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10,152 कैदी, 49 को फांसी की सजा; विदेश में किस हाल में हैं भारतीय

निमिषा प्रिया को यमन में फांसी की सजा सुनाई गई है। उन्हें 16 जुलाई को फांसी दी जा सकती है। ऐसे में जानते हैं कि विदेशी जेलों में कितने भारतीय कैदी हैं? और कितनों को फांसी की सजा मिली है?

indian prisoner in foreign countries

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: AI Generated Image)

केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई को फांसी की सजा दी जाएगी। उन्हें बचाने के सारे रास्ते लगभग खत्म हो चुके हैं। उन्हें फांसी की सजा रुकवाने के लिए उनके परिवार ने 'ब्लड मनी' की पेशकश की है लेकिन पीड़ित परिवार ने मान नहीं रहा है। निमिषा प्रिया को हत्या के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई गई थी। 


निमिषा प्रिया को अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी ठहराया गया है। 2017 में ड्रग ओवरडोज की वजह से तलाल की मौत हो गई थी। तलाल के साथ मिलकर निमिषा ने यमन की राजधानी सना में एक क्लीनिक खोला था। बाद में तलाल ने उन्हें टॉर्चर करना शुरू कर दिया था। उसने निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया था, ताकि वह भाग न सके। अपना पासपोर्ट छुड़वाने के लिए ही निमिषा ने तलाल को नशे की गोली दी थी, जिसका ओवरडोज हो गया था।


2020 में ट्रायल कोर्ट से फांसी की सजा मिलने के बाद 2023 में यमन की सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा था। जनवरी 2024 में यमन के हूती विद्रोहियों की सुप्रीम काउंसिल ने भी फांसी की सजा पर मुहर लगा दी थी।

 

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...तो क्या अब कोई रास्ता नहीं?

निमिषा को फांसी से बचाने का अब एकमात्र और आखिरी रास्ता 'ब्लड मनी' ही बचा है। यह असल में एक रकम होती है। यमन में कानून है कि पीड़ित परिवार पैसे लेकर हत्या के दोषी को माफ कर सकता है। यमन में शरिया कानून लागू है और इसके तहत हत्या के दोषी को फांसी की सजा दी जाती है। हालांकि, पीड़ित परिवार चाहे तो पैसे लेकर दोषी को माफी दे सकता है, जिसे 'ब्लड मनी' कहा जाता है।


निमिषा की मां 2024 से ही यमन की राजधानी सना में रह रही हैं और अपनी बेटी को बचाने की कोशिश में जुटी हैं। बताया जा रहा है कि निमिषा के परिवार ने तलाल के परिवार को 10 लाख डॉलर की ब्लड मनी की पेशकश की है।

 


उनकी जान बचाने के लिए भारतीय सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दायर की गई है। इसमें मांग की गई है कि अदालत केंद्र सरकार को आदेश दे कि फांसी रुकवाने के लिए डिप्लोमैटिक चैनल का इस्तेमाल करे। 


निमिषा के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनका परिवार ब्लड मनी की बातचीत कर रहा है और केंद्र सरकार डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए इसमें मदद कर सकती है। हालांकि, केंद्र सरकार ने साफ किया कि निमिषा प्रिया के केस में जिस हद तक जाया जा सकता था, वहां तक गई है। केंद्र सरकार ने कहा, 'ब्लड मनी एक निजी बातचीत है और केंद्र सरकार कुछ नहीं कर सकती।'

 

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क्या निमिषा प्रिया अकेली हैं?

निमिषा प्रिया अकेली भारतीय नहीं हैं, जिन्हें विदेश में मौत की सजा मिली है। इसी साल 20 मार्च को विदेश मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया था कि अभी दुनियाभर के 8 देश ऐसे हैं, जहां 49 भारतीय मौत की सजा का सामना कर रहे हैं। इन्हें फांसी की सजा सुना दी गई है लेकिन अभी सजा मिली नहीं है।


इनमें सबसे ज्यादा 25 भारतीयों को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में फांसी की सजा मिली है। इसके बाद सऊदी अरब में 11, मलेशिया में 6 और कुवैत में 3 भारतीयों को मौत की सजा सुनाई गई है। इंडोनेशिया, कतर, अमेरिका और यमन में 1-1 भारतीय को मौत की सजा मिली है।

 


इसी जवाब में विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया था कि 2020 से 2024 के बीच 5 साल में 47 भारतीयों को या तो फांसी हो गई है या मौत की सजा सुनाई गई है। पांच साल में सबसे ज्यादा 25 भारतीयों को कुवैत में फांसी की सजा दी गई है। सऊदी अरब में 9, जिम्बाब्वे में 7 और मलेशिया में 5 भारतीयों को या तो फांसी हो गई है या इसकी सजा सुनाई गई है।

विदेशों में कितने भारतीय कैदी हैं?

दुनियाभर की जेलों में हजारों भारतीय कैदी हैं। मार्च 2025 में विदेश मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया था कि दुनिया के 86 देशों में 10,152 भारतीय कैदी हैं। सबसे ज्यादा कैदी खाड़ी देशों में हैं।


सरकार ने बताया था कि सबसे ज्यादा 2,633 कैदी सऊदी अरब में हैं। इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (UAE) है, जहां 2,518 भारतीय कैदी हैं। कतर में 611, कुवैत में 387, बहरीन में 181, ओमान में 148 भारतीय कैदी हैं। वहीं, नेपाल में 1,317, पाकिस्तान में 266 और चीन में 173 कैदी हैं। यूके में 288 और अमेरिका में 169 कैदी भारतीय हैं।


विदेशों में भारतीय कैदियों को भारतीय दूतावास कॉन्सुलर एक्सेस देता है। कानूनी तौर पर उनकी मदद करता है। हालांकि, वहां के कानूनों के कारण कई बार इन्हें बचा नहीं पाते। खाड़ी देशों में आमतौर पर अरबी या स्थानीय भाषा में दस्तावेज होते हैं, जिन्हें भारतीय कैदी पढ़ और समझ नहीं पाते। इन दस्तावेजों पर इनसे कथित तौर पर दस्तखत करवा लिया जाता है और अदालत में दोषी ठहरा दिया जा सकता है। निमिषा प्रिया केस में भी यही हुआ।

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