साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून-सुक योल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून-सुक को पुलिस 3 जनवरी को गिरफ्तार करने पहुंची थी। हालांकि, उस दिन समर्थकों की भारी भीड़ और हंगामे की वजह से उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सका। बुधवार को एक बार फिर पुलिस पहुंची और लंबे ड्रामे के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
ऐसे हुई गिरफ्तारी
बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति यून-सुक को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। कई हफ्तों से राष्ट्रपति यून-सुक अपनी प्राइवेट आर्मी के साथ आवास में ही थे। बुधवार को करीब 3 हजार पुलिसकर्मी उन्हें गिरफ्तार करने पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि पुलिस ने घर में घुसने के लिए सीढ़ी का इस्तेमाल किया था। सीढ़ी के जरिए पुलिस घर के अंदर घुसी और राष्ट्रपति को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद क्या बोले यून-सुक
गिरफ्तारी के बाद उन्होंने एक वीडियो मैसेज जारी किया है। वीडियो मैसेज में राष्ट्रपति यून-सुक ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताया है। उन्होंने कहा, 'मैंने जांच एजेंसी CIO के सामने पेश होने का फैसला इसलिए लिया, ताकि कोई खून-खराबा न हो। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि मैं इस जांच को सही मानता हूं।'
अब आगे क्या?
राष्ट्रपति यून-सुक के खिलाफ 31 दिसंबर को साउथ कोरिया की कोर्ट ने अरेस्ट वारंट जारी किया था। अब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। हालांकि, मौजूदा अरेस्ट वारंट के जरिए पुलिस राष्ट्रपति यून-सुक को 48 घंटे ही अपनी हिरासत में रख सकती है। उन्हें लंबे समय तक हिरासत में रखने के लिए जांच एजेंसियों को अरेस्ट वारंट लेना होगा।
अरेस्ट होने वाले पहले राष्ट्रपति
3 दिसंबर को अचानक मार्शल लॉ लागू करने पर विपक्ष उनके खिलाफ एकजुट हो गया था। 14 दिसंबर को नेशनल असेंबली में महाभियोग लाकर यून-सुक को पद से हटा दिया गया था। उनके खिलाफ लाया गया महाभियोग का प्रस्ताव का 204 वोटों से पास हो गया था। पद से हटाए जाने के बाद यून-सुक के खिलाफ मुकदमा चलाया गया। गिरफ्तार होने वाले यून-सुक साउथ कोरिया के पहले राष्ट्रपति हैं। यून-सुक के खिलाफ भले ही महाभियोग प्रस्ताव पास हो गया हो लेकिन संवैधानिक कोर्ट ही उन्हें पद से हटा सकती है।
क्यों लगाया था मार्शल लॉ?
3 दिसंबर को यून-सुक ने अचानक मार्शल लॉ लगा दिया था। हालांकि, 6 घंटे के भीतर ही विपक्ष ने इसे हटा दिया था। साउथ कोरिया की संसद में विपक्षी पार्टी DPK के पास बहुमत है। मार्शल लॉ इसलिए लगाया गया था क्योंकि 2022 के चुनाव में यून-सुक मामूली अंतर से जीते थे। 2024 में नेशनल असेंबली के चुनाव में DPK की जीत हुई है। ऐसा कहा गया कि संसद में विपक्ष के पास बहुमत होने के कारण राष्ट्रपति अपने मनचाहे कानून पास नहीं करवा पा रहे थे। इसलिए विपक्ष को रोकने के लिए उन्होंने मार्शल लॉ लगा दिया था।