड़क गई कि पुलिस ने आंसू गैस, पानी की बौछारें और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया। वहीं, प्रदर्शनकारियों ने घरों, दुकानों, वाहनों और एक अस्पताल को नुकसान पहुंचाया है।
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नेपाल सरकार ने की निंदा
नेपाल सरकार ने इन हिंसक प्रदर्शनों की निंदा की है और इसे अराजकता करार दिया है। अधिकारकियों ने कहा कि यह मात्र विरोध नहीं, बल्कि लूटपाट और उपद्रव है। बता दें कि नेपाल में 239 वर्षों तक राजशाही रही, जिसे 2008 में समाप्त कर देश को गणराज्य घोषित किया गया। हालांकि, राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक विकास की धीमी गति के कारण जनता में अंसतोष बढ़ा है, जिससे राजशाही की बहाली की मांग फिर से उठ रही है।
क्या बोले पूर्व प्रधानमंत्री?
राजतंत्र समर्थकों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद भड़की हिंसा पर नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने कहा, 'सरकार और पुलिस की ओर से तैयारी में कमी थी। हिंसा के बाद उन्हें प्रतिक्रिया करने में 45 मिनट लग गए। सुरक्षा बलों ने स्वीकार किया है कि उन्हें राजधानी के बीचों-बीच इस स्तर की हिंसा की उम्मीद नहीं थी। इस तरह की बर्बरता, आपराधिक इरादे से की गई, अविवेकपूर्ण गतिविधि, सरकार को गंभीरता से समीक्षा करने की जरूरत है और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए तैयारी करनी चाहिए।'
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100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया
इस समय काठमांडू के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगाया गया है। स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। हालांकि, सुरक्षा बल सतर्क हैं और 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है। वाम मोर्चा ने राजशाही समर्थक ताकतों के फिर से उभरने के लिए प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि यह उनके कुशासन के कारण है।
झड़पें तब शुरू हुईं जब पुलिस ने मंच पर आंसू गैस के गोले दागे, जहां राजशाही समर्थक आंदोलन के संयोजक 87 वर्षीय नबराज सुबेदी और अन्य वरिष्ठ नेता बैठे थे। पास के गैरीधारा इलाके में एक घर में आग लग गई, जहां सुरक्षाकर्मी तैनात थे। एवेन्यूज टेलीविजन चैनल के लिए रैली को कवर कर रहे कैमरामैन सुरेश रजक की भी मौत हो गई। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि कम से कम 15 लोग घायल हुए हैं।
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कमांडर दुर्गा प्रसाद के खिलाफ वारंट जारी
सरकार ने रैली के नामित कमांडर दुर्गा प्रसाद को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया और उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। काठमांडू जिला प्रशासन ने शांतिनगर पुल और मनोहरा नदी पुल के बीच कर्फ्यू की घोषणा की है, जिसमें कोटेश्वर, टिंकुने, हवाई अड्डा क्षेत्र, बानेश्वर चौक और गौशाला शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि टिकट दिखाने पर लोगों को एयरपोर्ट तक जाने की अनुमति दी गई है। इस दौरान सार्वजनिक सभाएं, प्रदर्शन, बैठकें और धरना-प्रदर्शन प्रतिबंधित रहेंगे।