ट्रंप सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए USAID (United States Agency for International Development) के 2 हजार कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का प्लान बना रही है। इसके अलावा, हजारों कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया है।
इस फैसले के अनुसार, लगभग 4600 USAID कर्मियों, कैरियर अमेरिकी सिविल सेवा और विदेश सेवा के कर्मचारियों में से अधिकांश को प्रशासनिक छुट्टी पर रखा जाएगा। बता दें कि सत्ता संभालने के बाद ही ट्रंप ने सभी तरह के विदेशी मदद पर रोक लगाने का फैसला किया है। इसमें USAID का फंड भी शामिल है।
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भारत USAID पर कैसे निर्भर
क्या होगा अगर डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में USAID को बंद करने का फैसला लेते हैं? इससे भारत की कौन सी सुविधाओं पर असर पड़ेगा? सबसे पहले बता दें कि USAID अमेरिका की एक स्वतंत्र सरकारी एजेंसी है, जो दुनिया भर के विकासशील देशों में आर्थिक सहायता, मानवीय राहत और विकास परियोजनाओं के लिए फंडिंग और तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
भारत भी इन देशों में शामिल है जिसे USAID से बहुत मदद मिलती है। अगर यह बंद हो जाता है तो भारत में कई परियोजनाओं पर बहुत प्रभाव पड़ सकता है।दरअसल, USAID भारत में कई सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी सेक्टर में मदद करता है और USAID की फंडिंग समाप्त होने से भारत के स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण और तकनीकी विकास से जुड़े कई प्रोजेक्ट प्रभावित हो सकते हैं।
किन सुविधाओं पर पड़ेगा असर?
अगर USAID पूरी तरह से बंद हो गया तो भारत में हेल्थ और मेडिकल सेक्टर पर इसका सीधा असर पड़ेगा। दरअसल, USAID भारत में वैक्सीनेशन प्रोग्राम, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, और महामारी नियंत्रण (जैसे TB और HIV/AIDS) में निवेश करता है। अगर USAID की फंडिंग बंद होती है, तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और WHO जैसी संस्थाओं पर दबाव बढ़ सकता है। इससे स्वास्थ्य सेवा सुधार और रिसर्च के लिए मिलने वाली ग्रांट में कटौती हो सकती है।
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किसान और फूड सिक्योरिटी में कटौती
USAID भारत में रिन्यूएबल एनर्जी, वॉटर कंजर्वेशन और एफॉरेस्टेशन के लिए मदद देता है। ऐसे में अगर ये बंद हुआ तो सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा और प्रदूषण नियंत्रण से जुड़ी परियोजनाओं को ऑप्शनल फंडिंग ढूंढनी पड़ सकती है। इससे अमेरिका-भारत के स्वच्छ ऊर्जा सहयोग कार्यक्रम पर असर पड़ सकता है। बता दें कि USAID के तहत कृषि अनुसंधान, जैविक खेती और किसानों को तकनीकी मदद दी जाती है। इसके बंद होने से छोटे किसानों और कृषि तकनीकों में सुधार से जुड़े प्रोजेक्ट धीमे पड़ सकते हैं। वहीं, फूड सिक्योरिटी और ग्रामीण उद्यमिता कार्यक्रमों में कटौती हो सकती है।
एजुकेशन सेक्टर भी होगा बर्बाद
भारत में कई स्टूडेंट्स और यूनिवर्सिटीज को USAID से एजुकेशनल ग्रांट और स्कॉलरशिप मिलती हैं। ऐसे में डिजिटल शिक्षा और ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों के बुनियादी ढांचे पर असर पड़ सकता है। भारत-अमेरिका शिक्षा विनिमय कार्यक्रमों में कटौती हो सकती है।
महिला और लैंगिक समानता पर असर
USAID भारत में महिला सुरक्षा, लैंगिक समानता और उद्यमिता को बढ़ावा देने वाले कई कार्यक्रमों को फंड करता है। अगर ये बंद हुआ तो महिला स्टार्टअप और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को मिलने वाली सहायता में कमी आ सकती है। साथ ही भारत में लैंगिक भेदभाव और घरेलू हिंसा रोकथाम कार्यक्रमों पर असर हो सकता है।
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स्टार्टअप्स की रफ्तार हो जाएगी धीमी
भारत में कई स्टार्टअप और इनोवेशन कार्यक्रम USAID द्वारा सहायता प्राप्त करते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), साइबर सुरक्षा और स्मार्ट सिटीज प्रोजेक्ट को ऑप्शनल फंडिंग की जरूरत होगी। डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी पहल प्रभावित हो सकती हैं।