जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क सिटी डेमोक्रेटिक मेयर प्राइमरी में जीत हासिल की है। पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो ने अपनी हार स्वीकार कर ली है। 33 साल के जोहरान ममदानी विधायक हैं। पिछले साल तक न्यूयॉर्क के लोग उनके बारे में बहुत कम जानते थे। अब वह न्यूयॉर्क के मेयर बनने की रेस में सबसे आगे हैं। ममदानी का भारत से रिश्ता है। मगर वह पीएम मोदी के आलोचक हैं। वामपंथी जोहरान ममदानी को न्यूयॉर्क शहर के डेमोक्रेटिक मेयरल प्राइमरी में 43.5 प्रतिशत और उनके प्रतिद्वंद्वी कुओमो को 36.3 फीसदी वोट मिले हैं।
ममदानी ने 2020 में चार बार के मौजूदा सांसद को विधानसभा में हराया था। वह विधानमंडल के सबसे युवा सदस्यों में से एक थे। अगर वह चुनाव जीतते हैं तो न्यूयॉर्क शहर के पहले मुस्लिम मेयर होंगे। बता दें कि न्यूयॉर्क में 10 लाख मुसलमानों रहते हैं। जोहरान ममदानी भारतीय मूल के हैं। उनके पिता महमूद ममदानी का जन्म भारत में हुआ था। वह युगांडा के शिक्षाविद हैं। भारतीय फिल्म निर्माता मीरा नायर उनकी मां हैं। जब जोहरान ममदानी सात साल के थे, तब उनका परिवार न्यूयॉर्क चला आया था। हालांकि ममदानी का जन्म युगांडा के कंपाला में हुआ है।
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सीरिया की कलाकार से की शादी
जोहरान ममदानी को सात साल पहले यानी 2018 में अमेरिकी की नागरिकता मिली। इसी साल उन्होंने सीरिया की कलाकार रमा दुवाजी से शादी की। जोहरान के पिता महमूद ममदानी मार्क्सवादी विचारक हैं और कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। बोडोइन कॉलेज से अफ्रीकाना अध्ययन में स्नातक की डिग्री हासिल करने वाले जोहरान ने एक परामर्शदाता के तौर पर काम किया। जोहरान ने रैप और लेखन में हाथ अजमाने के बाद साल 2020 में राजनीतिक में कदम रखा।
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न्यूयॉर्क में विधानसभा जाने वाले पहले दक्षिण एशियाई
जोहरान ममदानी अभी न्यूयॉर्क राज्य विधानसभा में विधानसभा जिला 36 के तीन बार के प्रतिनिधि हैं। वह विधानसभा में जाने वाले पहले दक्षिण एशियाई और युगांडा मूल के हैं। वहीं विधानसभा में तीसरे मुस्लिम शख्स हैं। एक बयान में जोहरान ने पीएम मोदी की तुलना इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से की।
इजरायल के मुखर आलोचक
जोहरान ममदानी इजरायल के मुखर आलोचक और फलस्तीन समर्थक हैं। साल 2023 में उन्होंने एक विधयेक पेश किया। इसमें मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन करने वाली इजरायली बस्तियों से जुड़े चैरिटी संस्थानों को टैक्स में मिलने वाली छूट को खत्म करने का प्रस्ताव रखा। हालांकि यह विधेयक पास नहीं हो सका। जोहरान ने न केवल इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को गिरफ्तार करने की मांग की, बल्कि गाजा में इजरायली सेना की कार्रवाई की खुलकर आलोचना की।