दक्षिण कोरिया में संकट गहराता जा रहा है। मंगलवार को राष्ट्रपति यून सुक योल ने अचानक मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा कर दी। उनका आरोप था कि विपक्ष उत्तर कोरिया का समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा कि वे उत्तर कोरिया का समर्थन करने वालों को मिटा कर रहेंगे।
लेकिन अब मार्शल लॉ हटने के बाद विपक्ष ने राष्ट्रपति यून सुक योल के खिलाफ महाभियोग विधेयक पेश कर दिया है। बिल को देश की कार्यपालिका नेशनल असेंबली में पेश किया गया। यून के खिलाफ प्रमुख विपक्ष डेमोक्रेटिक पार्टी सहित 6 पार्टियों ने महाभियोग लाने का प्रस्ताव रखा है।
बुधवार को विपक्ष ने यून के खिलाफ नेशनल असेंबली के बाहर प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग की।
राष्ट्रपति द्वारा यून सुक योल द्वारा मार्शल लॉ घोषित करने के कुछ समय बाद सेना ने नेशनल असेंबली में घुसने की कोशिश की। यून ने आरोप लगाया था कि विपक्ष 'उत्तर कोरिया का समर्थन' करता है 'राज्य-विरोधी गतिविधियों' के जरिए सरकार को पंगु बनाने की कोशिश कर रहा है।
हटा लिया था मार्शल लॉ
राष्ट्रपति यून द्वारा मार्शल लॉ लागू किए जाने की घोषणा के बाद पार्लियामेंट ने इस फैसले को खारिज कर दिया और नेशनल असेंबली के स्पीकर वू वॉन शिक ने इसे अवैध घोषित कर दिया था। एपी की रिपोर्ट के मुताबिक स्पीकर शिक ने कहा कि हम 'लोकतंत्र की रक्षा' करेंगे और पुलिस व मिलट्री को असेंबली से बाहर जाने को कहा।
दक्षिण कोरिया के कानून के मुताबिक राष्ट्रपति के मार्शल लॉ की घोषणा किए जाने के बाद संसद इसकी समीक्षा करती है। कानून के मुताबिक अगर संसद को लगता है कि मार्शल लॉ हटा लिया जाना चाहिए तो राष्ट्रपति संसद की राय मानने के लिए बाध्य है।
मार्शल लॉ के ऐलान के बाद क्या हुआ?
दक्षिण कोरिया के नए मार्शल लॉ कमांडर, आर्मी जनरल पार्क एन-सू ने तत्काल आदेश को लागू करा दिया। उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी, प्रचार रोक दिया, हड़ताल पर प्रतिबंधल लगाया और सार्वजनिक सभाओं को असंवैधानिक बताकर रोक लिया। आदेश के बाद दक्षिण कोरिया के सभी मीडिया चैनल सरकार के कब्जे में आ गए और हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों को 48 घंटे के अंदर काम पर लौटने का आदेश दे दिया।
मार्शल लॉ का क्या असर होता है?
मार्शल लॉ के लागू होने क बाद मौलिक अधिकारों को छोड़कर बाकी के सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं। इस दौरान सामान्य कानून निलंबित हो जाते हैं और शासन व्यवस्था पूरी तरह से सेना के हाथ में आ जाती है। लोकतांत्रिक अधिकार खत्म कर दिए जाते हैं। आमतौर पर विद्रोह, अशांति की आशंका में इसे लागू किया जाता है। सेना तत्काल कोई कानून बना सकती है, किसी को गिरफ्तार कर सकती है, किसी को हिरासत में ले सकती है, किसी इलाके को ब्लॉक कर सकती है। सेना की संसद की तरह काम करने लगती है। दक्षिण कोरिया के संविधान के अनुच्छेद 77 में कहा गया है कि राष्ट्रपति युद्ध, गृह युद्ध या सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर सकते हैं और मार्शल लॉ लागू कर सकते हैं। उन्होंने अपने ही देश की विपक्षी पार्टियों पर सरकार को पंगु बनाने का आरोप लगाया फिर आपातकाल घोषित कर दिया।
अब आगे क्या
महाभियोग विधेयक प्रस्तावित होने के बाद, दक्षिण कोरिया की 300 सदस्यीय राष्ट्रीय सभा के दो-तिहाई सदस्यों को महाभियोग के लिए मतदान करना होगा - जिसका मतलब है कि कम से कम 200 वोट पड़ने जरूरी हैं। यह मतदान 72 घंटों के भीतर होना चाहिए।
महाभियोग स्वीकृत होने के बाद, राष्ट्रपति को तुरंत पद से निलंबित कर दिया जाएगा, जबकि प्रधानमंत्री कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाएगा।
इसके बाद संवैधानिक न्यायालय के समक्ष मुकदमा चलाया जाएगा। यह अदालत एक नौ सदस्यीय परिषद होती है।
यदि न्यायालय के छह सदस्य महाभियोग को बनाए रखने के लिए मतदान करते हैं, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाएगा।