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पहले लगाया, फिर हटाया, कोरिया में मार्शल लॉ की कहानी क्या है?

दक्षिण कोरिया में उत्तर कोरिया समर्थकों की आवाज दबाने के लिए वहां की सरकार ने मार्शल लॉ का ऐलान किया है। अब पूरी शासन व्यवस्था सेना के हाथों में है। राष्ट्रपति यून ने कहा है कि वे उत्तर कोरिया के हक में आवाज उठाने वाले ताकतों को मिटाकर रहेंगे।

Yoon Suk Yeol

उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने इमरजेंसी वापस ले ली है। (इमेज क्रेडिट- फेसबुक)

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योग ने मंगलवार की देर रात इमरजेंसी का ऐलान किया है। उन्होंने देश में मार्शल लॉ की घोषणा की, जिसे बात में उन्हें वापस लेना पड़ा। उन्होंने विपक्षी दल के नेताओं पर आरोप लगाया कि वे उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखते हैं और देश विरोधी गतिविधियों से दक्षिण कोरिया को कमजोर कर रहे हैं।

राष्ट्रपति यून सुक योल ने कहा कि वे इमरजेंसी के जरिए स्वतंत्र कोरिया गणराज्य का पुननिर्माण करेंगे और सुरक्षा देंगे, जो बर्बाद हो रहा है। उन्होंने कहा कि मैं राज्य विरोधी ताकतों को खत्म कर दूंगा और देश में सामान्य जनजीवन बहाल करूंगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले से जनता को असुविधा होगी लेकिन इसे जनता सहन करे।  

यून सुक योल के इस फैसले को विपक्ष ने एक सिरे से खारिज कर दिया। नेता संसद घेरने पहुंच गए, वहीं उन्होंने सेना तैनात कर दी। लोगों ने मार्शल लॉ के खिलाफ वोट किया और उन्हें अपने इस फैसले को वापस लेना पड़ा। 

दक्षिण कोरिया में अब क्या होगा?
दक्षिण कोरियाई कैबिनेट ने मार्शल लॉ को रद्द करने के लिए मतदान किया। राष्ट्रपति को संभवतः अब महाभियोग वोट का सामना करना पड़ेगा। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक योल ने रातों-रात मार्शल लॉ घोषित कर दिया। उन्होने विपक्ष को राज्य विरोधी बताकर रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष की राज्य के लोकतंत्र के लिए खतरा है। दक्षिण कोरिया में 4 दशकों में यह पहली बार है जब मार्शल लॉ लागू किया गया हो। दुनिया ने दक्षिण कोरिया में बढ़ती तानाशाही को लेकर चिंता जताई है। 

मार्शल लॉ का मतलब क्या है?
मार्शल लॉ लागू होने के बाद कुछ मौलिक अधिकारों को छोड़कर सारे सरेंडर हो जाते हैं। सामान्य कानून निलंबित हो जाते हैं और शासन व्यवस्था पूरी तरह से सेना के हाथ में आ जाती है। लोकतांत्रिक अधिकार खत्म कर दिए जाते हैं। आमतौर पर विद्रोह, अशांति की आशंका में इसे लागू किया जाता है। सेना तत्काल कोई कानून बना सकती है, किसी को गिरफ्तार कर सकती है, किसी को हिरासत में ले सकती है, किसी इलाके को ब्लॉक कर सकती है। सेना की संसद की तरह काम करने लगती है। दक्षिण कोरिया के संविधान के अनुच्छेद 77 में कहा गया है कि राष्ट्रपति युद्ध, गृह युद्ध या सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर सकते हैं और मार्शल लॉ लागू कर सकते हैं। उन्होंने अपने ही देश की विपक्षी पार्टियों पर सरकार को पंगु बनाने का आरोप लगाया फिर आपातकाल घोषित कर दिया।

मार्शल लॉ के ऐलान के बाद क्या हुआ?
दक्षिण कोरिया के नए मार्शल लॉ कमांडर, आर्मी जनरल पार्क एन-सू ने तत्काल आदेश को लागू करा दिया। उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी, प्रचार रोक दिया, हड़ताल पर प्रतिबंधल लगाया और सार्वजनिक सभाओं को असंवैधानिक बताकर रोक लिया। आदेश के बाद दक्षिण कोरिया के सभी मीडिया चैनल सरकार के कब्जे में आ गए और हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों को 48 घंटे के अंदर काम पर लौटने का आदेश दे दिया। 

