पिछले हफ्ते मीडिया और सोशल मीडिया पर एक खबर काफी तेजी से फैली। वह खबर थी यूएई द्वारा 23 लाख रुपये में गोल्डन वीज़ा जारी किए जाने का, लेकिन महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इसको लेकर कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया है। इस खबर ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा क्योंकि खबर के मुताबिक मात्र 23 लाख रुपये में यूएई की स्थायी नागरिकता मिलने की बात कही जा रही थी।
भारतीय मीडिया ने इस नए गोल्डन वीजा प्रोग्राम की खबर को खूब उछाला, लेकिन यूएई के मीडिया या एमिरेट्स न्यूज एजेंसी में इसकी कोई चर्चा नहीं हुई। आमतौर पर यूएई की सभी आधिकारिक घोषणाएं एमिरेट्स न्यूज एजेंसी के जरिए की जाती हैं। भारतीय सोशल मीडिया पर यह खबर खासकर इसलिए वायरल हुई, क्योंकि हाल के वर्षों में धनी भारतीय नागरिक निवेश वीजा और रेजिडेंसी प्रोग्राम में काफी रुचि दिखा रहे हैं।
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नॉमिनेशन आधारित वीज़ा स्कीम को लेकर काफी चर्चा रही है क्योंकि अमीर परिवारों के लिए दुनिया के दूसरे देशों में बसने का यह काफी अच्छा जरिया रहा है। हाल ही में अमेरिका ने भी गोल्ड वीजा स्कीम का ऐलान किया था जिसकी कीमत 5 मिलियन डॉलर थी जो कि भारतीय रुपये के मुताबिक करोड़ों में पहुंचती थी।
UAE ने किया खंडन
यूएई की फेडरल अथॉरिटी फॉर आइडेंटिटी, सिटिजनशिप, कस्टम्स एंड पोर्ट सिक्योरिटी (ICP) ने इन अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया है। ICP ने कहा कि कुछ मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर यह दावा गलत है कि यूएई कुछ खास देशों के नागरिकों को स्थायी गोल्डन वीजा दे रहा है।
अथॉरिटी ने साफ किया कि गोल्डन वीजा के नियम और शर्तें सरकार के आधिकारिक नियमों में स्पष्ट हैं। लोग इनकी सही जानकारी ICP की वेबसाइट या मोबाइल ऐप से ले सकते हैं। साथ ही, गलत जानकारी फैलाने और लोगों से पैसे ठगने वाली संस्थाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
जिन्हें इसको लेकर सटीक जानकारी चाहिए वे इस इस सूचना को अधिकारियों के डिजिटल प्लेटफॉर्म से ले सकते हैं। अधिकारी ने यह भी कहा कि इस खबर की वजह से कोई भी किसी व्यक्ति को ठग सकता है, इसलिए ऐसी खबरों से बचने की जरूरत है।
क्या थी खबर?
खबर थी कि केवल 23 लाख रुपये (AED 100,000) में भारतीय नागरिकों को दुबई का स्थायी गोल्डन वीजा मिल सकता है। लेकिन यह खबर सही नहीं लग रही थी, और अब यह साफ हो गया है कि यह महज एक अफवाह थी।
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दुबई के एक प्रमुख गोल्डन वीजा सलाहकार, इकबाल मार्कोनी (ECH ग्रुप के पूर्व सीईओ), ने एक भारतीय अखबार को बताया कि उन्हें भारत से इस खबर के बाद कई पूछताछ आईं। उन्होंने कहा, ‘मैंने यूएई के अधिकारियों और GDRFA (जनरल डायरेक्टरेट ऑफ रेजिडेंसी एंड फॉरेनर्स अफेयर्स) से बात की, लेकिन उन्हें इस तरह के किसी प्रोग्राम की जानकारी नहीं है। यह खबर झूठी प्रतीत होती है।’