अमेरिका ने रविवार को उन खबरो को सिरे से खारिज कर दिया कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर को वाशिंगटन में अमेरिकी सेना की 250वीं सालगिरह की परेड में मेहमान के तौर पर बुलाया गया था। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी ANI को बताया कि यह सब झूठ है। किसी भी विदेश सैन्य अफसर को न्योता नहीं दिया गया। यह बात तब सामने आई जब कुछ खबरों में कहा गया कि जनरल मुनीर को अमेरिका ने बुलाया था, जिससे भारत में सियासी बवाल मच गया। कांग्रेस ने इसे 'कूटनीतिक चोट' बताया, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद, जिसमें भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे।
कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, 'खबर है कि अमेरिकी सेना दिवस (14 जून) के मौके पर वाशिंगटन डीसी में होने वाले कार्यक्रम में पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर को बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि कूटनीति और रणनीति के लिहाज से ये भारत के लिए बड़ा झटका है। रमेश ने सवाल उठाया कि ये वही शख्स हैं, जिन्होंने पहलगाम आतंकी हमले से पहले भड़काऊ बातें की थीं, तो फिर अमेरिका का इरादा क्या है?'
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बीजेपी ने दी सफाई
दूसरी तरफ, बीजेपी ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया और जयराम रमेश पर 'झूठी खबरें फैलाने' और भारत की विदेश नीति को 'बदनाम करने' का इल्जाम लगाया। बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा कि पीएम मोदी से अपनी पुरानी दुश्मनी के चलते जयराम रमेश ने गैर-जिम्मेदाराना ढंग से फर्जी दावों को हवा दी, जिसमें कहा गया कि जनरल मुनीर को अमेरिकी परेड में बुलाया गया था। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री को निशाना बनाने की जल्दबाजी में रमेश ने न सिर्फ झूठी खबरें फैलाईं, बल्कि भारत की विदेश नीति पर भी सवाल उठाए, जो अनजाने में पाकिस्तान के हितों को बढ़ावा देने वाली बातों को दोहराता है।'
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अमेरिकी सैन्य परेड
वाशिंगटन में रविवार को एक शानदार सैन्य परेड हुई, जो 14 जून, 1775 को अमेरिकी सेना की स्थापना की याद में आयोजित की गई थी। संयोग से इस तारीख पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 79वां जन्मदिन भी था। हजारों सैनिक, टैंक, हेलीकॉप्टर, पैराशूट जवान और सैन्य फ्लाईओवर इस भव्य शो में देखने को मिले।
अमेरिका में ऐसी परेड बहुत कम देखने को मिलती है, क्योंकि भारत या फ्रांस जैसे देशों की तरह यहां हर साल सैन्य परेड की परंपरा नहीं है। आखिरी बार ऐसी बड़ी परेड 1991 में हुई थी, जब खाड़ी युद्ध में ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म की जीत का जश्न मनाया गया था।