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नजरबंद होंगे या जेल जाएंगे ज्ञानेंद्र शाह, राजशाही आंदोलन पर संकट

नेपाल में राजशाही समर्थक देश के अलग-अलग हिस्सों में आंदोलन कर रहे हैं। पोखरा से लेकर काठमांडू तक समर्थकों की मांग है कि राजशाही वापस आए, लोकतंत्र खत्म हो। पढ़ें रिपोर्ट।

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नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह। (Photo Credit: Social Media)

नेपाल सरकार लोकतंत्र के विरुद्ध चल रहे राजशाही आंदोलन को खत्म करने की तैयारी में है। शुक्रवार को राजशाही समर्थक विरोध प्रदर्शन के दौरान भीषण हिंसा भड़की, जिसमें कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए। रविवार को नेपाल के संसद में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को गिरफ्तार करने का मुद्दा गूंजा। प्रतिनिधि सभा में नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी, यूनिफाइड-मार्क्सवादी-लेनिनवादी और नेपाल कांग्रेस ने संसद में यह कहा है कि ज्ञानेंद्र शाह की गिरफ्तारी होनी चाहिए।

नेपाली संसद में जमकर हंगामा हुआ, जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही बाधित हो गई। नेपाली कांग्रेस के सदस्यों की मांग का राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के सांसदों ने विरोध किया, जिसकी वजह से संसद की कार्यवाही रद्द करनी पड़ी। राजशाही समर्थकों का कहना है कि केपी शर्मा ओली अपने पद से इस्तीफा दें, देश में राजशाही लौटे।

राजशाही समर्थकों ने संसद में मुद्दा उठाया कि केपी ओली सरकार, आंदोलकारियों का दमन कर रही है। राष्ट्रीय जनता पार्टी नेपाल के प्रमुख और पूर्व उप प्रधानमंत्री कमल थापा ने कहा, 'सरकार कभी भी मुझे आकर गिरफ्तार कर सकती है। मैं राजशाही वादी हूं।'

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नेपाल में क्या हो सकता है?

प्रेम कुमार ने कहा, 'नेपाल की गठबंधन सरकार की अहम सहयोगी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल, यूनिफाइड मार्क्सवादी-लेनिनवादी लगातार दबाव बना रही है कि ज्ञानेंद्र शाह को नजरबंद किया जाए या जेल में डाल दिया जाए। सरकार ने ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षाबलों की संख्या भी घटा दी है।'



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ज्ञानेंद्र शाह अगर गिरफ्तार हुए तो क्या होगा?
नेपाल प्रजातांत्रिक पार्टी के एक पदाधिकारी प्रेम कुमार ने कहा, 'पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थकों के प्रदर्शन की वजह से उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। अगर उनकी गिरफ्तारी हुई तो नेपाल का राजनीतिक संकट और बढ़ सकता है। मधेसी हों या पहाड़ी, राजशाही समर्थक हर जगह है। अभी ज्ञानेंद्र शाह की लोकप्रियता अचानक से बढ़ी है। अगर सरकार उन्हें गिरफ्तार करती है तो राजशाही समर्थक पार्टियां चुप नहीं बैठेंगी।'

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