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14 दिन, 4 अंतरिक्ष यात्री, 60 प्रयोग; Axiom-4 के बारे में सबकुछ जानिए

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला समेत 4 क्रू मेंबर्स को लेकर Axiom-4 मिशन 11 जून को लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन में चारों अंतरिक्ष यात्री 14 दिन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में बिताएंगे।

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Axiom-4 की क्रू। (Photo Credit: axiomspace.com)

11 जून को इतिहास रचने वाला है। भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष के लिए रवाना होंगे। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) जाने वाले शुभांशु पहले भारतीय होंगे। हालांकि, अंतरिक्ष जाने वाले वे दूसरे भारतीय होंगे। उनसे पहले भारतीय एस्ट्रोनॉट राकेश शर्मा अंतरिक्ष जा चुके हैं। शुभांशु शुक्ला जिस मिशन के तहत ISS जा रहे हैं, उसे 'Axiom-4' नाम दिया गया है। इस मिशन की क्रू में शुभांशु समेत 4 अंतरिक्ष यात्री होंगे। 


पहले इस मिशन को 10 जून को लॉन्च किया जाना था लेकिन खराब मौसम के चलते इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया है। 


मौसम के कारण भारतीय गगनयात्री को ISS ले जाने वाले Axiom-4 मिशन की लॉन्चिंग 11 जून तक टाल दी गई है। अब इसे 11 जून की शाम 5.30 बजे लॉन्च किया जाएगा।- ISRO


यह तीसरी बार है जब Axiom-4 की लॉन्चिंग टाली गई है। पहले इसे 29 मई को लॉन्च किया जाना था लेकिन इसे 8 जून तक बढ़ा दिया गया। बाद में इसे 10 जून किया गया। अब इसे 11 जून को लॉन्च किया जाएगा। 

 

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  • क्या है यह मिशन?: यह निजी कंपनी Axiom का मिशन है। यह 2016 में बनी अमेरिकी कंपनी है। इस मिशन को भारत की ISRO और अमेरिका की NASA ने सपोर्ट किया है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) भी इसमें जुड़ी है।
  • कहां से लॉन्च होगा मिशन?: इसे अमेरिका के फ्लोरिडा में बने केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। मिशन 11 जून की शाम भारतीय समयानुसार 5.30 बजे लॉन्च होगा। इसे SpaceX के Falcon-9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा।
  • मिशन में कौन-कौन?: अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेही व्हीट्सन कमांडर होंगी। शुभांशु शुक्ला पायलट होंगे। यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) की तरफ से पोलैंड के स्लावोज यूजान्स्की और हंगरी के तिबोर कापू भी होंगे।
  • क्यों खास है यह मिशन?: 40 साल में यह दूसरा स्पेस मिशन है, जिसे निजी और सरकार की मदद से लॉन्च किया जा रहा है। इस मिशन से भारत के साथ-साथ पोलैंड और हंगरी को भी अपने स्पेस मिशन को आगे बढ़ाने में मदद होगी।
  • भारत के लिए क्यों खास?: 1984 में सोवियत संघ के सोयुज स्पेसक्राफ्ट से राकेश शर्मा अंतरिक्ष गए थे। 41 साल बाद कोई भारतीय अब अंतरिक्ष जाएगा। शुभांशु शुक्ला ISS जाने वाले पहले भारतीय होंगे।

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मिशन में क्या-क्या होगा?

बुधवार शाम साढ़े 5 बजे Axiom-4 लॉन्च होने के बाद 28 घंटे 49 मिनट की यात्रा रहेगी। यह मिशन 12 जून की रात करीब 10 बजे ISS पहुंचेगा।


यह मिशन इसलिए भी खास है, क्योंकि पहली बार किसी एक मिशन में इतने सारे प्रयोग होंगे। यह मिशन 14 दिन का होगा। इस दौरान 31 देशों के करीब 60 एक्सपेरिमेंट किए जाएंगे। अंतरिक्ष में इंसानी शरीर पर पड़ने वाले असर पर भी रिसर्च होगी। पता लगाया जाएगा कि जीरो ग्रैविटी और अलग-अलग परिस्थितियों में शरीर कैसी हरकत करता है।

 


Axiom-4 इसलिए भी खास है, क्योंकि यह पहली बार है जब तीन स्पेस एजेंसियां- ISRO, NASA और ESA मिलकर काम कर रहीं हैं। 


इस मिशन का एक मकसद डायबिटीज से जूझ रहे लोगों के लिए भी अंतरिक्ष की यात्रा को आसान बनाना है। अभी डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अंतरिक्ष नहीं भेजा जा सकता, क्योंकि वहां का माहौल शुगर लेवल को कंट्रोल नहीं कर सकता। दुनियाभर के वैज्ञानिक सालों से इस पर काम कर रहे हैं कि कैसे डायबिटिक रोगियों को भी अंतरिक्ष ले जाया जा सकता है। यह मिशन इस पर भी प्रयोग करेगा।

 

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भारत के लिए क्यों मायने रखता है यह मिशन?

