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न्यूक्लियर बम vs न्यूक्लियर रिएक्टर, कौन मचा सकता ज्यादा तबाही?

न्यूक्लियर बम (Atomic Bomb) तबाही मचा सकता है। वहीं, न्यूक्लियर रिएक्टर भी विनाशकारी होता है। जैसे, यूक्रेन का चेर्नोबिल घटना। इसके फटने से हजारों लोगों की मौत हो गई थी।

 nuclear reactor vs nucelar bomb

न्यूक्लियर रिएक्टर, Photo Credit: AI generated pic

यूक्रेन ने रूस पर चेर्नोबिल परमाणु प्लांट पर हमले का आरोप लगाया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने हमले की पुष्टि की है। बता दें कि 1986 में हुए इस हादसे के बाद यहां के एक रिएक्टर के अवशेष की रक्षा के लिए एक कवच बनाया गया है। यह न्यूक्लियर पावर प्लांट काफी समय से बंद है। 26 अप्रैल, 1986 को चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में एक टेस्ट किया गया था। आपात स्थितियों में न्यूक्लियर रिएक्टर सही से काम करता है कि नहीं इसकी टेस्टिंग करनी थी।

 

टेस्ट के दौरान ही रिएक्टर में लगी रॉड्स से कर्मचारियों ने अपना कंट्रोल खो दिया जिससे सिस्टम मैनुअल से ऑटो पर चला गया। रिएक्टर से होने वाला रेडिएशन पूरे इलाके में फैलने लगा जिससे हजारों लोगों की जान चली गई। इस हादसे से यह समझ आता है कि न्यूक्लियर रिएक्टर बेहद खतरनाक होता है। यह एक तरीके से न्यूक्लियर बम का छोटा रूप होता है। हालांकि, न्यूक्लियर बम और न्यूक्लियर रिएक्टर दोनों ही न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े हैं लेकिन दोनों का खतरा और प्रभाव अलग-अलग होता है। ऐसे में आइए समझते हैं कि कौन ज्यादा खतरनाक हो सकता है और कैसे? 

न्यूक्लियर बम कितना खतरनाक होता है?

न्यूक्लियर बम (Atomic Bomb) तबाही मचा सकता है। इसका विस्फोट बहुत शक्तिशाली होता है जिसमें भारी मात्रा में एनर्जी और रेडिएशन निकलता है। अगर न्यूक्लियर बम फटा तो इसका प्रभाव बहुत विनाशकारी होगा। यह इमिडिएट विस्फोट होता है यानी एक ही सेंकड में हजारों लोगों की जान ले सकता है। दरअसल, जहां बम फटता है उस जगह पर हजारों डिग्री सेल्सियस तापमान बनता है जो हर चीज को भाप में बदल सकता है। इससे निकलने वाली रेडिएशन और  रेडियोएक्टिव लंबे समय तक हवा, मिट्टी और पानी को जहरीला बना सकता है। 

 

बता दें कि अगर एक से अधिक परमाणु बम फट जाएं, तो वातावरण में धूल और धुएं से सूरज की रोशनी तक छिप सकती है, जिससे पूरी दुनिया में भुखमरी आ सकती है। उदाहरण के लिए 1945 में जापान के हिरोशिमा-नागासाकी में अमेरिका ने 2 न्यूक्लियर बम गिराए थे। इसके विस्फोट से लगभग 2 लाख से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। आज तक वहां के पर्यावरण पर इसका असर है।

 

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न्यूक्लियर रिएक्टर कितना खतरनाक हो सकता है?

