पाकिस्तान का अल-कायदा कैसे बना अफ्रीका का सबसे खूंखार आतंकी संगठन?
दुनिया
• BAMAKO 10 Jul 2025, (अपडेटेड 10 Jul 2025, 8:08 PM IST)
जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमीन कुछ ही सालों में अफ्रीका के सबसे खतरनाक जिहादी समूहों में से एक बन गया है। इसका गठन साल 2017 में माली में पांच जिहादी आतंकवादी समूहों के गठबंधन के साथ में हुआ था।

प्रतीकात्मक तस्वीर। Photo Credit (Adobe Stock)
अल-कायदा पाकिस्तान का खुंखार इस्लामी आंकवादी संगठन है। अल-कायदा खुद को एक वैश्विक इस्लामी क्रांति वाला संगठन मानता है। यही वजह है कि यह आतंकी संगठन अफ्रीका में अपना विस्तार कर रहा है। ताजा घटनाक्रमों को देखें तो यह संगठन अफ्रीका के तीन देशों में अपनी मौजूदगी बढ़ा चुका है। दरअसल, अल-कायदा से संबद्ध रखने वाला एक संगठन है- 'जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमीन' (JNIM)। JNIM पश्चिमी अफ्रीकी देशों- बुर्किना फासो, माली और नाइजर में बढ़ते आंतकी हमलों और उग्रवादी जिहादी हमलों के पीछे मुख्य वजह है।
1 जुलाई को इस आतंकी समूह ने खुद स्वीकार करते हुए कहा, 'पश्चिमी माली में सात सैन्य ठिकानों पर एक बड़ा समन्वित हमला किया है।' इस हमले में सेनेगल और मॉरिटानिया की सीमाओं के पास के इलाके भी शामिल हैं। अब इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही है कि जेएनआईएम को समय पर नहीं रोका गया तो यह इस क्षेत्र की स्थिरता पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
बुर्किना फासो, माली और नाइजर ने हिंसा को रोकने के लिए काफी संघर्ष किया है। ये आतंकी संगठन इन तीनों देशों में हुए सैन्य तख्तापलट में शामिल रहा है। मगर, इसमें ध्यान देने वाली बात ये है कि जिन देशों ने अपनी धरती पर 'जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमीन' को पनपने का मौका दिया, अब इसके बढ़ते जिहादी खतरों को रोकने में असमर्थ दिखाई देते हैं।
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जेएनआईएम क्या है?
जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमीन कुछ ही सालों में अफ्रीका के सबसे खतरनाक जिहादी समूहों में से एक बन गया है। इसका गठन साल 2017 में माली में पांच जिहादी आतंकवादी समूहों के गठबंधन के साथ में हुआ था।
- अंसार दीन
- कतिबत मैकिना
- अल-मौराबितौन
- अंसार अल-इस्लाम
- इस्लामिक मगरेब में अल-कायदा की सहारा ब्रांच
आतंकी समूहों ने सहयोग करना शुरू किया
दरअसल, साल 2012 में फ्रांस सेना ने उत्तरी माली में सक्रिय कई जिहादी और अलगाववादी संगठनों के खिलाफ सैन्य मुहीम चलाकर उन्हें पीछे धकेल दिया था। फ्रांस की कार्रवाई में अभियान में पीछे होने के बाद इन सभी आतंकी समूहों ने एक दूसरे का सहयोग करना शुरू किया। सहयोग करते-करते आखिरकार, सभी समूहों के नेताओं ने मिलकर जेएनआईएम का गठन किया। हाल के सालों में जेएनआईएम ने भौगोलिक रूप से अपना विस्तार किया है। अपनी गतिविधियों को चलाने के लिए नए क्षेत्र स्थापित किए हैं।
जेएनआईएम का नेतृत्व कौन कर रहा है?
इस समय जेएनआईएम का नेतृत्व इयाद एग गली कर रहा है। इयाद गली माली का एक पूर्व राजनयिक है, जो तुआरेग जातीय समूह से संबंधित है। 2012 में माली सरकार के खिलाफ तुआरेग विद्रोह हुआ था, इस विद्रोह में इयाद एग गली शीर्ष नेता के तौर पर बनकर उभरा पर था। तुआरेग विद्रोह का मकसद तुआरेग लोगों के लिए आज़ाद नाम का एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना करना था। जेएनआईएम के उप नेता अमादौ कोउफा फुलानी भी इसी समुदाय से है।
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जेएनआईएम का केंद्रीय नेतृत्व स्थानीय शाखाओं का मार्गदर्शन करने में मदद करता है। ये स्थानीय शाखाएं पश्चिम अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में काम करती हैं। हालांकि यह जानना मुश्किल है कि जेएनआईएम के संगठन में कितने लड़ाके हैं, संगठन में हाल के सालों में कितने भर्ती हुए हैं। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि जेएनआईएम के पास हजारों की तादाद में लड़ाके हैं। इसमें ज्यादातर युवा पुरुष लड़के हैं। यह लड़ाके बहुत ही गरीब तबकों से आते हैं, इनके पास अपसरों की भी भारी कमी है।
जेएनआईएम चाहता क्या है?
