सिंगापुर में गुरुवार को एक भारतीय नागरिक को 11 साल की बच्ची का दो बार यौन उत्पीड़न करने के जुर्म में 14 साल से ज्यादा की जेल की सजा सुनाई गई। जिस भारतीय नागरिक को सजा सुनाई गई है, उसका नाम रामलिंगम सेल्वासेकरम है और उसकी उम्र 58 साल है।
सिंगापुर के कानून में दोषी को कोड़े मारने की सजा भी दी जाती है। चूंकि, रामलिंगम की उम्र 50 साल से ज्यादा है, इसलिए उसे कोड़े नहीं मारे जाएंगे। इसके बदले में सिंगापुर की हाई कोर्ट ने उसकी सजा बढ़ाकर 14 साल, 3 महीने और 2 हफ्ते कर दी है।
7 जुलाई को रामलिंगम को बलात्कार समेत तीन आरोपों में दोषी पाया गया था। 30 जुलाई को सजा पर बहस के दौरान रामलिंगम ने खुद को बेगुनाह बताया और कहा कि वह अपनी सजा के खिलाफ अपील करेंगे।
सजा मिली लेकिन जमानत भी मिल गई
रामलिंगम को अदालत ने दोषी पाते हुए सजा सुनाई लेकिन उसे जमानत पर भी रिहा कर दिया गया। रामलिंगम को 80 हजार सिंगापुरी डॉलर के मुचलके पर जमानत दे दी गई।
जमानत देते हुए जस्टिस एडन जू ने कई शर्तें भी रखीं। वह तब तक जमानत पर रिहा रहेंगे, जब तक उनकी अपील लंबित रहेगी। इसके साथ ही उन्हें हमेशा इलेक्ट्रॉनिक टैग पहनकर रखना होगा और नियमित रूप से पुलिस स्टेशन जाकर हाजिरी लगानी होगी।
यह भी पढ़ें-- दुश्मन या दोस्त? चीन-अमेरिका के बारे में क्या सोचती है दुनिया?
दुकान में ले जाकर किया यौन उत्पीड़न
घटना 28 अक्टूबर 2021 की है। उस दिन शाम 4:50 बजे से 5:05 बजे के बीच सिंगापुर के पश्चिमी तट पर जुरोंग वेस्ट स्थित अपनी दुकान पर बच्ची के साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया था। लड़की उनके स्टोर पर गई थी और उसी दिन बाद में आइसक्रीम खरीदने के लिए लौटी।
आरोप है कि उस वक्त 55 साल का रामलिंगम लड़की को अपनी दुकान के भीतर ले गया था, जहां उसने उसे छुआ और उसे ओरल सेक्स करने के लिए मजबूर किया था।
रामलिंगम ने अपने पक्ष में क्या कहा था?
इसके बाद लड़की ने एक राहगीर से मदद मांगी थी, जिसने पुलिस को फोन किया था। रामलिंगम ने दलील दी थी कि लड़की की गवाही पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। रामलिंगम ने कहा कि इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता कि वह मदद के लिए अजनबी के पास गई, जबकि वह किसी जानने वाले के पास जा सकती थी। उसने तर्क दिया कि यह संदिग्ध है कि घटना के बाद उसके घर लौटने का कोई पुलिस कैमरे में फुटेज नहीं है।
उसने यह भी दलील दी थी कि वह पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं कर सकता क्योंकि वह इरेक्टाइल डिसफंक्शन से पीड़ित था और उन्होंने यह भी बताया कि पीड़िता के शरीर पर उनका डीएनए नहीं पाया गया।
यह भी पढ़ें-- 'मेरे रिजॉर्ट से जवान लड़कियां चुराता था एपस्टीन', ट्रंप का दावा
अदालत ने क्या कहा?
हालांकि, कोर्ट ने उसकी सभी दलीलों को खारिज कर दिया। जस्टिस एडन जू ने कहा कि लड़की की गवाही में कोई कमजोरी नहीं थी। उसकी कम उम्र और अपरिपक्वता को ध्यान में रखते हुए यह समझा जा सकता है कि उसने विरोध नहीं किया या तुरंत अपने परिवार को नहीं बताया।
कोर्ट ने कहा कि रामलिंगम ने पुलिस को दिए शुरुआती बयानों में माना था कि उन्होंने लड़की को गले लगाया, चूमा और उससे ओरल सेक्स करवाया। बाद में इन बयानों से मुकरना उनकी विश्वसनीयता को कम करता है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन के बावजूद एक्सपर्ट का कहना है कि ओरल सेक्स करना मुमकीन है। कोर्ट ने कहा कि DNA न मिलने से यह साबित नहीं हो जाता कि लड़की के साथ यौन उत्पीड़न नहीं हुआ था।