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जिसने यूनुस को सौंपी सत्ता, वही बना विरोधी; आर्मी चीफ वकार-उज-जमां कौन

बांग्लादेश में एक बार फिर राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां और अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के बीच कई मुद्दों पर टकराव सामने आया है।

who is General Waker-Uz-Zaman

बांग्लादेश का सेना प्रमुख वकार-उज-जमान, Photo Credit: X/wikipedia

बांग्लादेश एक बार फिर राजनीतिक संकट की कगार पर खड़ा है। वहां आम चुनाव को लेकर अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमां के बीच टकराव की खबरें सामने आई हैं। कहा जा रहा है कि यूनुस इस्तीफा देने का सोच रहे हैं। हाल की घटनाओं के चलते बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकार-उज़-ज़मान चर्चा में आ गए हैं। तो आखिर वकार-उज-जमां हैं कौन?

 

वकार-उज-जमां हैं कौन?

जनरल वकर-उज-जमां का जन्म 1966 में ढाका, बांग्लादेश में हुआ था। उन्होंने बांग्लादेश सैन्य एकेडमी से सेना की ट्रेनिंग ली और करीब 40 साल तक सेना में सेवा की। उन्होंने बांग्लादेश के नेशनल यूनिवर्सिटी से डिफेंस स्टडीज में मास्टर डिग्री और किंग्स कॉलेज, लंदन से भी डिफेंस स्टडीज में मास्टर्स किया।

 

द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, वह 1985 में सेना की इन्फैंट्री में शामिल हुए और बाद में एक बटालियन के कमांडर बने। उन्होंने कई मिलिट्री ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट जैसे स्कूल ऑफ इन्फैंट्री एंड टैक्टिक्स, नॉन-कमीशन ऑफिसर्स एकेडमी और पीस सपोर्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में इंस्ट्रक्टर के रूप में काम किया। इसके अलावा, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में भी भाग लिया।

 

जनरल जमां ने सेना मुख्यालय में सैन्य सचिव के तौर पर और अपदस्थ  प्रधानमंत्री शेख हसीना के अधीन सशस्त्र बल विभाग में प्रधान कर्मचारी अधिकारी के रूप में काम किया है। इस भूमिका में उन्होंने देश की रक्षा नीति बनाने और अंतरराष्ट्रीय शांति मिशनों में अहम भूमिका निभाई। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सेना को आधुनिक बनाने में उनके योगदान के लिए उन्हें 'आर्मी मेडल ऑफ ग्लोरी (SGP)' और 'असाधारण सेवा पदक (OSP)' जैसे बड़े सम्मान दिए गए।

 

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जून 2024 में बने थे सेना प्रमुख

जनरल वकार उज जमां जून 2024 में बांग्लादेश के सेना प्रमुख बने। उस वक्त देश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ छात्र आंदोलन शुरू हो चुका था। उन्हें 23 जून 2024 को तीन साल की अवधि के लिए इस पद पर नियुक्त किया गया। तब से बांग्लादेश की राजनीति में हलचल बनी हुई है और सभी की नजर जनरल ज़मां की भूमिका पर टिकी हुई है।

 

हसीना सरकार के गिरने के बाद जमां पर सबकी नजरें

पिछले साल अगस्त में जब छात्रों ने सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू किए, तो शेख हसीना की सरकार गिर गई। इसके बाद जनरल वकार उज जमां ने अंतरिम सरकार बनाने की घोषणा की। हसीना की इस्तीफे की पुष्टि करते हुए जमां ने कहा, 'मैं देश की पूरी जिम्मेदारी ले रहा हूं। कृपया सहयोग करें।'

 

सेना की वर्दी में जनरल ज़मान ने सरकारी टीवी पर देशवासियों से कहा था, 'हम एक अंतरिम सरकार बनाएंगे। हमारा देश पहले ही बहुत कुछ झेल चुका है। अर्थव्यवस्था गड़बड़ा चुकी है और कई लोगों की जानें जा चुकी हैं। अब हिंसा रोकना बेहद जरूरी है। मुझे उम्मीद है कि मेरा आज का संदेश देश में स्थिरता लाने में मदद करेगा।' हसीना सरकार के जाने के बाद सेना ने देश में कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी संभाल ली है।

 

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क्या जमां और यूनुस के बीच मतभेद है?

हसीना के देश छोड़कर भारत आने के एक दिन बाद, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को 6 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया। हालांकि, अब, ज़मान और यूनुस के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है। दरअसल, यूनुस सरकार ने म्यांमार के राखाइन राज्य तक एक 'मानवीय कॉरिडोर' बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसका उद्देश्य रोहिंग्या समुदाय तक सहायता पहुंचाना था। जनरल ज़मान ने इस योजना का कड़ा विरोध किया और इसे 'खूनी कॉरिडोर' कहा। उन्होंने इसे बांग्लादेश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा बताया। उनका मानना है कि इस तरह के संवेदनशील निर्णय निर्वाचित सरकार द्वारा ही लिए जाने चाहिए। 

 

बता दें कि जनरल ज़मान ने दिसंबर 2025 तक आम चुनाव कराने की मांग की है, ताकि देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल हो सके। वहीं, यूनुस सरकार ने सुधारों को प्राथमिकता देते हुए चुनाव को 2026 तक टालने का संकेत दिया है, जिससे दोनों के बीच टकराव बढ़ गया है। ऐसे में जनरल ज़मान ने यूनुस सरकार पर सेना के मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि सेना को दरकिनार करके लिए गए निर्णय देश की स्थिरता के लिए खतरनाक हो सकते हैं।

 

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चीन के साथ संबंध?

जनरल जमां जून 2025 के अंत में चीन की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा करने वाले हैं। यह यात्रा चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के निमंत्रण पर हो रही है और इसका उद्देश्य चीन से रक्षा उपकरणों की खरीद को बढ़ावा देना है। बांग्लादेश की सेना के विभिन्न निदेशालय इस यात्रा की योजना बना रहे हैं, जिसमें तोपखाना, सेना विमानन, बख्तरबंद कोर  शामिल हैं। 

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