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150 वांटेड आतंकियों का 'अड्डा' है PAK, फिर भी IMF से कैसे मिल गया लोन?

150 से ज्यादा वांटेड आतंकियों के ठिकाने पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लोन मिल गया है। भारत ने इसका विरोध भी किया था। फिर भी IMF ने पाकिस्तान को लोन देने को मंजूरी दे दी।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लोन मिल गया है। भारत ने इसका विरोध किया था लेकिन IMF ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर (करीब 8,450 करोड़ रुपये) का लोन देने की मंजूरी दे दी। भारत का कहना था कि इस पैसे का इस्तेमाल पाकिस्तान आतंकवाद फैलाने में करता है। 


पाकिस्तान एक आतंकी मुल्क है। खुद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की लिस्ट में पाकिस्तान के कई आतंकी संगठन और आतंकियों के नाम हैं। इसके बावजूद पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लोन मिल गया है। भारत ने इस लोन का विरोध किया था। भारत ने कहा था कि पाकिस्तान इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने में करता है। भारत ने वोटिंग से भी दूरी बना ली थी लेकिन IMF ने पाकिस्तान को दिए जाने वाले लोन को मंजूरी दे दी। 9 मई को हुई IMF की एग्जीक्यूटिव बोर्ड की मीटिंग में इस लोन को मंजूरी मिली।


IMF से लोन मिलने पर पाकिस्तान ने खुशी जताई है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने IMF से लोन मिलने को भारत की नाकामी बताया है। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है और देश विकास की ओर बढ़ रहा है। भारत एकतरफा आक्रामक के जरिए हमारे देश के विकास से ध्यान हटाने की साजिश रच रहा है।'


भारत ने इसका जबरदस्त विरोध किया था। IMF की मीटिंग के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि 'भारत ने कई बार बताया है कि पाकिस्तान के आर्थिक मामलों में पाकिस्तानी सेना का दखल रहा है, जिसने वहां के सुधार को कमजोर किया है।' विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि सीमा पार आतंकवाद को स्पॉन्सर करना वैश्विक समुदाय को एक खतरनाक मैसेज देता है।

 

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पाकिस्तान को कितना लोन मिला?

पाकिस्तान और IMF के बीच पिछले साल जुलाई में लोन को लेकर एक डील हुई थी। इसके तहत एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत, IMF से पाकिस्तान को 39 महीनों में 7 अरब डॉलर (करीब 60,000 करोड़ रुपये) का लोन मिलना है। 


IMF ने 9 मई को हुई बैठक में EFF के तहत 1 अरब डॉलर के लोन को मंजूरी दे दी है। यह दूसरी किस्त थी। EF    F के जरिए पाकिस्तान को अब तक 2.1 अरब डॉलर मिल चुके हैं।


इसके अलावा, IMF ने रिसाइलेंस एंड सस्टेलिबिलिटी फैसिलिटी (RSF) के तहत, 1.4 अरब डॉलर के नए लोन को भी मंजूरी दे दी है। भारतीय करंसी में यह रकम करीब 12 हजार करोड़ रुपये होते हैं। IMF ने बताया कि RSF से पाकिस्तान को प्राकृतिक आपदा से निपटने और अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद मिलेगी।

 

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भारत की क्यों नहीं चली, PAK को क्यों मिला लोन?