आधी रात को वापस क्यों लिया फैसला?
दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ने कहा कि मार्शल लॉ घोषणा को हटा लिया जाएगा और सैनिकों को वापस बुला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नेशनल असेंबली से आपातकाल हटाने की मांग की गई थी, और हमने मार्शल लॉ ऑपरेशन के लिए तैनात सेना को वापस बुला लिया है। हम नेशनल असेंबली के अनुरोध को स्वीकार करेंगे और कैबिनेट मीटिंग के ज़रिए मार्शल लॉ हटाएंगे। दक्षिण कोरियाई कैबिनेट ने अब देश में मार्शल लॉ हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

दक्षिण कोरिया की संसद में क्या हुआ?
सुरक्षा बलों ने नेशनल असेंबली को सील कर दिया था। अचानक हेलीकॉप्टर छत पर उतरे और सैनिक संसद में दाखिल हो गए। नेताओं को अंदर जाने से रोक दिया गया। 190 लोग संसद में घुस गए और राष्ट्रपति के फैसले को सबने एक सिरे से नकार दिया। लोगों ने मार्शल लॉ हटाने की अपील की। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक संसद में सैनिक राइफल, बॉडी आर्मर और नाइट-विजन उपकरणों से लैस थे। उन्होंने सांसदों को बाहर करने की हर कोशिश की लेकिन वे नहीं माने। संसद के बाहर हजारों प्रदर्शनकारी जुटे और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने की मांग करने लगे। उन्होंने कहा कि उनके लोकतांत्रिक देश को उत्तर कोरिया के समर्थक बर्बाद कर रहे हैं। 

किस दलील पर लागू किया था मार्शल लॉ?
राष्ट्रपति यून सुक योग का कहना है कि दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया के खिलाफ जब तक कड़ा रुख नहीं अपनाएगा, वह परमाणु खतरों से नहीं बच सकता है। यून पर बीते कई महीनों से तानाशाही रवैया अख्तियार करने का आरोप लगता रहा है। लोगों ने कहा है कि वे किम जोंग की तर्ज पर काम कर रहे हैं। उन्होंने विरोधियों की आवाज दबाने के लिए मार्शल लॉ लागू किया। उन पर आरोप है कि वे उत्तर कोरिया का झूठा डर दिखाकर मार्शल लॉ लागू कर रहे हैं।

राष्ट्रपति यून सुक योग ने मई 2022 में पद ग्रहण किया था। उन पर भ्रष्टाचार और महाभियोग की तैयारियां हुईं। पूर्व अमेरिकी सीनेटर एलन यू का मानना है कि वे बेहद अलोकप्रिय, अप्रभावी नेता रहे हैं। उन्हें लोगों का साथ नहीं मिल रहा है, उनकी सरकार के खिलाफ लोगों में आक्रोश है।

लोगों ने मार्शल लॉ पर क्या कहा?
एपी और रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण कोरिया के लोगों ने इस फैसले की आलोचना की। डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ली जे-म्यांग ने इस घोषणा को अवैध और असंवैधानिक बताया। हान डोंग-हूं ने भी इसे गलत बताया।  ज्यादातर दक्षिण कोरियाई लोग इस फैसले के बाद से सदमे में थे कि यह हो क्या गया है। जब यह रद्द हुआ तब लोगों ने जश्न मनाया और कहा कि हम जीत गए।

कुछ लोगों ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि उत्तर कोरिया के साथ जंग छिड़ गई है लेकिन जब उनके राजनीतिक मकसद के बारे में लोगों को खबर हुई तो विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। उन पर महाभियोग लगना चाहिए, वे पद से इस्तीफा दें। 

इससे पहले कब लगा था मार्शल लॉ?
उत्तर कोरिया में मार्शल लॉ साल 1979 में लगा था। तब तानाशाह पार्क चुंग ही का शासन था। उन्होंने करीब 20 साल तक दक्षिण कोरिया पर शासन किया था। उन्होंने 16 मई 1961 को तख्तापलट किया था फिर सत्ता पर काबिज हुए थे। उन्होंने अपने विरोधियों का दमन किया था, लोगों को जेल में ठूंस देते थे। इस फैसले के बाद लोगों को उसी क्रूर दौर की याद आ गई।

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