अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मदवेदेव की जुबानी जंग से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को रूस के करीब 2 न्यूक्लियर सब्मरीन तैनात करने के आदेश दिए हैं। इसकी जानकारी खुद ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पर दी है। उन्होंने कहा, 'रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मदवेदेव के भड़काऊ बयानों के बाद मैनें 2 परमाणु पनडुब्बियों को सही जगह पर तैनात करने के आदेश दिए हैं। क्या पता मदवेदेव के बेवकुफाना बयान में कुछ सच्चाई हो।'
ट्रंप ने आगे कहा, 'शब्द काफी अहम होते हैं। इनसे कई बार अनचाहे नतीजे निकलते हैं। मुझे उम्मीद है इस मामले में ऐसा कुछ नहीं होगा।' ट्रंप के इस बयान पर रूस ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जबकि पिछले कुछ दिनों से दिमित्री मदवेदेव और ट्रंप एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रहे हैं। दरअसल 30 जुलाई को भारत पर 25% टैरिफ की घोषणा के बाद ट्रंप ने भारत और रूस को डेड इकोनॉमी बताया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि मदवेदेव अब भी खुद को राष्ट्रपति समझते हैं। इसके जवाब में मेदवेदेव ने कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति घबरा गए हैं।
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ट्रंप-मदवेदेव ने अब तक क्या-क्या कहा?
मेदवेदेव ने ट्रंप पर कहा था, 'उन्हें डेड हैंड की ताकत याद रखनी चाहिए, भले ही यह अब मौजूद नहीं है। अगर रूस के पूर्व राष्ट्रपति के कुछ शब्दों से अमेरिकी राष्ट्रपति इतना घबरा जाते हैं तो रूस सही रास्ते पर है।' डेड हैंड सोवियत यूनियन का एक ऑटोमैटिक परमाणु रिटैलिएशन सिस्टम था।
इससे पहले भी मेदवेदेव ने ट्रंप पर निशाना साधा था उन्होंने कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति की रूस को दी गई धमकी दोनों देशों में जंग शुरू कर सकती है। उन्होंने ट्रम्प को 'स्लीपी जो' (जो बाइडेन) की राह पर न चलने की सलाह दी थी। इसके जवाब में ट्रंप ने गुरुवार देर रात मेदवेदेव को 'असफल पूर्व राष्ट्रपति' कह दिया था। ट्रम्प ने मेदवेदेव को उनके शब्दों पर ध्यान देने और खतरनाक बयानबाजी न करने की चेतावनी दी थी।
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ट्रंप के बयान का क्या होगा असर?
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सुरक्षा जानकारों का मानना है कि ट्रंप के पनडूब्बी तैनात करने वाली धमकी से दोनों देशों के रिश्तों में और खट्टास आएगी। हालांकि, इससे किसी तरह की जंग का कोई खतरा नहीं है। वहीं, कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका ने पहले ही परमाणु पनडुब्बियों को उन इलाकों में तैनात कर रखा है जहां से रूस पर हमला किया जा सके।
अमेरिका बनाम रूस, समुद्र में कौन-कितना ताकतवर
अमेरिका- रॉयटर्स के मुताबिक अमेरिका के पास 14 ओहायो क्लास परमाणु पनडुब्बियां हैं। ये अलग-अलग जगहों पर तैनात हैं। हर किसी में 24 ट्राइडेंट बैलिस्टिक मिसाइल ले जाने की क्षमता है। ये 4600 मील दूर तक दागी जा सकती हैं।
इनके अलावा अमेरिका के पास फास्ट अटैक परमाणु पनडुब्बियां हैं। इनमें टॉमहॉक मिसाइलें लगाई गई हैं। इनका मकसद दुश्मन के जहाजों को तबाह करना है। ये इंटेलिजेंस से लेकर सर्विलांस तक के काम करने की क्षमता रखती हैं।
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अमेरिकी नौसेना के बेड़े में सीवुल्फ क्लास सब्मरीन भी हैं। इनमें एक बार में 50 हथियार लगाए जा सकते हैं। इन्हें 1997 में तैनात किया गया था। इनके अलावा 1976 में अमेरिका ने खासतौर से सोवियत रूस से निपटने के लिए खास पनडुब्बियां बनाई थीं। इन्हें 688-क्लास के नाम से जाना जाता है। इस क्लास की 24 पनडुब्बियां अब भी सर्विस में हैं।
रूस- रूस के पास 4 से ज्यादा तरह की परमाणु पनडुब्बियों के बेड़े हैं। इनमें बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणू से लेकर डीजल-इलेक्ट्रिक हमलावर पनडुब्बियां शामिल हैं। रूस की सेना के पास 8 बोरई क्लास पनडुब्बियां हैं। इनमें 16 टोरपीडो लॉन्चर लगे हैं। ये दुश्मन की तरफ से दागे गए रॉकेट और माइंस को भी तबाह कर सकती हैं।
हालांकि इन्हें जल्द ही इनकी जगह उन्नत तकनीक वाली डेल्टा क्लास पनडुब्बियों ले लेंगी। फिलगाल 6 डेल्टा क्लास पनडुब्बियां सर्विस में हैं। ये सभी में सिनेवा बैलिस्टिक मिसाइलें से लैस हैं। रूस के पास काफी फास्ट अटैक सब्मरीन भी हैं। इनमें कम लोगों की जरूरत होती है। इनमें 5 कैलिबर मिसाइलें लगाई जा सकती हैं।