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ईरान की अपील पर UN ने बुलाई आपात बैठक, क्या रुकेगा ईरान-इजरायल युद्ध?

मिडिल ईस्ट में बिगड़ती परिस्थितियों के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपात बैठक बुलाई है जिसमें कुछ देशों में युद्ध को बिना शर्त रोके जाने की मांग की है।

United nations meeting । Photo Credit: commons

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: Commons

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मध्य-पूर्व में लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए आपातकालीन बैठक बुलाई। इस विशेष सत्र में महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी कि ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हवाई हमले मध्य पूर्व में पहले से ही अस्थिर स्थिति को और खतरनाक बना रहे हैं। गुटेरेस ने कहा, ‘मैंने बार-बार मध्य पूर्व में किसी भी सैन्य तनाव की निंदा की है। इस क्षेत्र के लोग तबाही का और और चक्र नहीं सह सकते। फिर भी, हम अब बदले की भावना से की जाने वाली कार्रवाई की तरफ खिसकते जा रहे हैं।'

 

गुटेरेस ने इन हमलों को ‘खतरनाक मोड़' करार देते हुए अफसोस जताया कि उनकी शांति की अपील को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा कि दो दिन पहले उन्होंने शांति की अपील की थी लेकिन उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया गया।'

 

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IAEA प्रमुख ने भी दी चेतावनी

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने वीडियो लिंक के जरिए सुरक्षा परिषद को संबोधित किया। उन्होंने और संघर्ष से बचने की चेतावनी दी और वैश्विक परमाणु व्यवस्था के लिए जोखिमों पर जोर दिया। ग्रॉसी ने कहा, 'हमारे पास बातचीत और कूटनीति के लिए एक मौका है। अगर यह मौका चूक गया, तो हिंसा और तबाही का इस स्तर पर पहुंच सकती है जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की होगी, और वैश्विक परमाणु अप्रसार व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो सकती है।'

 

ग्रॉसी ने यह भी कहा कि न्यूक्लियर फेसिलिटी को कभी भी सैन्य निशाना नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी, 'न्यूक्लियर फेसिलिटी पर सशस्त्र हमले कभी नहीं होने चाहिए। इससे रेडियो ऐक्टिव रिसाव हो सकता है, जिससे न सिर्फ उस देश को बल्कि अन्य देशों को भी इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।'

कितना नुकसान पता नहीं

ग्रॉसी ने पुष्टि की कि ईरान के प्रमुख यूरेनियम संवर्धन केंद्र फोर्डो न्यूक्लियर फेसिलिटी में सतह पर काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, 'फोर्डो में गड्ढे दिखाई दे रहे हैं, जो अमेरिका द्वारा जमीन में अंदर तक घुसकर नुकसान पहुंचाने वाले हथियारों के इस्तेमाल की ओर इशारा करते हैं।' हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जमीन के अंदर कितना नुकसान हुआ है इस बात का पूरा आकलन नहीं किया जा सका है।

इस्फहान में हुआ नुकसान

आईएईए ने यह भी पुष्टि की कि इस्फहान परमाणु परिसर के कुछ हिस्सों, खासकर उच्च संवर्धित यूरेनियम भंडारण के लिए इस्तेमाल होने वाली टनल के एंट्री प्वाइंट को अमेरिकी हवाई हमलों में निशाना बनाया गया। ग्रॉसी ने कहा, 'सुरंगों के एंट्री प्वाइंट पर असर पड़ा है, जहां ईरान का 60% संवर्धित यूरेनियम भंडारण होता है।'

ईरान ने भी दी चेतावनी

ईरान ने संकेत दिया है कि वह अपने न्यूक्लियर मटीरियल की सुरक्षा के लिए कुछ गोपनीय कदम उठा सकता है। इससे चिंताजनक स्थिति पैदा हो गई है। ग्रॉसी ने ईरान को सुझाव देते हुए यह भी कहा कि उसे कोई भी कदम अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार उठाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'ईरान अपनी परमाणु सामग्री की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय कर सकता है, लेकिन यह परमाणु अप्रसार संधि के दायरे में होना चाहिए।'

दुनिया की चिंता बढ़ी

यह आपात बैठक ईरान के अनुरोध पर बुलाई गई थी। अमेरिका ने रविवार तड़के 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' के तहत ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान सुविधाओं पर हमले किए। वॉशिंगटन का दावा है कि ये हमले ईरान के हथियार-ग्रेड यूरेनियम संवर्धन को रोकने के लिए जरूरी थे। ईरान ने इन हमलों को 'गैरकानूनी और खुला आक्रमण' बताया।

 

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रूस, चीन, पाकिस्तान ने की युद्धविराम की मांग

15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के बंद कमरे में चर्चा के दौरान, रूस, चीन और पाकिस्तान ने मिलकर एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया, जिसमें मध्य पूर्व में 'तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम' की मांग की गई। हालांकि, इस प्रस्ताव का भविष्य अनिश्चित है। राजनयिकों का कहना है कि सदस्यों से सोमवार शाम तक इस पर टिप्पणियां मांगी गई हैं। प्रस्ताव को पास होने के लिए कम से कम नौ वोटों की जरूरत है और साथ ही यह भी जरूरी है कि परिषद के पांच स्थायी सदस्यों—अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन—में से कोई भी इस पर वीटो न करे।

 

मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव और न्यूक्लियर फेसिलिटी पर हमले वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा बन रहे हैं। गुटेरेस और ग्रॉसी की अपील के बावजूद, स्थिति गंभीर बनी हुई है। उधर जहां एक तरफ कुछ देश इसे बिना शर्त के फिलहाल रोके जाने की बात कह रहे हैं वहीं इसमें अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका के बाद रूस की भी एंट्री हो गई है। रूस ने यह कहकर कि ईरान को कई देश परमाणु हथियार दे सकते हैं, सबको चौंका दिया है और कहीं न कहीं अमेरिका को संदेश भी देने की कोशिश की है कि वह ईरान के साथ खड़ा हो सकता है।

 

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