ईरान पर किया लेकिन नॉर्थ कोरिया पर क्यों अटैक नहीं कर पाता अमेरिका
दुनिया
• PYONGYANG 26 Jun 2025, (अपडेटेड 26 Jun 2025, 3:39 PM IST)
अमेरिका का ईरान पर हमला करना तो समझ में आता है लेकिन असली सवाल यह है कि वह उत्तर कोरिया पर ऐसा क्यों नहीं कर पाता? आखिर ईरान और उत्तर कोरिया की कूटनीति में इतना फर्क क्यों?

सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: AI/Sora
चाहे वह ईरान हो या लिबिया, अमेरिका की नजर से कोई नहीं बच पाया। जिस भी देश ने परमाणु हथियार बनाने या चलाने की कोशिश की, अमेरिका ने उस पर हमला जरूर किया। अब ईरान की बारी है क्योंकि वह भी परमाणु हथियार बनाने की पूरी कोशिश कर रहा है। अमेरिका और इजरायल मिलकर उसे रोकने में जुटे हैं।
अब सवाल उठता है कि जब ईरान पर हमला हो सकता है, तो फिर उत्तर कोरिया पर क्यों नहीं? जबकि वह भी लगातार परमाणु मिसाइलों का टेस्ट करता रहता है। अमेरिका उसे धमकियां तो देता है लेकिन आज तक कोई सीधा हमला नहीं कर पाया। तो आखिर वजह क्या है? ऐसा क्या है जो उत्तर कोरिया को बचा रहा है? कौन से देश हैं जो उसे खुला सपोर्ट करते हैं, जिसकी वजह से वह आज भी बेखौफ होकर मिसाइल पर मिसाइल दाग रहा है? यही सब जानने की जरूरत है।
निंदा, कूटनीति और दबाव
नेशनल कमेटी ऑफ नॉर्थ कोरिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया ने दुनियाभर की नाराजगी और दबाव के बावजूद दर्जनों परमाणु हथियार बना लिए हैं और अब उन्हें और ज्यादा ताकतवर और आधुनिक बना रहा है। उसके पास ऐसे छोटे परमाणु वारहेड हैं जिन्हें मिसाइलों पर लगाया जा सकता है और उसने एक थर्मोन्यूक्लियर बम भी बना लिया है। हालांकि, अभी उसमें इतनी तकनीकी क्षमता नहीं है कि वह अमेरिका तक परमाणु हमला कर सके लेकिन उत्तर कोरिया मानता है कि उसकी मौजूदा ताकत दुश्मनों को डराने के लिए काफी है। वह लगातार यूरेनियम और प्लूटोनियम जैसे परमाणु सामग्री भी जमा कर रहा है और नई मिसाइलें बना रहा है।
उत्तर कोरिया की परमाणु यात्रा 1959 में शुरू हुई जब उसने सोवियत संघ से मदद लेकर एक परमाणु समझौता किया। 1985 में वह परमाणु अप्रसार संधि में शामिल हुआ लेकिन नियमों का ठीक से पालन नहीं किया और 2003 में बाहर हो गया। 1990 के दशक में जब उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था बिगड़ी, तो उसने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय बातचीत और मदद पाने के लिए किया। किम जोंग उन के आने के बाद, उसने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम को और तेजी से बढ़ाया। आज उत्तर कोरिया खुलकर परमाणु शक्ति दिखाता है। टेस्ट, परेड और मीडिया में दिखा कर यह जताता है कि उसके पास असली और काम करने वाले परमाणु हथियार हैं।
source; NTI.ORG
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ईरान पर रोक, उत्तर कोरिया पर क्यों नहीं?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के तीन न्यूक्लियर प्लांट्स पर एयरस्ट्राइक का आदेश दिया, जिससे उत्तर कोरिया की यह सोच और पक्की हो गई कि सत्ता में टिके रहने के लिए उसके पास परमाणु हथियार होना जरूरी है। इस हमले के बाद अब वॉशिंगटन और उत्तर कोरिया के बीच परमाणु बातचीत की उम्मीदें और कम हो गई हैं। अब उत्तर कोरिया रूस के साथ मिलकर अपनी फौजी ताकत बढ़ाने की कोशिशों में और तेजी ला रहा है। हालांकि, कई जानकारों का मानना है कि उत्तर कोरिया और ईरान की हालत एक जैसी नहीं है।
दरअसल, प्योंगयांग के पास पहले से ही न्यूक्लियर हथियार और ताकतवर हमले करने की क्षमता है। उसका मकसद भी तेहरान से अलग है। ईरान जहां अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को देश की शान और विरोध के प्रतीक के तौर पर देखता है, वहीं उत्तर कोरिया का पूरा फोकस किम सरकार की सत्ता बचाए रखने पर है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रम्प शायद ही उत्तर कोरिया की न्यूक्लियर साइट्स पर किसी तरह का हमला करेंगे।
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रूस और चीन का साथ
रूस और चीन की मौजूदगी भी उत्तर कोरिया को ईरान से अलग बनाती है। ईरान के केस से अलग, रूस एक समझौते के तहत उत्तर कोरिया की मदद करने के लिए मजबूर है। यह समझौता किम जोंग उन और पुतिन के बीच जून 2024 में प्योंगयांग में हुआ था, जिसमें दोनों देशों ने साथ मिलकर रक्षा करने की बात तय की थी। अगर अमेरिका उत्तर कोरिया की परमाणु साइट्स पर हमला करता है, तो चीन इसे कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिरता और अपनी सीमा की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा मान सकता है। वहीं चीन और रूस, ईरान की तुलना में उत्तर कोरिया की ज्यादा आसानी से और मजबूती से मदद कर सकते हैं।
आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के अनुसार, उत्तर कोरिया के पास एक्टिव परमाणु हथियार हैं और उसने कई बार परमाणु परीक्षण किए हैं। वहीं, ईरान के पास 2024 तक परमाणु बम नहीं था, सिर्फ परमाणु तकनीक थी। इसलिए अमेरिका ने ईरान को रोकने के लिए सैन्य, कूटनीतिक और प्रतिबंधों का तरीका अपनाया लेकिन सीधे युद्ध नहीं हुआ।
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अगर किया तो क्या होगा असर?
इसके अलावा अगर अमेरिका उत्तर कोरिया पर हमला करता है, तो उत्तर कोरिया तुरंत साउथ कोरिया (खासकर सियोल) और जापान पर मिसाइलें दाग सकता है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे लाखों लोगों की जान जा सकती है और अमेरिका ऐसा खतरा नहीं उठाना चाहता। वहीं, अमेरिका वार्ता और प्रतिबंधों के जरिए उत्तर कोरिया को रोकने की कोशिश करता रहा है। ट्रंप और किम जोंग उन के बीच मुलाकातें भी हुई थीं।
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