यूके के दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मालदीव पहुंचने वाले हैं। यह पीएम मोदी का तीसरा मालदीव दौरा है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के न्योते पर पीएम मोदी स्टेट विजिट कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने बताया कि पीएम मोदी की यह यात्रा भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी' को दिखाती है। इससे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे।
इस दौरे में पीएम मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के बीच द्विपक्षीय बैठक भी होगी। पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू के बीच रणनीतिक सहयोग, आर्थिक साझेदारी और समुद्री सुरक्षा पर बातचीत होगी। इस दौरान कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होने की भी उम्मीद है।
पीएम मोदी मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के चीफ गेस्ट भी रहेंगे। मालदीव की राजधानी माले में यह कार्यक्रम होना है।
क्या है इस यात्रा का एजेंडा?
इससे पहले पीएम मोदी नवंबर 2018 और जून 2019 में मालदीव की यात्रा कर चुके हैं। 2023 में मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद पीएम मोदी का यह पहला दौरा है।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार मालदीव पहुंचे पीएम मोदी इस दौरान कई प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन भी करेंगे।
विदेश मंत्रालय के सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि नवंबर 2023 में मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद किसी देश के राष्ट्रप्रमुख की यह पहली स्टेट विजिट है।
उन्होंने कहा, 'मालदीव हमारे पड़ोस में है और हमारा एक बहुत करीबी साझेदार है। यह भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और महासागर विजन का भी हिस्सा है, जो सुरक्षा और विकास के लिए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है। संकट के समय, चाहे प्राकृतिक हो या मानवनिर्मित, हमने हमेशा मालदीव की जरूरतों का तुरंत समर्थन किया है। हमारे बीच मजबूत राजनीतिक संबंध रहे हैं, जो नियमित उच्च स्तरीय दौरों से और मजबूत होते रहे हैं।'
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भारत और मालदीव के रिश्ते?
मालदीव हिंद महासागर में बसा एक छोटा सा देश है जो 90 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला है। हालांकि, इसका 300 वर्ग किलोमीटर से भी कम इलाका जमीनी है।
मालदीव हमेशा से भारत का अहम सहयोगी रहा है। साल 1965 में मालदीव को ब्रिटेन से आजादी मिली थी। 2008 तक यहां सिंगल पार्टी सिस्टम था। 1968 से 1978 तक इब्राहिम नासिर मालदीव के राष्ट्रपति थे। उनके बाद मौमून अब्दुल गयूम राष्ट्रपति बने। साल 1988 में सेना ने गयूम का तख्तापलट करने की कोशिश भी की थी और तब भारत ने अपनी सेना भेजकर उनकी सरकार बचाई थी।
2008 में मालदीव में नया संविधान लागू किया गया और तब जाकर यहां मल्टी पार्टी सिस्टम आया। शुरुआत में जो सत्ता आई, वह चीन की समर्थक रही। आखिरकार 2018 में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह राष्ट्रपति बने जो भारत के समर्थक थे। नवंबर 2018 में पीएम मोदी उनके शपथ ग्रहण समारोह में भी गए थे। उनकी सरकार में भारत और मालदीव की करीबियां काफी बढ़ीं।
हालांकि, नवंबर 2023 में मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास भी आई। मुइज्जू ने अपना राष्ट्रपति चुनाव 'इंडिया आउट' के नारे पर लड़ा था। इसके बाद दिसंबर 2023 में जब पीएम मोदी लक्षद्वीप गए थे तो मुइज्जू सरकार के मंत्रियों ने आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में और खटास आ गई।
मुइज्जू को चीन का समर्थक माना जाता है। हालांकि, वे इससे इनकार करते रहे हैं। यही भारत के लिए चिंता की बात है।
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मालदीव के लिए जरूरी है भारत से अच्छे रिश्ते
मालदीव के लिए भारत से अच्छे रिश्ते बनाए रखना जरूरी हैं। भारत ही उसका सबसे करीबी पड़ोसी है। मालदीव में जब-जब कोई संकट आया है, तब-तब भारत ही उसके साथ सबसे पहले खड़ा हुआ है। दिसंबर 2004 में जब सुनामी आई थी, तब भारत पहला देश था जिसने मालदीव की मदद की थी।
मालदीव अपनी कई सारी जरूरतों के लिए भारत पर निर्भर है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) मालदीव का सबसे बड़ा फाइनेंसर रहा है। मालदीव में भारत ने काफी निवेश किया है। भारत ने वहां अस्पताल से लेकर सड़कें, ब्रिज, रोड, मस्जिद और कॉलेज तक बनाया है।
मुइज्जू के दौर में दोनों देशों के बीच भले ही रिश्तों में थोड़ी कड़वाहट आई हो लेकिन भारत ने तब भी मालदीव की मदद करना जारी रखा है। अब इसे ऐसे समझ लीजिए कि 2024-25 में भारत ने मालदीव को 470 करोड़ रुपये की मदद की थी। 2025-26 में भारत उसे 600 करोड़ रुपये की मदद करेगा।