ढाका की सड़कों पर सेना, यूनुस से किन-किन मुद्दों पर ठनी?
दुनिया
• NEW DELHI 31 May 2025, (अपडेटेड 31 May 2025, 7:04 PM IST)
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार और सेना प्रमुख के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। सेना लगातार उन पर दबाव बनाने में जुटी है। जानते हैं वे मुद्दे जिन पर सेना यूनुस से सहमत नहीं है।

मुहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख वकार उज जमां। Photo Credit: Social media
बांग्लादेश के अंदरूनी हालात ठीक नहीं है। मुहम्मद युनुस और सेना प्रमुख के बीच तनातनी चल रही है। राजधानी ढाका में प्रदर्शनों का दौर जारी है। पिछले 10 महीने से बांग्लादेश की सत्ता पर काबिज मुहम्मद यूनुस के खिलाफ न केवल सेना, बल्कि लोगों की भी नाराजगी बढ़ने लगी है। इस बीच अमेरिका ने अपने नागरिकों को भीड़-भाड़ और प्रदर्शनों से दूर रहने की सलाह दी है। बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का असर भारत में भी पड़ सकता है। सेना के अलावा बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने भी यूनुस के खिलाफ मोर्चा खोल रहा है। बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस के सामने क्या चुनौती हैं, सेना से किन-किन मुद्दे पर टकराव है और बीएनपी ने क्यों मोर्चो खोल रहा है? आइए जानते हैं पूरा मामला।
बांग्लादेश में पिछले साल यानी जुलाई 2024 में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का आंदोलन भड़का था। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद मामला शांत हुआ। कुछ समय बाद छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और ढाका में हिंसक प्रदर्शनों की बाढ़ सी आ गई। 5 अगस्त 2024 को जब छात्रों की हिंसक भीड़ प्रधानमंत्री आवास की तरफ बढ़ने लगी तो शेख हसीना ने देश छोड़ना ही उचित समझा। तीन दिन बाद यानी 8 अगस्त को मुहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का मुखिया बनाया गया। उस वक्त यूनुस ने बांग्लादेश के कायाकल्प का सपना दिखाया।
यह भी पढ़ें: क्या सच में भारत के जेट गिरे थे? अब CDS अनिल चौहान ने बताया सच
कुछ दिन पहले बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकार उज जमां ने मुहम्मद यूनुस से मुलाकात की थी। उनके साथ वायुसेना और नौसेना प्रमुख भी थे। इस दौरान सेना प्रमुख ने मुहम्मद यूनुस के आगे अपनी चिंताओं को रखा। सेना बांग्लादेश में जल्द से जल्द लोकतंत्र को बहाल करना चाहती है। उसका मानना है कि देश से जुड़े फैसले एक चुनी हुई सरकार ही ले। मगर यूनुस सुधार के नाम पर संविधान में कई बड़े बदलावों को अंजाम देने में जुटे हैं।
जल्द चुनाव चाहती है सेना
बांग्लादेश की सेना देश में जल्द चुनाव चाहती है। सेना प्रमुख ने मुहम्मद यूनुस से अपनी मुलाकात में दिसंबर महीने तक चुनाव कराने को कहा था। इसके बाद यूनुस के सलाहकार ने कहा कि यूनुस इस्तीफा देने पर विचार करने में जुटे हैं। हालांकि यूनुस का यह कदम सेना पर दबाव बनाने के लिए सिर्फ राजनीतिक स्टंट था।
रखाइन कॉरिडोर का विरोध
अमेरिका बांग्लादेश से म्यांमार के रखाइन प्रांत तक एक मानवीय कॉरिडोर बनाना चाहता है। यूनुस प्रशासन भी इसके पक्ष में है, लेकिन सेना खिलाफ है। यूनुस ने चटगांव से रखाइन राज्य कॉरिडोर बनाने पर सहमति जताई। बांग्लादेश की सेना को यह डर सता रहा है कि आने वाले समय में इस कॉरिडोर का इस्तेमाल अराकन आर्मी तक सैन्य मदद पहुंचाने में किया जा सकता है। ऐसा हुआ तो म्यांमार का अंदरूनी संघर्ष क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है।
निर्वाचित सरकार चाहती है सेना
बांग्लादेश की सेना अंतरिम सरकार को हटाना चाहती है। उसका मानना है कि अराकन कॉरिडोर समेत देश से जुड़े अहम फैसले निर्वाचित सरकार को लेने चाहिए। मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख इसलिए बनाया गया था कि देश में सुधारों को लागू किया जा सके और जल्द आम चुनावों का रास्ता साफ हो, लेकिन यूनुस सुधारों के नाम पर चुनाव को टालने की रणनीति पर जुटे हैं। हाल ही में उन्होंने दिसंबर से अगले साल जून तक चुनाव कराने की घोषणा की है। माना जाता है कि सेना के दबाव के बाद यह फैसला लिया गया है।
अराजकता के भी खिलाफ
मुहम्मद यूनुस प्रशासन ने कई कट्टरपंथियों को जेल से रिहा किया है। देश में कानून का शासन खत्म हो चुका है। देश में फैली अराजकता पर सेना सख्त है। उसने साफ कहा कि देश में अराजकता को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सेना के जवान राजधानी ढाका में गश्त करने में जुटे हैं। उन्हें असामाजिक तत्वों से कड़ाई के साथ निपटने का आदेश दिया गया है।
यह भी पढ़ें: 'प्रणाम सेवा' पर भड़के अदनान सामी, कहा- यह बेहद शर्मनाक
बढ़ रहा सियासी दबाव
बांग्लादेश में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर बैन लगा दिया गया है। अवामी लीग के साथ-साथ बीएनपी ने यूनुस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दोनों पार्टियां जल्द चुनाव कराने का दबाव बना रही हैं। अवामी लीग का कहना है कि यूनुस की नियुक्ति ही अवैध है। उधर, यूनुस को जमाती इस्लामी और छात्रों की नई पार्टी का समर्थन मिल रहा है।
यूनुस के खिलाफ नाराजगी क्यों ?
यूनुस के सत्ता में आने के बाद फैक्ट्रियां लगातार बंद हो रही हैं। अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर हमले बढ़े हैं। लूटपाट से भी लोग तंग है। बढ़ती बेरोजगारी भी नाराजगी की बड़ी वजह है। मजदूरों की हड़ताल से फैक्ट्रियों का उत्पादन प्रभावित हुआ है। लोगों की नाराजगी से बांग्लादेश में दोबारा अराजकता का माहौल पैदा होने का खतरा मंडरा रहा है। बेरोजगारी से जूझते वहां के लोग भारत की तरफ पलायन करते हैं तो बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap