डोनबास में ऐसा क्या है जिसे जंग खत्म करने के बदले मांग रहे पुतिन?
दुनिया
• NEW DELHI 18 Aug 2025, (अपडेटेड 18 Aug 2025, 1:20 PM IST)
अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई मीटिंग में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने युद्ध खत्म करने के बदले डोनबास की मांग कर दी है। हालांकि, यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की इसके लिए तैयार नहीं हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर हलचल बढ़ गई है। अलास्का में 15 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक हुई थी। बैठक से कुछ खास तो निकलकर नहीं आया लेकिन एक उम्मीद जगी है जंग खत्म होने की। मगर किस कीमत पर? पुतिन चाहते हैं कि यूक्रेन का डोनबास उन्हें मिल जाए तो वह जंग खत्म कर देंगे।
पर क्या यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की इसके लिए तैयार होंगे? इसे लेकर सोमवार को वॉशिंगटन डीसी में जेलेंस्की की ट्रंप और यूरोपीय नेताओं के साथ बैठक होगी। इस मीटिंग से पहले ट्रंप साफ कर चुके हैं कि यूक्रेन को क्रीमिया वापस नहीं मिलेगा।
मीटिंग से पहले ट्रंप के खास दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा कि पुतिन इस बात के लिए राजी हो गए हैं कि अमेरिका और यूरोप यूक्रेन को NATO जैसी सिक्योरिटी गारंटी दे सकता है।
क्या है पुतिन की डिमांड?
ट्रंप ने पहले 'लैंड स्वैपिंग' की बात कही थी। इससे ऐसा लग रहा था कि जमीन की अदला-बदली होगी। मतलब, रूस को यूक्रेन की कुछ जमीन मिलेगी और यूक्रेन को रूस की कुछ जमीन मिलेगी। हालांकि, अब इन संभावनाओं को खारिज कर दिया गया है।
हालांकि, अब माना जा रहा है कि कोई 'लैंड स्वैपिंग' नहीं होगी। अगर कोई डील होती भी है तो उससे पुतिन को ही फायदा होगा।

ट्रंप का कहना है कि पुतिन चाहते हैं कि डोनेत्स्क और लुहांस्क रूस को सौंप दिया जाए। डोनेत्स्क और लुहांस्क यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र का हिस्सा हैं। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं है कि ट्रंप ने पुतिन की इस मांग को माना है या नहीं।
बताया जा रहा है कि पुतिन ने शर्त रखी है कि अगर रूस को डोनबास मिल जाता है तो जेपोरीजिया और खेरसान से अपनी सेना को हटा देंगे। दोनों ही जगह पर रूस की सेना ने कब्जा कर रखा है।
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क्या जेलेंस्की मानेंगे?
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पुतिन की इस मांग को खारिज कर दिया है। जेलेंस्की का मानना है कि अगर रूस को डोनबास सौंप दिया गया तो भविष्य में और भी हमले होंगे।
मीडिया से बात करते हुए जेलेंस्की ने कहा, 'रूसियों के लिए डोनबास भविष्य में नई जंग शुरू करने का आधार होगा। अगर हम अपनी मर्जी से या दबाव में आकर डोनबास छोड़ते हैं तो हम तीसरी जंग का रास्ता खोल देंगे। रूस ने 2014 में क्रीमिया पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था और फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला कर दिया।'
वहीं, ट्रंप ने कहा, 'यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की अगर चाहें तो रूस के साथ युद्ध तुरंत खत्म कर सकते हैं या फिर लड़ाई जारी रख सकते हैं।' उन्होंने कहा, 'याद कीजिए कि इसकी शुरुआत कैसे हुई थी? ओबामा की ओर से दिया गया क्रीमिया वापस नहीं मिलेगा और यूक्रेन NATO में शामिल नहीं होगा। कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं।'
स्टीव विटकॉफ ने कहा, 'हम अभी शांति समझौते से बहुत दूर हैं। हम शांति समझौते के मुहाने पर नहीं हैं लेकिन मुझे लगता है कि इस दिशा में प्रगति हुई है। लैंड स्वैपिंग पर विचार चल रहा है। सोमवार की मीटिंग में जिन मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है, उनमें से एक यह भी है कि जमीन के बदले में जेलेंस्की को क्या रियायतें दी जा सकती हैं।'
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यूक्रेन माना तो क्या रुक जाएगी जंग?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि जेलेंस्की अगर चाहें तो तुरंत युद्ध खत्म कर सकते हैं। इसका मतलब हुआ कि ट्रंप ने अब गेंद जेलेंस्की के पाले में डाल दी है। ट्रंप का कहना है कि पुतिन डोनबास चाहते हैं।
