रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग को खत्म करने के लिए तुर्किये के इस्ताबुंल में दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच पहली बार सीधी शांति वार्ता हो सकती है। हालांकि, इस वार्ता में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं हुए, जिससे बड़े नतीजे की उम्मीदें कम लगाई जा रही हैं। बता दें कि यह वार्ता इस्तांबुल के डोलमाबह्से पैलेस में होगी, जो 2022 में भी रूस-यूक्रेन वार्ता का केंद्र था।
रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पुतिन के सहयोगी व्लादिमीर मेडिंस्की कर रहे हैं। वहीं, यूक्रेन ने अपने रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा। ज़ेलेंस्की ने शुरू में कहा था कि वह केवल पुतिन से ही बात करेंगे लेकिन बाद में ट्रंप और तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन के सम्मान में प्रतिनिधिमंडल भेजा। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और ट्रंप प्रशासन के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ भी इस बातचीत में शामिल हैं। रुबियो ने कहा कि बिना ट्रंप और पुतिन की सीधी बातचीत के कोई बड़ा नतीजा नहीं निकलेगा। वहीं, ट्रंप ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि जब तक पुतिन और मैं एक साथ नहीं आते, तब तक कुछ भी होने वाला है, चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं लेकिन हमें इसे हल करना होगा क्योंकि बहुत से लोग मर रहे हैं।’
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बातचीत का मुख्य उद्देश्य क्या?
रूस 2022 के ड्राफ्ट समझौते को आधार बनाना चाहता है, जिसमें यूक्रेन को नाटो सदस्यता छोड़ने की शर्त अपनानी होगी। साथ ही रूस, क्रीमिया और चार अन्य क्षेत्र डोनेत्स्क, लुहान्स्क, ज़ापोरिझ्झिया, खेरसॉन पर अपना नियंत्रण चाहता है। वहीं, यूक्रेन अपनी क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा गारंटी पर जोर दे रहा है। ज़ेलेंस्की ने 30 दिन की बिना शर्त युद्धविराम की मांग की थी, जिसे रूस ने ठुकरा दिया। ऐसे में तुर्किये एक भरोसेमंद मध्यस्थ के रूप में उभरा है, जो दोनों पक्षों के बीच संवाद को बढ़ावा दे रहा है। एर्दोआन ने इसे एतिहासिक मोड़ बताया।
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'रूस को कभी अपनी जमीन नहीं देंगे'
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका देश उन क्षेत्रों को कभी रूस का हिस्सा नहीं मानेगा जो वर्तमान में रूसी नियंत्रण में हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शांति वार्ता की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी लेकिन यूक्रेन अपनी क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा, 'वो जमीन यूक्रेन की थी, है और हमेशा यूक्रेन की ही रहेगी।'
दूसरी ओर, रूस लगातार यह मांग करता रहा है कि यूक्रेन के चार क्षेत्रों और क्रीमिया को उसका वैध हिस्सा माना जाए। गौरतलब है कि रूस ने क्रीमिया पर 2014 में कब्जा कर लिया था। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान यह संकेत मिला था कि संभव है यूक्रेन को अपने सभी पुराने क्षेत्रों की वापसी न मिल पाए।