यह संगठन बुर्किना फासो, माली और नाइजर की सरकारों के नेतृत्व को अस्वीकार करता है। साथ ही जेएनआईएम जहां काम करता है, उन क्षेत्रों में इस्लाम और शरिया का कानून लागू करना चाहता है। यह कट्टर संगठन अपने अधिकार वाले क्षेत्रों में इस्लामी ड्रेस कोड लागू करने, संगीत और धूम्रपान पर बैन लगाने, पुरुषों को दाढ़ी बढ़ाने और महिलाओं को अकेले सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोकता है।
जेएनआईएम कहां काम करता है?
जेएनआईएम ने अपनी आतंकी गतिविधियों की शुरुआत सेंट्रल और नॉर्थ माली में की थी। शुरुआत के बाद जेएनआईएम ने तेजी से अपना विस्तार किया। मगर, इसका गढ़ बुर्किना फासो, माली और नाइजर हैं। हमलों की बात करें तो जेएनआईएम ने बेनिन, टोगो और आइवरी कोस्ट तक में हमले किए हैं। जी-टॉक के मुताबिक, वर्तमान में इसका संगठन माली और बुर्किना फासो के 13 क्षेत्रों में है, जिसमें से यह से 11 क्षेत्रों में सक्रिय है।
पिछले साल जेएनआईएम ने बुर्किना फासो में बड़े पैमाने पर हमले किए। सुरक्षा कंसल्टेंसी फर्म कंट्रोल रिस्क के विश्लेषक बेवर्ली ओचिएंग के मुताबिक, जेएनआईएम बुर्किना फासो की सेना में बंटवारा और दलबदल के साथ-साथ स्थानीय समुदायों में आतंकवादियों की गहरी पैठ करके ये हमले कर रहा था। जेएनआईएम में तीनों देशों में वहां के स्थानीय समुदायों में पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है और उनकी सहानुभूति प्राप्त कर रहा है।
जेएनआईएम के हमले बढ़ रहे हैं?
हाल के महीनों में जेएनआईएम ने बुर्किना फासो में बड़े पैमाने पर हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया है। हाल ही में इसने माली, नाइजर और बेनिन में भी बड़े हमले किए हैं। 2025 की शुरुआत में जेएनआईएम ने बुर्किना फासो में 280 से ज्यादा हमले किए हैं, जबकि इसने 2024 में लगभग 180 हमले किए। वहीं, समूह ने अप्रैल से लेकर अब तक बुर्किना फासो, माली और नाइजर में लगभग 1,000 लोगों की हत्या करने का दावा किया है। हमलों में जान गंवाने वालों में ज्यादातर सुरक्षा बल या मिलिशिया के सदस्य हैं जो सरकारी बलों के साथ लड़ रहे हैं।
मरने वालों में लगभग 800 अकेले बुर्किना फासो के हैं। माली में 117 और बेनिन 74 लोगों की हत्याएं की गई हैं।
जेएनआईएम के पास पैसा कहां से आता है?
जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमीन के पास कमाई के कई स्रोत हैं। एक समय संगठन माली में विदेशियों का अपहरण करके फिरौती की रकम मांगकर धन जुटाता था। गी-टॉक के मुताबिक, जेएनआईएम पैसे कमाने के लिए अब जानवरों की चोरी करता है और यहां इसकी कमाई का एक प्रमुख स्रोत बन गया है।
दरअसल, माली जानवरों का एक बड़ा निर्यातक देश है, इसलिए जेएनआईएम के लिए यहां जानवरों को चुराना और उन्हें बेचना आसान है। संगठन माली के सिर्फ एक जिले में एक साल में जानवर बेचकर 770,000 डॉलर तक कमा लेता है। इस लिहाज से जेएनआईएम जानवरों की चोरी और फिर उन्हें बेचकर लाखों डॉलर कमा सकता है।
इसके अलावा जेएनआईएम कई तरह के टैक्स की वसूली भी करता है। संगठन अपने प्रभाव वाले किसी भी क्षेत्र से गजरने वाले वाहनों से टैक्स वसूलता है। सामान चाहे सरकारी हो या अवैध, चैक्स वसूला जाता है। साथ ही संगठन नागरिकों से उनकी सुरक्षा के बदले में भी वसूली करता है।
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