हम सभी ने कभी न कभी सुना है – 'बच्चे दो ही अच्छे' लेकिन आज के समय में कई लोग इससे अलग सोचते हैं। वे ज्यादा बच्चे चाहते तो हैं लेकिन ऐसा कर नहीं पाते। अब ऐसा क्यों हो रहा है? दरअसल, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की 2025 की रिपोर्ट 'The real fertility crisis 2025' के मुताबिक, लोग बच्चे इसलिए नहीं कर पा रहे क्योंकि उन्हें बच्चों की चाह नहीं है, बल्कि इसलिए कि उनके सामने कई परेशानियां खड़ी हैं – जैसे खर्च ज्यादा, नौकरी का भरोसा नहीं, रहने की जगह महंगी, और अच्छा जीवनसाथी मिलना मुश्किल। इन सब कारणों से दुनिया भर में और भारत में भी लोगों की बच्चे पैदा करने की इच्छा और हकीकत में फर्क आ गया है।
भारत में लगभग 13% लोग चाहकर भी बच्चे नहीं कर पा रहे। इनमें से कुछ को इनफर्टिलिटी (बांझपन) की दिक्कतें हैं, तो कुछ को गर्भधारण करने में मुश्किल हो रही है। इसके अलावा 14% लोग ऐसे भी हैं जिन्हें गर्भावस्था से जुड़ी जरूरी मेडिकल सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। और 15% लोग ऐसे हैं जिनकी सेहत या पुरानी बीमारियां बच्चे पैदा करने में रुकावट बन रही हैं।
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पैसे की भी है बड़ी भूमिका
सिर्फ सेहत ही नहीं, आर्थिक परेशानियां भी बड़ी वजह हैं। लोग कहते हैं कि बच्चों के पालन-पोषण में बहुत खर्च आता है – जैसे किराए के घरों की कीमत, अच्छी चाइल्डकेयर की कमी, और नौकरी की अनिश्चितता। यही वजह है कि कई लोग बच्चा पैदा करने का सोच ही नहीं पाते।
कौन-कौन से देश इस सर्वे में शामिल थे?
UNFPA के इस सर्वे में दुनिया के 14 देश शामिल थे – दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, इटली, हंगरी, जर्मनी, स्वीडन, ब्राजील, मैक्सिको, अमेरिका, भारत, इंडोनेशिया, मोरक्को, साउथ अफ्रीका और नाइजीरिया। सर्वे में पता चला कि दक्षिण कोरिया में सबसे ज़्यादा लोग – करीब 58% – चाहते हुए भी कम बच्चे कर पा रहे हैं, जो इस रिपोर्ट का सबसे बड़ा आंकड़ा है। यानी वहां हालात ऐसे हैं कि लोग चाहें भी तो परिवार बड़ा नहीं कर सकते।
वहीं स्वीडन में सबसे कम लोग – सिर्फ 19% – ऐसे हैं जिन्हें बच्चों की संख्या को लेकर कोई मजबूरी महसूस होती है। अगर बांझपन (इनफर्टिलिटी) की बात करें तो, सिर्फ 12% लोग इसे बच्चों के न होने की वजह मानते हैं। जबकि थाईलैंड में 19%, अमेरिका में 16%, दक्षिण अफ्रीका में 15%, नाइजीरिया में 14%, और भारत में 13% लोग बांझपन या गर्भधारण में मुश्किल की वजह से बच्चे नहीं कर पा रहे हैं। यानी ज़्यादातर देशों में यह आंकड़ा काफी कम है।
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और क्या-क्या वजहें सामने आईं?
घरेलू जिम्मेदारियां: महिलाओं ने कहा कि उन्हें घर के काम का ज्यादा बोझ उठाना पड़ता है, जिससे वे बच्चे पैदा करने के फैसले को टालती हैं।
भविष्य की चिंता: जलवायु परिवर्तन और आने वाले समय की अनिश्चितता को देखकर लोग छोटे परिवार को बेहतर मानते हैं।
समय की कमी: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में माता-पिता के पास बच्चों को समय देने का वक्त ही नहीं होता, जिससे वे और बच्चों का प्लान नहीं बनाते।