दक्षिण कोरिया की विपक्षी नेतृत्व वाली संसद ने शनिवार को फर्स्ट लेडी किम कियोन-ही के खिलाफ स्पेशल काउंसिल जांच का प्रस्ताव करने वाले विधेयक को खारिज कर दिया।
विपक्ष ने संसद में एक विधेयक पेश किया था, जिसमें देश की फर्स्ट लेडी के खिलाफ स्टॉक की कीमतों में हेरफेर और एक पावर ब्रोकर के माध्यम से चुनाव परिणामों में छेड़छाड़ के आरोप थे। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, 300 में से 102 सांसदों ने विधेयक के खिलाफ मतदान किया।
कोरियाई दैनिक हंक्योरेह की रिपोर्ट के अनुसार, किम कीन-ही को ड्यूश मोटर्स से जुड़े स्टॉक हेरफेर के मामले में बरी कर दिया गया, अदालत के फैसले में दावा किया गया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनके खाते का इस्तेमाल किसी बाहरी प्रबंधक द्वारा लेनदेन के लिए किया जा रहा है।
द कोरिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार उनके और स्वघोषित राजनीतिक सलाहकार म्युंग ताए-क्यून के बीच संबंधों पर सवाल उठाए गए हैं, क्योंकि वर्तमान में वह सरकार में शीर्ष पदों पर उम्मीदवारों के नामांकन के संबंध में जांच का सामना कर रहे हैं।
पादरी से लि 2200 डॉलर का हैंडबैग
किम कियोन-ही कई विवादों के केंद्र में रही हैं, जिसके कारण उनके और उनकी आर्ट एक्जिबिशन कंपनी कोवाना कंटेंट्स के खिलाफ जांच की मांग की गई है।
यूट्यूब पर गुप्त रूप से रिकॉर्ड किया गया एक वीडियो जारी होने के बाद भी उन्हें लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ा, जिसमें उन्हें एक पादरी से 2,200 डॉलर का डायर लक्जरी हैंडबैग लेते हुए दिखाया गया था। यह कोरियाई कानून का उल्लंघन है, जिसके मुताबिक सार्वजनिक अधिकारियों को 750 डॉलर से अधिक मूल्य के उपहार स्वीकार करने से रोकता है।
अब इसके बाद किम कीन-ही को विशेष जांच का सामना नहीं करना पड़ेगा।
जनता ने किया विरोध प्रदर्शन
सत्तारूढ़ पार्टी के कई सदस्यों ने संसद से वॉकआउट कर दिया, जिससे इस विधेयक को पारित करने के लिए बहुत कम सदस्य बचे। हालांकि, स्पीकर ने संसद से मतदान करने का आग्रह किया क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
दक्षिण कोरियाई जनता ने भी सत्तारूढ़ पार्टी के विरोध में संसद को घेर लिया और मंगलवार को देश में "आपातकालीन मार्शल लॉ" की घोषणा के मद्देनजर राष्ट्रपति के महाभियोग की मांग की।
संसद में सर्वसम्मति से मतदान के बाद दो घंटे में मार्शल लॉ की घोषणा को पलट दिया गया।
राष्ट्रपति के खिलाफ भी महाभियोग विफल
वहीं खुद राष्ट्रपति के खिलाफ भी महाभियोग विफल हो गया है। सत्तारूढ़ पीपल्स पावर पार्टी के द्वारा मतदान का बहिष्कार किए जाने की वजह यह प्रस्ताव विफल हुआ।