अफगानिस्तान जैसा होगा पाकिस्तान का हाल? कहानी PAK और TTP की दुश्मनी की
दुनिया
• NEW DELHI 31 Dec 2024, (अपडेटेड 31 Dec 2024, 12:15 PM IST)
क्या अफगानिस्तान बनेगा पाकिस्तान? कहानी PAK और TTP की दुश्मनी की

पाकिस्तान और TTP के बीच तनाव बढ़ गया है। (फाइल फोटो-PTI)
अमेरिका की विदेश मंत्री रहीं हिलेरी क्लिंटन ने कहा था, 'जब आप अपने घर के पीछे सांप को पाल रहे हों तो ये उम्मीद मत रखिए कि ये सिर्फ आपके पड़ोसी को काटेंगे। आखिरकार वो सांप आपको भी काट सकते हैं।' हिलेरी क्लिंटन का इशारा पाकिस्तान की ओर था। वही पाकिस्तान जहां दुनियाभर के मोस्ट वांटेड आतंकी खुलेआम सिर उठाकर घूमते नजर आ जाएंगे। अब यही पाकिस्तान आतंकवाद से जूझ रहा है और इसके लिए सिरदर्द बना है- तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी TTP।
पाकिस्तान और TTP के बीच मौजूदा तनाव तब बढ़ गया, जब हाल ही में पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान में TTP के ठिकानों पर हवाई हमला किया था। पाकिस्तानी सेना ने ये एयरस्ट्राइक अफगानिस्तान के पाक्तिका प्रांत में की थी। इस हमले में 46 लोगों के मारे जाने का दावा किया गया था।
इससे पहले TTP ने वजीरिस्तान के मकीन इलाके में पाकिस्तानी सेना के 30 जवानों को मार गिराया था। इसी के जवाब में पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान में एयरस्ट्राइक की थी।
TTP और पाकिस्तान में तनाव!
TTP और पाकिस्तान सरकार के बीच बीते दो साल में तनाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गए हैं। TTP के आतंकी पाकिस्तानी सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे हैं। आए दिन पाकिस्तानी सेना के ठिकानों पर TTP हमला करता है। आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के लिए 2024 सबसे खराब सालों में से एक रहा है।
पाकिस्तानी अखबार Dawn की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल 444 आतंकी हमलों में 685 सुरक्षाबल मारे गए हैं। इस साल आतंकी हमलों में कुल 1,612 मौतें हुई हैं, जिनमें आम नागरिक भी शामिल हैं। 2023 की तुलना में ये 63 फीसदी ज्यादा है।
पाकिस्तानी सुरक्षाबलों को TTP के आतंकी निशाने बनाते हैं। सोमवार को ही TTP के आतंकियों ने खैबर पख्तूनख्वाह के बाजौर जिले के सालारजई इलाके में मौजूद पाकिस्तानी सेना के बेस पर कब्जा कर लिया। इससे पहले रविवार को बॉर्डर पर TTP आतंकियों के साथ झड़प में पाकिस्तान के एक सैनिक की मौत हो गई थी, जबकि 11 घायल हो गए थे।
लेकिन ये TTP क्या है?
अक्टूबर 2001 में जब अमेरिका ने अफगानिस्तान से तालिबान को सत्ता से बेदखल किया था, तो उसके आतंकी भागकर पाकिस्तान आ गए थे। फिर साल 2007 में कई सारे आतंकी गुटों ने मिलकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी TTP बनाया। इसे पाकिस्तान तालिबान भी कहा जाता है। इसका मकसद पाकिस्तान में इस्लामी शासन लागू करना है। 2008 में पाकिस्तानी सरकार ने TTP पर बैन लगा दिया था।
दिसंबर 2007 में बैतुल्लाह महसूद ने TTP का ऐलान किया। 5 अगस्त 2009 को महसूद मारा गया। उसके बाद हकीमउल्लाह महसूद इसका नेता बना। 1 नवंबर 2013 को उसकी भी मौत हो गई। हकीमउल्लाह की मौत के बाद मुल्ला फजलुल्लाह नया नेता बना, जो 22 जून 2018 को अमेरिकी सेना के हमले में मारा गया। अभी नूर वली महसूद TTP का नेता है।
पाकिस्तान तालिबान, अफगानिस्तान के तालिबान से अलग है, लेकिन दोनों का मकसद एक ही है और वो ये कि चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंको और कट्टर इस्लामिक कानून लागू कर दो। अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट बताती है कि TTP का मकसद पाकिस्तानी सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के खिलाफ आंतकी अभियान छेड़ना है और तख्तापलट करना है।
अचानक से एक्टिव हुआ TTP?
अगस्त 2021 में जब अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान आया तो TTP भी एक्टिव हो गया। नवंबर 2021 में TTP ने पाकिस्तान सरकार के साथ सीजफायर किया। TTP की मांग थी कि उसके लड़ाकों को जेल से छोड़ा जाए और कबायली इलाकों से सुरक्षाबलों को हटाया जाए। एक महीने बाद ही समझौता टूट गया। 29 अप्रैल 2022 को TTP ने 11 दिन के लिए सीजफायर का ऐलान किया, क्योंकि उस समय ईद थी। जून 2022 में फिर से सीजफायर कर दिया, लेकिन 28 नवंबर 2022 को TTP ने सीजफायर खत्म करने का ऐलान किया।
TTP ने बयान जारी कर कहा, 'क्योंकि देशभर में मुजाहिदीनों के खिलाफ सैन्य अभियान जारी है, इसलिए आप (TTP लड़ाके) जहां कहीं भी हो सके, वहां हमला करें।' इसके बाद से ही पाकिस्तान में सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े लोगों पर TTP हमले कर रहा है।
क्या अफगानिस्तान जैसा होगा हाल?
90 के दशक में जब सोवियत संघ (अब रूस) अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुला रहा था, तब तालिबान का उभार शुरू हुआ था। उसी समय मुल्ला मोहम्मद उमर ने मदरसों के छात्रों को इकट्ठा किया और तालिबान बनाया। तब शायद किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन अफगानिस्तान की सत्ता पर इसका कब्जा होगा। 1996 से 2001 तक तालिबान ने शासन किया। इसके बाद 2021 में जब अमेरिका ने अफगानिस्तान से वापसी का ऐलान किया तो तालिबान फिर उभरने लगा। आखिरकार 15 अगस्त 2021 को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया और अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गया।
अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान को उम्मीद थी की अफगान तालिबान TTP को कंट्रोल करेगा, पर हुआ इसका उल्टा। जब-जब अफगान तालिबान मजबूत होता है, तब-तब TTP भी मजबूत होता है।
TTP पहले कह चुका है कि उसका मकसद पाकिस्तान को शरिया कानून से चलाना है। उसने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ भी अभियान शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद TTP तेजी से बदला है। कहा जाता है कि पहले TTP में कई सारे गुट थे जो आपस में लड़ते-झगड़ते रहते थे, लेकिन अब सब एक हो गए हैं। अभी अफगान तालिबान खुलकर पाकिस्तान तालिबान के साथ नहीं आ रहा है, लेकिन अगर किसी दिन उससे TTP से हाथ मिला लिया तो हालात बिगड़ सकते हैं।
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