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कंबोडिया-थाईलैंड संघर्ष: 9 की मौत, 14 घायल, अब तक क्या-क्या हुआ?

थाईलैंड-कंबोडिया के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इस विवाद में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है और 14 लोग घायल हैं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: X/ @iamIMP_1

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच बढ़ते तनाव के बीच गुरुवार को रॉयल थाई आर्मी ने कहा कि कंबोडिया की ओर से सीमा के पास रॉकेट हमलों में कम से कम नौ नागरिकों की मौत हो गई। इन हमलों ने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों को और गंभीर बना दिया है। थाईलैंड ने कंबोडिया पर नागरिकों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने का आरोप लगाया है, जबकि कंबोडिया ने थाईलैंड पर अपने सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले करने का इल्ज़ाम लगाया है। इस घटना ने क्षेत्रीय शांति को खतरे में डाल दिया है और दक्षिण-पूर्व एशिया में भी एक नया वॉर ज़ोन खुलता हुआ नज़र आ रहा है।

 

रॉयल थाई आर्मी के आधिकारिक बयान के अनुसार, कंबोडिया की ओर से किए गए रॉकेट हमलों में तीन सीमावर्ती जिलों में नौ लोगों की जान चली गई। इनमें सिसाकेट प्रांत में छह, सुरिन में दो और उबोन रत्चाथानी में एक व्यक्ति की मौत हुई। इसके अलावा, इन हमलों में 14 लोग घायल हुए हैं। थाईलैंड का कहना है कि कंबोडिया ने जानबूझकर सिविलियन एरिया को निशाना बनाया है, जिसमें एक अस्पताल भी शामिल है। रॉयल थाई आर्मी के एक और बयान के मुताबिक, फनोम डोंग रॉक अस्पताल पर भी कंबोडिया की ओर से गोलीबारी की गई।

थाईलैंड ने इन हमलों को ‘अमानवीय और क्रूर’ वाला कृत्य बताया है। थाई सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कंबोडिया की निंदा करने की अपील की है।

 

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थाईलैंड का जवाबी हमला

कंबोडिया के हमलों के जवाब में थाईलैंड ने अपनी सैन्य ताकत का इस्तेमाल किया। थाईलैंड ने उबोन रत्चाथानी प्रांत से छह एफ-16 लड़ाकू विमानों को तैनात किया, जिनमें से एक ने कंबोडिया के सैन्य ठिकाने पर हवाई हमला किया। थाई सैन्य प्रवक्ता के अनुसार, इन विमानों ने कंबोडिया के दो सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। हालांकि, कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि थाईलैंड के विमानों ने प्राचीन प्रीह विहार मंदिर के पास एक सड़क पर बम गिराए, जो एक विश्व धरोहर स्थल है।

UNSC की आपात बैठक की मांग

कंबोडिया ने थाईलैंड के हमलों की निंदा की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आपातकालीन बैठक बुलाने की मांग की। कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेत ने यूएनएससी के मौजूदा अध्यक्ष असीम इफ्तिखार अहमद को पत्र लिखकर कहा, ‘थाईलैंड की हालिया गंभीर आक्रामकता ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खतरे में डाल दिया है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि थाईलैंड की आक्रामकता को रोकने के लिए सुरक्षा परिषद की तत्काल बैठक बुलाई जाए।’

 

दोनों देशों ने दी चेतावनी

थाईलैंड ने कंबोडिया को चेतावनी दी है कि अगर वह अपने हमले बंद नहीं करता, तो थाईलैंड आत्मरक्षा के उपायों को और तेज करेगा। दूसरी ओर, कंबोडिया के प्रधानमंत्री ने कहा कि थाईलैंड की सशस्त्र आक्रामकता का जवाब देने के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं बचेगा। दोनों देशों के इस रुख से स्थिति और तनावपूर्ण हो गई है।

चीन ने की शांति की अपील

इस बढ़ते तनाव पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन ने दोनों देशों से शांति और कूटनीति की राह अपनाने की अपील की है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह इस तनाव से काफी चिंता में है और दोनों देशों से बातचीत शुरू करने का आग्रह किया। चीन ने यह भी कहा कि वह इस संघर्ष में निष्पक्ष रुख बनाए रखेगा।

दोनों देशों की इकॉनमी पर असर

इस तनाव का असर थाईलैंड की अर्थव्यवस्था पर भी दिखाई दे रहा है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, थाईलैंड की मुद्रा 'बाह्त' में 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 32.39 प्रति डॉलर पर पहुंच गई। इससे पहले यह 32.11 प्रति डॉलर तक पहुंची थी, जो फरवरी 2022 के बाद सबसे मजबूत स्तर था। इस गिरावट से थाईलैंड की आर्थिक स्थिति पर चिंता बढ़ गई है।

सीमा बंद, राजनयिक निष्कासित

कंबोडिया के ताजा हमलों के बाद थाईलैंड ने अपनी सीमाओं को पूरी तरह बंद कर दिया। उप-रक्षा मंत्री ने सैन्य कार्रवाई की पुष्टि की और सेना को पूरा ऑपरेशनल अधिकार दे दिया है। इसके साथ ही, दोनों देशों ने गुरुवार सुबह के सीमा संघर्ष के बाद एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया।

 

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क्या है मामला?

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। खास तौर पर प्रीह विहार मंदिर के आसपास का क्षेत्र दोनों देशों के बीच तनाव का प्रमुख कारण रहा है। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इस मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा माना था, लेकिन आसपास के क्षेत्र को लेकर विवाद अब भी बना हुआ है। समय-समय पर दोनों देशों के बीच छोटे-मोटे झड़पें होती रही हैं, लेकिन इस बार का संघर्ष पहले से कहीं ज्यादा गंभीर है।

 

इस तनावपूर्ण स्थिति में दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर संयुक्त राष्ट्र, इस मामले में मध्यस्थता की कोशिश कर सकता है। लेकिन अगर दोनों देशों ने अपनी आक्रामकता जारी रखी, तो यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

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