logo

ट्रेंडिंग:

हत्या या घोटाला..पाकिस्तान में 'अल्लाह के नाम पर' मिल जाती है माफी

पाकिस्तान में 13 साल की बच्ची की हत्या से बवाल मचा हुआ है। पाकिस्तान में अक्सर बड़े आरोपों में 'अल्लाह के नाम पर' माफी मिल जाती है। इसके लिए पीड़ित परिवार को हलफनामा देना होता है।

Pakistan Apology in the name of Allah

सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: AI Generated Pic

पाकिस्तान में 13 साल की एक बच्ची की हत्या से बवाल मच गया है। बच्ची एक घर में काम करती थी और उसे चॉकलेट चोरी के शक में इतनी बेरहमी से पीटा गया कि उसकी अस्पताल में मौत हो गई। कर्ज में डूबे पिता की मदद करने के लिए बेटी कम उम्र से ही घरों में काम करने लगी थी। वह दो साल से एक दंपत्ति के घर पर काम कर रही थी। हर महीने उसे ढाई हजार भारतीय रुपये दिए जाते थे। मालिक ने चॉकलेट चोरी के शक में बच्ची को इतना पीटा की उसकी मौत हो गई।

 

बच्ची का नाम इकरा था और उसके पैर और हाथ में फ्रैक्चर और सिर में गंभीर चोट देखने को मिली है। इस घटना के बाद आरोपी राशिद शफीफ और उसकी पत्नी सना को हिरासत में ले लिया गया है। हालांकि, पाकिस्तान में इस तरह के मामले अक्सर कोर्ट के बाहर ही निपट जाते है और दोषियों को कोई सजा भी नहीं होती। पाकिस्तान का कानून कहता है कि पीड़ित परिवार को पूरा अधिकार है कि वो बड़े गंभीर मामलों में आरोपी को माफी दे सकता है। इसके लिए उन्हें कोर्ट में 'अल्लाह के नाम पर' हलफनामा देना पड़ता है। 

 

यह भी पढ़ें: नेपाल की संसद में गूंजा KIIT यूनिवर्सिटी आत्महत्या मामला, उठी ये मांग

 

जी हां, पाकिस्तान में कई बार देखने को मिला है कि जब किसी नेता, अधिकारी या अमीर/ प्रभावशाली व्यक्ति से कोई बड़ा जूर्म या गलती हो जाती है या वो किसी विवाद में फंस जाते हैं, तो वे 'अल्लाह के नाम पर' माफी मांगकर बचने की कोशिश करते हैं। यह केवल धार्मिक अपील तक सीमित नहीं है बल्कि इसे सामाजिक और राजनीतिक कल्चर में भी शामिल किया जा रहा है। वैसे तो पाकिस्तान के संविधान और दंड संहिता में 'अल्लाह के नाम पर माफीनामा' जैसी कोई विशेष धारा नहीं है लेकिन धार्मिक भावनाओं के आधार पर इस तरह का हलफनामा दायर कर लोग अपने आरोपों से बचने की कोशिश करते हैं। 

 

कैसे काम करता है 'अल्लाह के नाम पर' माफीनामा?

'अल्लाह के नाम पर' माफीनामा किसी राजनीतिक गलती या घोटाले, कट्टरपंथ और कानून, न्यायपालिका और समाज में प्रभाव के साथ-साथ सामाजिक स्वकृति के आधार पर काम करता है। ऐसे में कई बार नेताओं पर भ्रष्टाचार, घोटाले, या गलत बयानी के आरोप लगते हैं लेकिन वे धार्मिक आधार पर माफी मांगकर सहानुभूति पाने की कोशिश करते हैं। पाकिस्तान में कई बार कट्टरपंथी संगठनों से जुड़े लोगों को भी 'अल्लाह के नाम पर' माफी मिल जाती है, भले ही उन पर गंभीर आरोप क्यों न लगे हों। कभी-कभी कोर्ट में भी दोषी व्यक्ति धार्मिक आधार पर माफी मांगता है जिससे कई बार उसे नरमी मिल सकती है। बता दें कि पाकिस्तान का समाज धार्मिक भावनाओं के जुड़ा हुआ है इसलिए लोग माफी को स्वीकार भी कर लेते हैं खासकर जब यह धर्म के नाम पर मांगी जाती है।

 

यह भी पढ़ें: 'उनके पास बहुत पैसा है', ट्रंप ने बताया क्यों रोकी भारत की फंडिंग?

 

क्या ऐसा करना सही? 

'अल्लाह के नाम पर' माफी मांगने वाली ऐसी आदत पाकिस्तान के न्यायकि व्यवस्था और नैतिकता के लिए चुनौती बनता जा रहा है। बड़े-बड़े अपराधों और गलतियों के लिए जवाबदेही कम हो जाती है। ऐसे में लोग गंभीर से गंभीर आरोपों में भी आसानी से बच जाते है। 

 

'अल्लाह के नाम पर' माफीनामा: पाकिस्तान में चर्चें में रहे यह मामले 

पाकिस्तान में ऐसे कई बड़े नेता रहे जिन्होंने किसी घोटाले, विवाद या आपराधिक मामले से बचने के लिए 'अल्लाह के नाम पर' माफी मांगकर खुद को बचाने की कोशिश की है। ऐसे कुछ प्रमुख मामले जो मशहूर रहे...


पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके सियासी बयानबाजी
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान कई बार विवादित बयान देकर सुर्खियों में रहे हैं। जब उन पर संविधान और कानून के उल्लंघन के आरोप लगे, तब उन्होंने 'अल्लाह के नाम पर' खुद को बचाने की कई बार कोशिश की। हालांकि, उनकी माफी ने उन्हें हर बार नहीं बचाया और अब वे जेल में सजा काट रहे है। 

 

परवेज मुशर्रफ और आपातकाल
पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने 2007 में इमरजेंसी लगाकर न्यायपालिका और मीडिया पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे। जब उन पर संविधान के उल्लंघन का केस चला, तो उन्होंने 'अल्लाह के नाम पर' अपनी गलतियों को स्वीकार करने और नरमी बरतने की अपील की थी। लेकिन अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया और सजा भी सुनाई।

 

नवाज शरीफ पर आरोप

नवाज शरीफ और आसिफ अली जरदारी जैसे बड़े नेताओं पर कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लगे। जब उनके खिलाफ सबूत सामने आए, तो उन्होंने धार्मिक भावनाओं को भड़काने और 'अल्लाह के नाम पर' माफी मांगने जैसी रणनीति अपनाई। कई बार उन्हें जनता से सहानुभूति मिली लेकिन कानून से पूरी तरह बच नहीं सके।

 

यह भी पढ़ें: यूक्रेन में खत्म होगी जंग? सऊदी ने रूस-अमेरिका के बीच करवाई मीटिंग

 

क्या यह माफीनामा कानूनी रूप से कारगर होता है?

बता दें कि पाकिस्तान की न्यायपालिका में ऐसे मामलों में कभी-कभी नरमी बरती जाती है लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता। हालांकि, इस प्रवृत्ति से अपराधों और घोटालों को बढ़ावा मिलता है, क्योंकि कई लोग माफी का सहारा लेकर जवाबदेही से बचने की कोशिश करते हैं।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap