जमीन की बजाय पानी में क्यों लैंड करते हैं अंतरिक्ष यात्री? समझिए
दुनिया
• NEW DELHI 16 Jul 2025, (अपडेटेड 16 Jul 2025, 10:25 AM IST)
जब भी कोई स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष से पृथ्वी लौटता है तो उसे जमीन की बजाय समंदर में उतारा जाता है। ऐसा क्यों होता है? जमीन पर लैंड क्यों नहीं कराया जाता? समझते हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: PTI)
भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला धरती पर लौट आए हैं। उनका स्पेसक्राफ्ट मंगलवार दोपहर 3 बजे फ्लोरिडा के समुद्र तट पर उतरा। शुभांशु ने प्राइवेट स्पेस मिशन Axiom-4 के तहत 25 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरी थी। इस मिशन में उनके साथ गए तीन और अंतरिक्ष यात्री भी लौट आए हैं। मंगलवार को लैंड करने के 50 मिनट बाद शुभांशु और बाकी अंतरिक्ष यात्री कैप्सूल से बाहर आए। इस मिशन पर गए चारों अंतरिक्ष यात्री अब 7 दिन तक क्वारंटीन में रहेंगे।
शुभांशु ने इस मिशन में 18 दिन ISS में और 20 दिन में अंतरिक्ष में बिताए। अंतरिक्ष में इतना लंबा वक्त बिताने वाले शुभांशु पहले भारतीय हैं। इतना ही नहीं, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की सैर करने वाले शुभांशु दूसरे भारतीय हैं। भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन शुभांशु भारत के स्पेस मिशन 'गगनयान' का भी हिस्सा है, जिसे 2027 में लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन में चार भारतीय अंतरिक्ष जाएंगे। इस तरह का यह भारत का पहला मिशन होगा।
20 दिन अंतरिक्ष में रहने के दौरान शुभांशु शुक्ला ने 320 बार पृथ्वी की परिक्रमा की। इस दौरान उन्होंने ISS पर 31 देशों के लिए 60 प्रयोग किए, जिनमें से 7 ISRO के थे। सोमवार शाम को 4:35 बजे शुभांशु और उनकी टीम का एयरक्राफ्ट ISS से अलग हुआ था। इसके बाद लगभग 22.5 घंटे के सफर के बाद मंगलवार दोपहर को उनका एयरक्राफ्ट समंदर में उतरा। तकनीकी भाषा में इसे 'स्प्लैशडाउन' कहा जाता है।
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मगर पानी में ही क्यों होती है लैंडिंग?
इससे पहले जब सुनीता विलियम्स स्पेस से लौटी थीं तो उनका स्पेसक्राफ्ट भी फ्लोरिडा के समंदर में उतरा था। आमतौर पर जब भी कोई अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटता है तो उसकी लैंडिंग समंदर में ही होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि स्पेसक्राफ्ट को जमीन की बजाय समंदर में लैंड क्यों किया जाता है?
.#Ax4 Pilot Shubhanshu Shukla has made history as the first astronaut from India to conduct a mission aboard the International Space Station, inspiring the next generation of explorers. @isro pic.twitter.com/wCMZ3yD9WW
— Axiom Space (@Axiom_Space) July 15, 2025
दरअसल, जमीन की तुलना में समंदर में लैंडिंग करना ज्यादा सेफ माना जाता है। दरअसल, जब कोई स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वातावरण में आता है तो 120 से 130 किलोमीटर की ऊंचाई पर होता है। इस दौरान उसकी रफ्तार 27,359 किलोमीटर प्रति घंटा रहती है।
ऐसी स्थिति में जमीन पर वर्टिकल लैंडिंग करवाने के लिए इतना समय नहीं होता कि स्पीड को कंट्रोल किया जा सके और सेफ लैंडिंग हो सके। अगर जमीन पर वर्टिकल लैंडिंग करवाते भी हैं तो उसके लिए वर्टिकल लैंडिंग सिस्टम और लैंडिंग लेग्स की जरूरत होगी, जो काफी महंगे होते हैं। इसके बावजूद अगर सेफ लैंडिंग नहीं हुई तो दुर्घटना भी हो सकती है।
Axiom-4 मिशन में स्प्लैशडाउन के वक्त स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को 25 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा पर लाया गया था, जो समंदर में लैंडिंग के लिए सही है।
हालांकि, समंदर में लैंडिंग भी पूरी तरह से स्मूद नहीं होती है लेकिन पानी में उतरने से स्पेसक्राफ्ट, पेलोड और अंदर बैठी क्रू को नुकसान नहीं होता है।
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और कोई भी कारण है क्या?
समंदर में लैंडिंग करवाने का एक और कारण है और वह है खुला इलाका। जमीन पर लैंडिंग करवाने के लिए सटीक लोकेशन जरूरी है। इसकी तुलना में समंदर में इसकी जरूरत नहीं है। लैंडिंग के दौरान अगर स्पेसक्राफ्ट हवा या समंदर की लहरों से थोड़ा भटक भी जाए तो इसके किसी चीज से टकराने का खतरा नहीं होता।
इसके अलावा, जिस कैप्सूल में बैठकर अंतरिक्ष यात्री लौटते हैं उसे पानी पर तैरने के लिए ही डिजाइन किया गया है। यह शंकु यानी कॉनिकल शेप का होता है। इनका निचला हिस्सा गोल धातु का बना होता है, जो नाव की पतवार की तरह काम करता है और इसे तैरने में मदद करता है।
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Dragon’s four main parachutes have deployed pic.twitter.com/oGfRfqCymB
— SpaceX (@SpaceX) July 15, 2025
कैसे होता है स्प्लैशडाउन?
जब कोई स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल में लौटता है तो उसकी स्पीड धीमी हो जाती है। हालांकि, सेफ लैंडिंग के लिए कई जरूरी उपाय करने की जरूरत होती है।
सेफ लैंडिंग के लिए स्पेसक्राफ्ट में पैराशूट और ड्रोग पैराशूट लगाए जाते हैं। ड्रोग पैराशूट छोटे होते हैं, जो वायुमंडल में आने के बाद स्पेसक्राफ्ट को स्थिर करते हैं और स्पीड को कम करते हैं। स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल लगभग 18 हजार फीट की ऊंचा पर इन पैराशूटों को खोलता है।
स्पेसक्राफ्ट जब 6,500 फीट की ऊंचाई पर पहुंचता है तो ड्रोग पैराशूट अलग हो जाते हैं। इसके बाद चार मुख्य पैराशूट खुलते हैं, जो स्पीड को और धीमा करते रहते हैं।
कोई भी स्पेसक्राफ्ट पर पृथ्वी पर वर्टिकल लैंडिंग नहीं करता है, बल्कि एक एंगल बनाते हुए नीचे आता है। लैंडिंग के दौरान स्पेसक्राफ्ट की स्पीड 25 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाती है, जो समंदर में स्प्लैशडाउन के लिए सेफ है।
राकेश शर्मा ने जमीन पर किया था लैंड
आजकल लगभग सभी स्पेस मिशन से जब अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटते हैं तो वे समंदर में ही लैंड करते हैं। हालांकि, जब राकेश शर्मा अंतरिक्ष से लौटकर आए थे उन्होंने जमीन पर लैंड किया था। राकेश शर्मा अंतरिक्ष की सैर करने वाले पहले भारतीय हैं। 1984 में सोवियत संघ के सोयुज स्पेसक्राफ्ट से राकेश शर्मा अंतरिक्ष गए थे। अप्रैल 1984 में वे वापस लौटे थे। उनकी लैंडिंग कजाकिस्तान में हुई थी।
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