न्यूक्लियर रिएक्टर एक तरीके से ऊर्जा बनाता है। इसका उद्देश्य कोई तबाही मचाना नहीं होता है लेकिन अगर कोई दुर्घटना होती है, तो इसका प्रभाव भी बेहद घातक हो सकता है। इसका खतरा तब बढ़ सकता है जब रिएक्टर मेल्टडाउन होने लगे। यानी अगर कूलिंग सिस्टम फेल हो जाए, तो न्यूक्लियर फ्यूल पिघल सकता है और रेडिएशन बाहर निकल सकता है। इसके अलावा न्यूक्लियर प्लांट में हाइड्रोजन गैस बनती है, जो बड़ा धमाका कर सकती है। अगर सुरक्षा सिस्टम फेल हो जाए, तो हवा और पानी में रेडिएशन फैल सकता है। उदाहरण के लिए-


चेर्नोबिल (Chernobyl, 1986)  एक न्यूक्लियर रिएक्टर में विस्फोट हुआ, जिससे हजारों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र दूषित हो गया और हजारों लोग मारे गए।
फुकुशिमा (Fukushima, 2011)  सुनामी के कारण न्यूक्लियर प्लांट में रेडिएशन रिसाव हुआ, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए।

 

कौन ज्यादा खतरनाक?

न्यूक्लियर बम सबसे खतरनाक होता है क्योंकि यह तुरंत लाखों लोगों को मार सकता है और पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है। वहीं, न्यूक्लियर रिएक्टर दुर्घटनाएं भी बहुत खतरनाक हो सकती हैं लेकिन ये आमतौर पर नियंत्रित होते हैं और तुरंत विस्फोट नहीं करते। ऐसे में अगर चेर्नोबिल जैसे कई रिएक्टर एक साथ फट जाएं, तो यह भी न्यूक्लियर बम के समान विनाशकारी साबित हो सकता है। बता दें कि न्यूक्लियर बम एक हथियार है, जबकि न्यूक्लियर रिएक्टर एक ऊर्जा स्रोत है लेकिन दोनों ही अनियंत्रित होने पर बहुत खतरनाक साबित हो सकते हैं!

 

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न्यूक्लियर बम vs. न्यूक्लियर रिएक्टर के साथ-साथ फिजन और फ्यूजन का समझना भी बेहद जरूरी है, आखिर दोनों एक-दूसरे से कितने अलग है? 

फिशन और फ्यूजन

न्यूक्लियर फिशन और फ्यूजन, दोनों ही प्रोसेस में एटम (परमाणु) के न्यूक्लियस में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की बाइंडिंग एनर्जी इस्तेमाल होती है। इन दोनों में अंतर यह है कि फिशन में एक न्यूक्लियस दो छोटे न्यूक्लियस में बंट जाता है, इसकी वजह से काफी मात्रा में ऊर्जा रिलीज होती है। वहीं, फ्यूजन में दो छोटे न्यूक्लियस मिलकर एक बड़ा न्यूक्लियस बनाते हैं, इसमें दो न्यूक्लियस के जुड़ने की प्रक्रिया में एनर्जी रिलीज होती है। 

 

न्यूक्लियर फिशन का न्यूक्लियर पावर प्लांट और परमाणु बम में उपयोग किया जाता है। हालांकि, इससे निकलने वाला रेडियोएक्टिव कचरा बेहद हानिकारक होता है। जैसे-हिरोशिमा-नागासाकी बम (Atomic Bombs) और न्यूक्लियर पावर प्लांट। इसको आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है और इसका ऊर्जा उत्पादन भी कम होता है। 

 

न्यूक्लियर फ्यूजन तब होता है जब हल्के परमाणु अत्यधिक तापमान और दबाव में मिलकर एक भारी न्यूक्लियस बनाते हैं। सूरज में यह प्रक्रिया चलती रहती है। यह फिशन से अधिक एनर्जी पैदा करती है। यह कोई रेडियोएक्टिव कचरा नहीं छोड़ता। हालांकि, इसे नियंत्रित करना बहुत कठिन है इसीलिए अभी तक फ्यूजन से बिजली प्रोडक्शन संभव नहीं हुआ है। उदारण के लिए- हाइड्रोजन बम-यह परमाणु बम से भी कई गुना शक्तिशाली होता है। फ्यूजन ज्यादा सुरक्षित, स्वच्छ और शक्तिशाली है  लेकिन इसे नियंत्रित करना बहुत कठिन है। 

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