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जेल में ही रहेगा नीरव मोदी, लंदन हाई कोर्ट ने 10वीं बार खारिज की जमानत

लंदन की हाई कोर्ट ने पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी की 10वीं बार जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। इस मामले में भारत सरकार की ओर से सीबीआई और सीपीएस ने अदालत में अपना पक्ष रखा।

nirav modi bail got rejected

नीरव मोदी, Photo Credit: PTI

भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी को लंदन की हाई कोर्ट ने तगड़ा झटका देते हुए 15 मई को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। यह उनकी 10वीं जमानत याचिका थी, जिसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) की मजबूत दलीलों के आधार पर खारिज किया गया। नीरव मोदी मार्च 2019 से ब्रिटेन की जेल में बंद है और पंजाब नेशनल बैंक से 6,498.20 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में भारत में वांछित हैं। CBI की टीम ने लंदन में इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाई। नीरव की प्रत्यपर्ण प्रक्रिया भी चल रही है, जिसे भारत सरकार ने 222 में यूके हाईकोर्ट से मंजूरी प्राप्त की थी लेकिन गोपनीय कानूनी कारणों से वह अभी तक भारत नहीं लाया जा सका। 

 

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नीरव मोदी घोटाला है क्या?

नीरव मोदी घोटाला, जिसे पंजाब नेशनल बैंक घोटाला भी कहा जाता है, भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक है। यह 2018 में सामने आया, जिसमें हीरा व्यापारी नीरव मोदी और उनके सहयोगियों ने PNB से करीब 13, 000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।

 

नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चोकसी ने PNB के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) जारी किए। इन LoUs का इस्तेमाल विदेशी बैंकों से शॉर्ट टर्म लोन लेने के लिए किया गया, जो PNB को चुकाने थे। यह धोखाधड़ी 2011 से 2017 तक चली, जिसमें बिना अनुमति और दस्तावेजों के 6,498.20 करोड़ रुपये से अधिक की राशि ट्रांसफर की गई।

 

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कानूनी कार्रवाई

2018 में PNB ने शिकायत दर्ज की जब नीरव मोदी की कंपनियों ने नए LoUs के लिए आवेदन किया  लेकिन बैंक ने अनियमितताएं पकड़ लीं। जांच में पता चला कि पुराने LoUs का भुगतान नए LoUs से किया जा रहा था, जिससे घोटाले का जाल बढ़ता गया।

 

नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के खिलाफ CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच शुरू की। नीरव मोदी 2018 में भारत से फरार हो गए और जनवरी 2019 में लंदन में देखे गए। मार्च 2019 में उन्हें लंदन में गिरफ्तार किया गया। भारत ने उनके प्रत्यर्पण की मांग की, जिसे 2022 में यूके हाईकोर्ट ने मंजूरी दी लेकिन गोपनीय कानूनी कारणों से वह अभी तक भारत नहीं लाए गए।

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