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ता मुएन थॉम और प्रीह विहियर: मंदिर जिनके लिए भिड़े थाईलैंड-कंबोडिया

थाईलैंड और कंबोडिया में सीमा विवाद के साथ-साथ दो मंदिरों को लेकर भी पुराने समय से संघर्ष चल रहा है। जानिए क्या है इसका इतिहास और कुछ जरूरी बातें।

Image of Ta Muen Thom

ता मुएन थॉम मंदिर, कंबोडिया(Photo Credit: Wikimedia Commons)

दक्षिण-पूर्व एशिया के दो पड़ोसी देश- थाईलैंड और कंबोडिया एक बार फिर गंभीर तनाव की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं। गुरुवार को दोनों देशों के बीच सीमा क्षेत्र में सैन्य संघर्ष हुआ जिसमें आर्टिलरी, रॉकेट हमले और F-16 फाइटर जेट्स के जरिए बमबारी की गई। इस झड़प में अब तक 12 थाई सैनिक और 2 नागरिकों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, जबकि कई घायल हुए हैं।

 

इस ताजा हिंसा की जड़ में ता मुएन थॉम (Ta Muen Thom) और प्रीह विहियर (Preah Vihear) मंदिरों से जुड़ा है, जिसे लेकर दोनों देशों के बीच दशकों से विवाद चला आ रहा है।

मंदिरों के कारण विवाद

 

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ता मुएन थॉम मंदिर का इतिहास

ता मुएन थॉम मंदिर एक प्राचीन खमेर शैली का हिंदू मंदिर है, जो शिव जी को समर्पित है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और लगभग 11वीं सदी में बनाया गया था। यह मंदिर थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा के बहुत पास स्थित है, और इस पर दोनों ही देश संप्रभुता का दावा करते हैं। थाई सेना का कहना है कि मंदिर थाई सीमा में आता है, जबकि कंबोडिया इसे अपना सांस्कृतिक धरोहर मानता है।

प्रीह विहियर मंदिर

 

प्रीह विहियर मंदिर (Preah Vihear Temple) भी एक प्राचीन खमेर मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है और 11वीं-12वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था। यह मंदिर एक ऊंची चट्टान पर स्थित है और इसका वास्तुशिल्प अत्यंत भव्य है।

 

यह विवाद का केंद्र तब बना जब 1962 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने इसे कंबोडिया की संपत्ति घोषित किया। हालांकि, इसके बाद भी मंदिर के आसपास की जमीन को लेकर विवाद बना रहा। थाईलैंड का दावा है कि मंदिर तो कंबोडिया का हो सकता है लेकिन उसके चारों ओर की जमीन पर उसका हक है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

ये दोनों मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं हैं, बल्कि सांस्कृतिक गौरव के प्रतीक भी हैं। मंदिरों में की गई शिल्पकारी और कला, प्राचीन खमेर सभ्यता के इतिहास को दर्शाती है। शिवलिंग की स्थापना, गर्भगृह, मंडप और नक्काशी से भरे पत्थरों की दीवारें, इन्हें केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और कला का संगम बनाते हैं। कंबोडिया और थाईलैंड, दोनों देशों के लोग इन्हें अपनी धरोहर और प्राचीन इतिहास से जोड़कर देखते हैं, जिससे संघर्ष और भी मुश्किल हो जाती है।

संघर्ष का ताजा रूप

इस बार संघर्ष की शुरुआत तब हुई जब थाई वायुसेना के एफ-16 लड़ाकू विमानों ने कंबोडियाई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इसके जवाब में कंबोडियाई सेना ने भी मोर्चा खोल दिया। बताया गया है कि छह विवादित क्षेत्रों में दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गईं। हालांकि दोनों देशों की सरकारें अभी तक खुले युद्ध की घोषणा नहीं कर रही हैं लेकिन इस पर ASEAN और संयुक्त राष्ट्र की निगरानी बढ़ गई है।

 

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पहले भी हो चुका है संघर्ष

थाईलैंड और कंबोडिया का इतिहास लंबे समय तक खमेर साम्राज्य और सियामी साम्राज्य के बीच टकरावों से जुड़ा रहा है। फ्रांस और ब्रिटिश शासन के दौरान भी दोनों देशों की सीमाओं को तनाव था, जिसकी वजह से मंदिरों के आसपास की जमीन पर अधिकार को लेकर कानूनी और राजनीतिक विवाद लगातार चलता रहा था। साथ ही साल 2008-2011 के बीच भी इस इलाके में कई बार झड़पें हो चुकी हैं, जिनमें दर्जनों लोग मारे गए और सैकड़ों विस्थापित भी हुए थे।

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