35 साल में यह 28वीं बार है, जब IMF से पाकिस्तान को लोन मिल रहा है। भारत ने IMF के सामने विरोध जताया था। भारत ने वोटिंग से भी दूरी बना ली थी, क्योंकि IMF में विरोध में वोट करने की अनुमति नहीं है।


IMF कोई भी फैसला वोटिंग के आधार पर लेता है। IMF के 191 सदस्य देश हैं और सबके पास एक-एक वोट है। हालांकि, वोट की वैल्यू उस देश की आर्थिक स्थिति के आधार पर होती है। भारत के वोट की वैल्यू 2.75% है, जबकि अमेरिका की 16.5% है। IMF कोई भी फैसला तब लेता है, जब उसके पक्ष में 85% वोट पड़ जाते हैं। भारत ने वोटिंग से भले ही दूरी बना ली लेकिन बाकी देशों से साथ नहीं मिला, इसलिए पाकिस्तान को लोन की मंजूरी मिल गई।


लोन की मंजूरी देने के बाद IMF ने कहा कि पाकिस्तान ने वैश्विक चुनौतियों के बावजूद आर्थिक स्थिरता और भरोसा बहाल करने में प्रगति हासिल की है। IMF ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने अपनी उधारी कम की है और महंगाई को भी कम किया है।


IMF ने EFF के तहत 1 अरब डॉलर के लोन को मंजूरी दी है। यह उन देशों को मिलता है, जिनके पास अपने इम्पोर्ट बिल को चुकाने की रकम नहीं होती। EFF के तहत पाकिस्तान को जो पैसा मिल रहा है, वह उसे चुकाना होगा। 

 

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पाकिस्तान को क्यों थी कर्ज की जरूरत?

पाकिस्तान IMF का सबसे बड़ा कर्जदार है। IMF के मुताबिक, पाकिस्तान पर उसकी 6.2 अरब डॉलर (करीब 52 हजार करोड़ रुपये) की उधारी है। IMF के अलावा वर्ल्ड बैंक से भी पाकिस्तान को 48 अरब डॉलर की मदद मिली है। 


पाकिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था कर्ज पर चल रही है। 2024 तक उस पर 130 अरब डॉलर (11 लाख करोड़ रुपये) का कर्ज था। पाकिस्तान ने चीन, सऊदी अरब और कतर से भी कर्ज लिया है। पिछले कुछ समय से पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर है। इसलिए उसके लिए यह कर्ज जरूरी था। 


कुछ साल में पाकिस्तान में महंगाई भी जबरदस्त तरीके से बढ़ी है। 2019 में पाकिस्तान में महंगाई दर 10.7% थी, जो 2024 तक बढ़कर 23.4% हो गई। इसका मतलब हुआ कि 2019 में पाकिस्तान में जो चीज 100 रुपये की थी, वह 2024 तक बढ़कर 215 रुपये की हो गई। 


इतना ही नहीं, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी खाली हो रहा है। अमेरिकी डॉलर की तुलना में उसकी करंसी भी लगातार कमजोर हो रही है। मई 2020 में 1 डॉलर का भाव 160 पाकिस्तानी रुपये था। अब यह बढ़कर 281 पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा हो गया है।

 

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लेकिन आतंकी मुल्क भी तो है पाकिस्तान

पाकिस्तान पैसा ले लेता है और उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए करता है। पहलगाम अटैक में भी पाकिस्तान का ही हाथ था। पहलगाम अटैक में शामिल तीन आतंकी पाकिस्तानी थे। इतना ही नहीं, इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों को पाकिस्तान से ट्रेनिंग मिली थी।


पाकिस्तान के कई आतंकवादी संगठन और आतंकी संयुक्त राष्ट्र की ब्लैकलिस्ट में है। इसे 1267 ISIL या अल-कायदा समिति कहा जाता है। जनवरी 2023 में संयुक्त राष्ट्र ने बताया था कि 150 से ज्यादा आतंकी और आतंकी संगठन पाकिस्तान या पाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर से काम कर रहे हैं।


संयुक्त राष्ट्र की लिस्ट में लश्कर-ए-तैयबा का चीफ और मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद, लश्कर का टॉप कमांडर जकी-उर रहमान लखवी, जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भी शामिल है। इस लिस्ट में शामिल आतंकियों और आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करना जरूरी होता है लेकिन पाकिस्तान में यह आतंकी खुलेआम अपनी जिंदगी जी रहे हैं।

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