क्या है पतंजलि जमीन घोटाला? जिसमें फंसे नेपाल के पूर्व PM और 4 मंत्री
दुनिया
• KATHMANDU 06 Jun 2025, (अपडेटेड 06 Jun 2025, 10:15 PM IST)
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार 'नेपाल' जमीन घोटाले का गंभीर आरोप लगा है। आरोप लगने के बाद उनकी सांसदी भी चली गई है।

माधव कुमार नेपाल। Photo Credit- Social Media
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार 'नेपाल' जमीन घोटाले (पंतजलि भूमि घोटाला) में फंस गए हैं। उनके साथ में चार पूर्व मंत्री और 93 अन्य हाई प्रोफाइल लोग भी फंसे हैं। माधव कुमार समेत सभी लोगों पर स्पेशल कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज किया गया है और केंद्रीय एजेंसी CIAA मामले की जांच कर रही है। नेपाल के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी प्रधानमंत्री पर भष्टाचार का आरोप लगने के बाद केस दर्ज किया गया है।
विपक्ष के नेता माधव कुमार नेपाल पर जमीन घोटाले में भ्रष्टाचार का आरोप है। नेपाल में भ्रष्टाचार रोकने वाली संस्था CIAA ने गुरुवार को माधव कुमार नेपाल और 93 लोगों के खिलाफ इस मामले में केस दर्ज किया है। सत्ता के दुरुपयोग की जांच के लिए गठित आयोग ने पंतजलि भूमि घोटाले के सिलसिले में माधव कुमार के ऊपर 13 साल की जेल कैद और 185.5 मिलियन रुपये के हर्जाने की मांग की है।
माधव कुमार नेपाल की सांसदी गई
आरोप पतंजलि योगपीठ और आयुर्वेद कंपनी माधव कुमार नेपाल द्वारा कंपनी संचालन के लिए कावरेपालनचोक जिले के महेंद्रज्योति के नासिकस्थान सांगा में वैध सीमा से परे जमीन खरीदने से संबंधित हैं। माधव कुमार की कंपनी पर अवैध रूप से ऊंचे दामों पर जमीन बेचने का आरोप है। भ्रष्टाचार का केस दर्ज होने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल की सांसदी भी चली गई है।
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नियमों का किया उल्लंघन
चार्जशीट के मुताबिक, माधव कुमार नेपाल ने सीधे अपने मंत्रिमंडल में प्रस्ताव पेश करके पतंजलि द्वारा खरीदी गई जमीन की बिक्री और विनिमय को अधिकृत करने में भूमिका निभाई थी। इस जमीन को भूमि अधिनियम के तहत जब्त करके सरकारी या सार्वजनिक संपत्ति के रूप में बनानी चाहिए थी। संवैधानिक भ्रष्टाचार विरोधी निकाय के अनुसार, माधव कुमार ने अधिकारियों पर कानूनी सीमा से परे जाकर जमीन की अवैध बिक्री की अनुमति देने के लिए दस्तावेज तैयार करने का दबाव भी डाला था।
घोटाले में संलिप्तता से किया इनकार
हालांकि, माधव कुमार इस जमीन घोटाले में किसी भी संलिप्तता से इनकार करते हुए कहा कि वह बेदाग हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि देश के प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली के इशारे पर यह केस दर्ज किया गया था। माधव नेपाल ने अपने गृह जिले रौतहट में माडिया से बात करते हुए कहा, 'उनका (ओली का) इरादा हमेशा मेरा राजनीतिक करियर खत्म करना रहा है। उन्होंने पहले भी इसी तरह की चालें चली हैं।'
इन मंत्री का चार्जशीट में नाम
चार्जशीट में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और कैबिनेट की विधायी समिति के समन्वयक प्रेम बहादुर सिंह का भी नाम है। अन्य प्रमुख आरोपियों में तत्कालीन भूमि सुधार और प्रबंधन मंत्री स्वर्गीय डंबर श्रेष्ठ और उनके बेटे संतोष श्रेष्ठ, तत्कालीन मुख्य सचिव स्वर्गीय माधव प्रसाद घिमिरे और उनकी पत्नी कमला घिमिरे, भूमि सुधार और प्रबंधन मंत्रालय के तत्कालीन सचिव छविराज पंत, जो बाद में मंत्री भी बने और तत्कालीन संयुक्त सचिव जीत बहादुर थापा और लालमणि जोशी शामिल हैं। अवर सचिव कलानिधि पौडेल, गांधी प्रसाद सुबेदी और हुपेंद्र मणि केसी का भी नाम चार्जशीट में है।
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पतंजलि जमीन घोटाला क्या है?
