सिर्फ पाकिस्तान के झंडे में ही दिखेगी हरियाली! खेत हो जाएंगे वीरान?
दुनिया
• ISLAMABAD 27 Aug 2025, (अपडेटेड 28 Aug 2025, 8:47 AM IST)
बाढ़ में अपनी फसलें और जमीन गंवाने वाले इन किसानों के पास सरकार की तरफ से कोई आर्थिक सुरक्षा नहीं है। जिस तरीके से पाकिस्तान में हर साल प्रचंड बाढ़ आ रही है, उससे देश का बुनियादी ढांचा तबाह हो जा रहा है और कृषि भूमि भी नष्ट हो रही है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। Photo Credit- Sora
पाकिस्तान में 2025 में बादल फटने, मानसूनी बारिश और बाढ़ की एक नई लहर ने पूरे पाकिस्तान में तबाही मचा दी है। देश में इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। भारी बारिश की वजह से पाकिस्तान का पंजाब प्रांत में बाढ़ और PoK में भारी भूस्खलन की मार झेल रहा है। इस साल प्रकृतिक आपदाओं में 800 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। इसके अलाावा 7,225 घरों को नुकसान पहुंचा है और 5,500 से ज्यादा पालतू जानवर बाढ़ के पानी मर गए हैं। साथ ही देश भर में खेती और फसलों का बड़े पैमाने पर विनाश हुआ है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस भीषण बाढ़ के पीछे जलवायु परिवर्तन है। जलवायु परिवर्तन के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील शीर्ष 10 देशों में पाकिस्तान का भी नाम है। इस समय पाकिस्तान अपने इतिहास में जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। हालांकि, यह सिलसिला पिछले 12-13 सालों से चला आ रहा है। जलवायु परिवर्तन की वजह से ही इस साल पाकिस्तान का एक बड़ा भू-भाग बाढ़ की चपेट में है। हैरानी की बात यह है कि वैश्विक उत्सर्जन में पाकिस्तान का योगदान 1 फीसदी से भी कम है।
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2022 की तबाही पर एक नजर
इससे पहले साल 2022 में जलवायु परिवर्तन के कारण ही पाकिस्तान के इतिहास की सबसे भयानक बाढ़ आई थी। उस समय आई भीषण बाढ़ ने देश के लगभग एक-तिहाई हिस्से को जलमग्न कर दिया था, 1,700 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। साथ ही इससे पाकिस्तान को 14.8 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था और 15.2 अरब डॉलर का देश को आर्थिक नुकसान हुआ था। देश में 90 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए थे।
किसानों की खेती पूरी तरह से नष्ट हो गई थी, महीनों से रिहायशी इलाकों में पानी भरा रहा। देश में चाहे 2010, 2012, 2022 या फिर 2025 की बाढ़ हो... लाखों किसानों ने बाढ़ की वजह से अपनी चावल की फसलों के साथ ही उड़द, बाजरे सहित कई फसलों को खो दिया है। इसकी वजह से वहां के किसान भारी कर्ज के बोझ तले दब गए हैं।
2022 की बाढ़ से 3.3 करोड़ लोग प्रभावित
बता दें कि 2022 की बाढ़ से 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। इसमें देश की 40 लाख हेक्टेयर (99 लाख एकड़) कृषि भूमि पूरी तरह से जलमग्न हो गई थी। इस साल की बाढ़ को देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार भी लाखों हेक्टेयर की खेती बाढ़ के पानी में बह जाएगी। इसके साथ ही पाकिस्तान के लाखों किसानों का सपना भी बह जाएगा।
बाढ़ ने पिछले साल भी लाखों लोगों को प्रभावित किया था। देश में लू की वजह से लगभग 600 लोगों की जान चली गई थी। तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी से पाकिस्तान में 13,000 से ज्यादा ग्लेशियर पिघल गए हैं, जिससे बाढ़, बुनियादी ढांचे को नुकसान, जान-माल की हानि, लोगों के लिए खतरा और पानी की कमी का खतरा बढ़ रहा है।
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पाकिस्तान के सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़े
पाकिस्तान के सांख्यिकी ब्यूरो (Pakistan Bureau of Statistics) के मुताबिक, कृषि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख योगदान देती है। खेती पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 24 फीसदी का योगदान देती है। लगभग 4 करोड़ लोगों की आजीविका भी कृषि से जुड़ी है, जो पाकिस्तान के 37 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को रोजगार देती है। इस साल पाकिस्तान के जलवायु परिवर्तन मंत्री ने चेतावनी दी थी कि नदी और नहर नेटवर्क पर पिघलते ग्लेशियरों के प्रभाव के 'पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी परिणाम होंगे।'
किसानों के पास आर्थिक सुरक्षा नहीं
बाढ़ में अपनी फसलें और जमीन गंवाने वाले इन किसानों के पास सरकार की तरफ से कोई आर्थिक सुरक्षा नहीं है। जिस तरीके से पाकिस्तान में हर साल प्रचंड बाढ़ आ रही है, उससे देश का बुनियादी ढांचा तबाह हो जा रहा है और कृषि भूमि भी नष्ट हो रही है। ऐसे में सरकार के पास इतनी बड़ी आबादी को आर्थिक तौर से उबारने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तान के किसान इतनी विषम परिस्थिति में कब तक खेती कर सकते हैं।
कृषि क्षेत्र में 0.6 फीसदी की मामूली बढोतरी
इस साल, कृषि क्षेत्र ने 0.6 फीसदी की मामूली बढोतरी दर्ज की है, जो 2 प्रतिशत के लक्ष्य से काफी कम है और पिछले साल की घोषित 6.4 प्रतिशत की वृद्धि से भी काफी कम है। हालांकि, पाकिस्तान सरकार के पिछले कुछ सालों के आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक, पाकिस्तान में कृषि भूमि की संख्या में वृद्धि को दर्शाते हैं। यह 2010 में 86 लाख से बढ़कर पिछले साल 117 लाख हो गई। इसमें पंजाब प्रांत में खेती घटी है। वहीं, भारी बारिश के पैटर्न में बदलाव ने देश के किसानों को काफी प्रभावित किया है।
खेती अब 'प्रकृति के साथ जुआ' खेलने जैसा
पाकिस्तान आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के मुताबिक, गेहूं और कपास जैसी प्रमुख फसलों में 13.5 प्रतिशत की कमी आई है, जिससे समग्र जीडीपी विकास दर 0.6 प्रतिशत तक सीमित हो गई है। पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान के कई किसानों का मानना है कि देश में अप्रत्याशित जलवायु में खेती करना प्रकृति के साथ जुआ खेलने जैसा है, क्योंकि बार-बार आने वाली बाढ़ और सूखे ने उन्हें कई बार पलायन करने पर मजबूर किया है।
पाकिस्तान में हजारों किसान साल-दर-साल अपनी फसलों को बेबस होकर मुरझाते और बर्बाद होते देखने के बावजूद, खेती करते रहे हैं।
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