इस मिशन पर भारत ने 550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। भारत के लिए यह मिशन इसलिए खास है, क्योंकि दो साल बाद 2027 में भारत 'गगनयान' लॉन्च करने वाला है, जिसमें 4 एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष भेजा जाएगा। शुभांशु शुक्ला गगनयान का भी हिस्सा हैं।


ISRO इस मिशन पर 10 से ज्यादा एक्सपेरिमेंट करेगा। जीरो ग्रैविटी का मांसपेशियों पर क्या असर होता है, इस पर भी प्रयोग किया जाएगा। इसके अलावा अंतरिक्ष में कम्प्यूटर स्क्रीन से शरीर पर क्या असर होता है, इस पर भी एक्सपेरिमेंट होगा। अंतरिक्ष में खेती की संभावनाएं तलाशनाएं के लिए 6 किस्म के बीजों की जांच की जाएगी। इन बीजों पर स्पेसलाइट के असर की स्टडी की जाएगी। अगर यह प्रयोग सफल होता है तो स्पेस में ही फसलें भी उगाई जा सकेंगी। 

 


इस मिशन के लिए ISRO ने कुछ टारडिग्रेड्स भी ISS भेजे हैं। यह एक तरह के छोटे जीव हैं, जिन्हें वाटर बीयर्स भी कहा जाता है। यह मुश्किल से मुश्किल हालात में सर्वाइव करने में सक्षम होते हैं। इन वाटर बीयर्स को अक्सर अंतरिक्ष लेकर जाया जाता है, ताकि समझा जा सके कि बाहरी हालात में जिंदा कैसे रहा जा सकता है।

 

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Axiom-4 में शामिल एस्ट्रोनॉट कौन?

  1. पेगी व्हीट्सनः अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री हैं। इस मिशन की कमांड इन्हीं के हाथों में होगी। NASA में 38 साल का अनुभव है। अंतरिक्ष में 675 दिन बिता चुकी हैं। Axiom Space में व्हीट्सन ह्यूमन स्पेसफ्लाइट की डायरेक्टर हैं।
  2. शुभांशु शुक्लाः लखनऊ में जन्मे शुभांशु भारतीय वायुसेना के पायलट हैं। इनके पास सुखोई, मिग, जैगुआर, हॉक और डोर्नियर को उड़ाने का 2,000 घंटों का अनुभव है। मार्च 2024 में इन्हें ग्रुप कैप्टन बनाया गया था।
  3. स्लावोज यूजान्स्कीः मिशन स्पेशलिस्ट के तौर पर इस मिशन में जा रहे हैं। पोलैंड में जन्मे स्लावोज ESA के अंतरिक्ष यात्री हैं। यूरोप की न्यूक्लियर रिसर्च ऑर्गनाइजेशन CERN में काम करने का अनुभव है।
  4. तिबोर कापूः हंगरी के रहने वाले तिबोर फार्मा और ऑटो इंडस्ट्रीज में काम कर चुके हैं। 2022 में उन्होंने स्पेस रेडिएशन प्रोटेक्शन में विशेषज्ञता हासिल की थी। 2023 में उन्हें हंगरी के स्पेस प्रोग्राम के लिए चुना गया था।

 

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भारत के गगनयान को कैसे मिलेगी मदद?

भारत ने 2018 में 'गगनयान' का ऐलान किया था। इस मिशन के तहत 4 अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष भेजना है। यह भारत का पहला मिशन होगा, जिसमें किसी एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष भेजा जाएगा। अब तक सिर्फ अमेरिका, चीन और रूस ही ऐसा कर चुके हैं।


इस मिशन को 2022 में लॉन्च होना था। हालांकि, अब इसके 2027 के शुरुआत में लॉन्च होने की उम्मीद है। ISRO के मुताबिक, इस मिशन का मकसद पृथ्वी की निचली कक्षा में ह्यूमन स्पेसक्राफ्ट को ले जाना है। इस मिशन के लिए ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को चुना गया है। 


ISRO गगनयान मिशन के लिए LVM3 रॉकेट का इस्तेमाल करेगा। इसे पहले GSLV-MkIII कहा जाता था। यह ISRO का सबसे ताकतवर लॉन्चिंग व्हीकल है। अब तक यह बिना किसी नाकामी के 7 बार उड़ान भर चुका है। रॉकेट में लिक्विड स्टेज, सॉलिड स्टेज और क्रायोजेनिक स्टेज शामिल हैं।

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