पुतिन से मुलाकात के बाद ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा था, 'सभी ने तय किया है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे इस युद्ध को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका सीधे एक शांति समझौते तक पहुंचना है। सिर्फ युद्धविराम समझौता नहीं, जो अक्सर लंबे समय तक टिक नहीं पाता।'
इससे पहले ट्रंप ने फॉक्स न्यूज से बातचीत में जेलेंस्की को पुतिन की शर्तें मान लेने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि जेलेंस्की को डील कर लेना चाहिए।
जंग खत्म करने के लिए पुतिन ने सबसे बड़ी शर्त यही रखी है कि डोनबास रूस को सौंप दिया जाए। जेलेंस्की को इस बात का डर है कि अगर डोनबास छोड़ दिया गया तो हो सकता है भविष्य में रूस फिर से यूक्रेन पर हमला कर दे। हालांकि, यूक्रेन को सिक्योरिटी गारंटी देने की बात पर पुतिन राजी हो गए हैं। ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने एक कार्यक्रम में इसकी जानकारी दी।
विटकॉफ ने बताया कि पुतिन इस बात के लिए राजी हो गए हैं कि अमेरिका और यूरोप यूक्रेन को सिक्योरिटी गारंटी दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि NATO के आर्टिकल 5 जैसी सिक्योरिटी गारंटी यूक्रेन को मिल सकती है। NATO का आर्टिकल 5 कहता है कि अगर किसी भी सदस्य पर कोई विदेशी हमला होता है तो इसे सभी सदस्यों पर हमला माना जाएगा और सभी सदस्य मिलकर इसका जवाब देंगे।
हालांकि, ट्रंप यह साफ कर चुके हैं कि यूक्रेन को NATO में शामिल नहीं किया जाएगा। हालांकि, इसके बावजूद यूक्रेन को अमेरिका और यूरोप की ओर से सिक्योरिटी गारंटी मिल सकती है। शांति समझौते के लिए जेलेंस्की लंबे समय से सिक्योरिटी गारंटी मांग रहे थे।
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मगर डोनबास क्यों चाहते हैं पुतिन?
यूक्रेन के साथ जंग शुरू करने से दो दिन पहले ही पुतिन ने डोनबास के डोनेत्स्क और लुहांस्क को एक अलग राष्ट्र के तौर पर मान्यता दे दी थी।
रूस का डोनबास के 88% यानी 46,570 वर्ग किलोमीटर इलाके पर कब्जा है। रूस का लुहांस्क के लगभग सभी हिस्से और डोनेत्स्क के 75% हिस्से पर कंट्रोल है। यूक्रेन के पास डोनबास का सिर्फ 6,600 वर्ग किमी का इलाका ही है।
2014 में रूस ने जब क्रीमिया पर कब्जा किया था तो उसके बाद से ही डोनेत्स्क और लुहांस्क में रूस समर्थित अलगाववादियों का कब्जा हो गया था। 2014 से ही डोनबास में अलगाववादियों और यूक्रेन के बीच संघर्ष चल रहा है। रूस का दावा है कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद दुनियाभर से जो रूसी लौटे, वे डोनेत्स्क और लुहांस्क में आकर बसे।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 के बाद से अब तक डोनेत्स्क और लुहांस्क से 15 लाख लोग निकल चुके हैं। अब भी 30 लाख लोग ऐसे इलाकों में रह रहे हैं, जहां रूस का कब्जा है। वहीं, यूक्रेन के कब्जे वाले इलाकों में सिर्फ 3 लाख लोग ही हैं।
माना जाता है कि डोनबास में कोयले का बड़ा भंडार है। इसलिए भी यह रूस और यूक्रेन, दोनों के लिए मायने रखता है।
इसके अलावा, डोनबास में 50 किलोमीटर लंबा एक गलियारा है, जिसे 'फोर्ट्रेस बेल्ट' कहा जाता है। यह रणनीतिक लिहाज से काफी अहम माना जाता है। अभी इस पर यूक्रेन का नियंत्रण है।
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क्या डोनबास के लोग रूस के साथ जाएंगे?
रूस दावा करता है कि डोनबास के डोनेत्स्क और लुहांस्क में रहने वाले लोग उसके साथ आना चाहते हैं। 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के कुछ महीने बाद अलगाववादियों ने यहां जनमत संग्रह करवाया था। उनका दावा था कि डोनेत्स्क के 89% और लुहांस्क के 96% लोगों ने यूक्रेन से अलग होने के समर्थन में वोट दिया था।
हालांकि, कीव इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशियोलॉजी के सर्वे के अनुसार, 75% यूक्रेनी लोग किसी भी क्षेत्र को रूस को सौंपने के खिलाफ हैं।
लेकिन साढ़े तीन साल से चल रही जंग से भी लोग थक चुके हैं। डोनेत्स्क में इमरजेंसी रेस्क्यू वर्कर येवहेन तकाचोव ने बीबीसी से कहा, 'मैं हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन के लिए हजारों लोगों की जान देने के लिए तैयार नहीं हूं। जमीन से ज्यादा जिंदगी महत्वपूर्ण है।'
इन सबके बीच पुतिन साफ कर चुके हैं कि जंग के 'मूल कारण' को खत्म करना जरूरी है। वहीं, यूरोपीय नेताओं का कहना है कि ट्रंप को पुतिन की मांगों को नहीं मानना चाहिए।
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