पतंजलि योगपीठ और आयुर्वेद कंपनी के संस्थापक सदस्य और प्रमुख संचालक शालिग्राम सिंह भ्रष्टाचार मामले में मुख्य आरोपी हैं। वे नेपाली कांग्रेस कोटे के तहत नियुक्त नेपाल इंजीनियरिंग काउंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष हैं। कावरेपालनचोक में भूमि राजस्व कार्यालय में तत्कालीन राजस्व अधिकारी प्रेम बहादुर देसर और जिले में गुथी निगम के तत्कालीन प्रमुख बैकुंठ प्रसाद रेग्मी का नाम भी आरोप पत्र में शामिल है।
दरअसल, 1 फरवरी 2010 को तत्कालीन मंत्रिमंडल ने आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय, अनुसंधान केंद्र, योग हॉल, आयुर्वेदिक दवा फैक्ट्री, हर्बल फार्म और गौ फार्म चलाने के लिए भूमि सीमा छूट के तहत कावरेपालनचोक जिले में 815 एकड़ भूमि खरीदने को मंजूरी दी थी।
कैबिनेट ने फैसले को मंजूरी दी
इसके तुरंत बाद पतंजलि आयुर्वेद ने तत्कालीन सांगा, नासिकथन और महेंद्र ज्योति ग्राम विकास समितियों में 593 रोपनी से ज्यादा जमीन खरीदी। यह जमीन अब कावरेपालनचोक जिले में बनेपा नगर पालिका के अधीन है। 2010 में ही 16 मार्च को तत्कालीन प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल के निर्देश का हवाला देते हुए, तत्कालीन मंत्री डंबर श्रेष्ठ ने कैबिनेट के सामने एक प्रस्ताव रखा था, जिसमें पतंजलि को सीलिंग छूट के जरिए से मिली जमीन बेचने की अनुमति दी गई थी। कैबिनेट ने उसी दिन फैसले को मंजूरी दे दी थी।
नेपाल के भूमि अधिनियम 1964 द्वारा निर्धारित सीलिंग के मुताबिक, एक भूस्वामी तराई क्षेत्र में 10 बीघा जमीन का स्वामित्व रख सकता है। यह अधिनियम काठमांडू घाटी में 25 रोपनी और काठमांडू घाटी को छोड़कर पहाड़ों में 70 रोपनी है। अधिनियम आवासीय इस्तेमास के लिए तराई क्षेत्र में एक अतिरिक्त बीघा और काठमांडू घाटी सहित पहाड़ों में 5 रोपनी के स्वामित्व की अनुमति देता है।
400 मिलियन रुपये का लेनदेन हुआ
25 जून को पतंजलि ने कैबिनेट के फैसले के मुताबिक, भूमि संबंधी कानूनों का उल्लंघन करते हुए 353 रोपनी और 15 आना जमीन कास्तमंडप बिजनेस होम्स प्राइवेट लिमिटेड को बेच दी। जब पतंजलि ने बानेपा में जमीन बेची थी तो उस समय दर्ज कीमत 42.25 मिलियन रुपये थी। हालांकि, सीआईएए के एक अधिकारी का आरोप है कि वास्तविक लेनदेन 400 मिलियन रुपये से अधिक था, जिसमें घोषित राशि को जानबूझकर टैक्स से बचने के लिए कम किया गया था।
जिस समय ये आरोप लगाए गए हैं उस समय माधव कुमार नेपाल सीपीएन-यूएमएल के वरिष्ठ नेता थे। वह 25 मई 2009 से 5 फरवरी 2011 तक नेपाल के प्रधानमंत्री थे। बाद में उन्होंने सीपीएन-यूएमएल पार्टी छोड़ दी और 2021 में सीपीएन (एकीकृत समाजवादी) पार्टी का गठन किया।
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