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तनातनी से दोस्ती तक... भारत और जापान के रिश्तों की कहानी

पीएम मोदी 7 साल बाद भारत-जापान शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए जापान जा रहे हैं। ऐसे में जानते हैं कि भारत और जापान के बीच रिश्ते कैसे हैं? कारोबार कितना होता है?

pm modi japan visit

पीएम मोदी और जापानी पीएम शिगरू इशिबा। (Photo Credit: PMO India)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन से पहले जापान पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की जापान की यह 8वीं यात्रा है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी टोक्यो में 15वें भारत-जापान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। पीएम मोदी 29 और 30 अगस्त को जापान में रहेंगे। 30 अगस्त की शाम को जापान से ही चीन चले जाएंगे। चीन में पीएम मोदी SCO समिट में हिस्सा लेंगे। 7 साल बाद पीएम मोदी चीन जा रहे हैं।
 
विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के बीच यह पहली समिट होगी। इस दौरान दोनों के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी।

क्यों खास  है PM मोदी का यह दौरा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा कई मायनों में खास है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि पीएम मोदी ने आखिरी बार 2018 की समिट के लिए जापान का दौरा किया था। इसके 7 साल बाद पीएम मोदी जापान जा रहे हैं।
 
हालांकि, इस दौरान पीएम मोदी ने कई बार जापान का दौरा किया है लेकिन वह मल्टीलेटरल मीटिंग और दूसरे औपचारिक कार्यक्रमों के लिए किया है। इसलिए, यह ऐसी यात्रा है भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी। 
 
जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा और पीएम मोदी पहले भी कई बार मुलाकात कर चुके हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों के बीच पहली मुलाकात विएंतियाने में ASEAN समिट के दौरान हुई थी। इस साल जून में कनाडा में हुई G7 समिट के दौरान भी पीएम मोदी और जापानी पीएम इशिबा के बीच मुलाकात हुई थी। हालांकि, यह पहली बार होगा जब शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और इशिबा के बीच मुलाकात होगी।
 

भारत और जापान में कैसे हैं रिश्ते?

भारत और जापान के रिश्ते कभी खट्टे हुआ करते थे। हालांकि, दो दशकों से दोनों के बीच बहुत अच्छे संबंध है। 
 
वैसे तो भारत और जापान के बीच 1952 में ही कूटनीतिक संबंध स्थापित हो गए थे। मगर 1974 में भारत ने जब पोखरण में परमाणु परीक्षण किया तो इससे जापान नाराज हो गया। इसके बाद मई 1998 में जब भारत ने दूसरी बार परमाणु परीक्षण किया तो जापान ने इस पर भी आपत्ति जताई। परमाणु परीक्षणों ने भारत और जापान के रिश्तों को प्रभावित किया।
 
भारत और जापान के रिश्ते पटरी पर तब लौटे, जब अगस्त 2000 में जापानी पीएम योशिरो मोरी ने भारत का दौरा किया। इसके बाद 2005 में जापान के तत्कालीन पीएम जुनिचिरो कोइजुमी ने भारत की यात्रा की। इसी दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने हर साल भारत-जापान शिखर सम्मेलन आयोजन करने का फैसला लिया। 2006 में इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जापान का दौरा किया था।
 
2014 में नरेंद्र मोदी के सरकार में आने के बाद से भारत और जापान के रिश्तों में और ज्यादा सुधार आया है। मोदी सरकार में ही जापान के साथ बुलेट ट्रेन को लेकर समझौता हुआ था। इसके अलावा, 2023 में भारत और जापान के बीच 'वीर गार्डियन 2023 एयर कॉम्बैट' अभ्यास भी हुआ था। यह दोनों के बीच इस तरह का पहला अभ्यास था। 
 

भारत और जापान में कितना है कारोबार?

भारत और जापान के बीच कारोबारी रिश्ते काफी पुराने हैं। दोनों के बीच सालाना अरबों डॉलर का कारोबार होता है। 2024-25 में ही भारत और जापान के बीच 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हुआ था। 2020-21 की तुलना में 2024-25 में भारत और जापान के बीच होने वाला कारोबार 87 फीसदी ज्यादा बढ़ गया था।
 
कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 2024-25 में जापान को लगभग 53 हजार करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट (निर्यात) किया था। वहीं, जापान से 1.59 लाख करोड़ रुपये का इम्पोर्ट (आयात) हुआ था। 
 
भारत, जापान से ऑर्गनिक केमिकल, गाड़ियां, न्यूक्लियर रिएक्टर, एल्युमिनियम और मछली जैसे प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट करता है। वहीं जापान से न्यूक्लियर रिएक्टर, कॉपर, मशीनरी, केमिकल, आयरन और स्टील जैसे सामान खरीदता है।
 
 

निवेश कितना होता है?

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 2000 से लेकर दिसंबर 2024 तक जापान ने भारत में 43.2 अरब डॉलर का निवेश किया है। भारत में सबसे ज्यादा निवेश करने वाला जापान 5वां देश है। 
 
हालिया सालों में भारत में जापान का निवेश काफी बढ़ा है। 2021-22 में जापान ने 1.49 अरब डॉलर का निवेश किया था, जो 2022-23 में बढ़कर 1.79 अरब डॉलर हो गया। 2023-24 में जापान ने भारत में 3.17 अरब डॉलर और 2024-25 में 2.48 अरब डॉलर का निवेश किया था।
 
दिल्ली मेट्रो के लिए भी जापान ने बहुत मदद की है। दिसंबर 2022 तक जापान ने दिल्ली मेट्रो के लिए 550 अरब रुपये की मदद की थी। मार्च 2025 में जापान ने 4,650 करोड़ रुपये की और वित्तीय मदद के लिए समझौता किया था। 
 
विदेश मंत्रालय के दस्तावेज के मुताबिक, भारत में अभी 1,400 से ज्यादा जापानी कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। वहीं, जापान में 100 से ज्यादा भारतीय कंपनियां हैं।

कितने लोग रहते हैं?

जापान में रहने वाले भारतीयों की तादाद भी अच्छी-खासी है। दिसंबर 2024 तक जापान में रहने वाले भारतीयों की संख्या 53,974 थी। जापान की राजधानी टोक्यो के निशीकसाई को 'मिनी इंडिया' भी कहा जाता है। वहीं, भारत में अक्टूबर 2024 तक 8,102 जापानी रहते थे।

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