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सीरिया में अलावी क्यों मारे जा रहे, बशर अल असद से क्या है कनेक्शन?

सीरिया में बशर अल असद के सत्ता से हटने के बाद अलावी को निशाना बनाया जा रहा है। इसकी जनसंख्या कुल जनसंख्या का 12 फीसदी है। जानें क्या है कारण?

Representational Image । Photo Credit: PTI

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI

बशर अल-असद के जाने के बाद, सीरिया के अलावी समुदाय के लोगों का भविष्य के बारे में कुछ भी कह पाना काफी मुश्किल है। कभी शासन के करीबी रहे अलवाइट, अब विद्रोही गुटों और विस्थापित सुन्नी आबादी के प्रतिशोध का सामना कर रहे हैं। यह वे लोग हैं जिन्होंने असद के शासन में कष्ट झेले हैं। 

 

बदला लेने के लिए किए गए हमलों में पहले ही 1,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें सैकड़ों अलावी भी शामिल हैं, क्योंकि सीरिया में सत्ता का परिवर्तन बहुत तेजी से हुआ। 14 साल पहले सीरिया के संघर्ष की शुरुआत के बाद से यह हिंसा सबसे घातक हिंसा में से एक है।

 

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सैकड़ों की हुई मौत

ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (SOHR) के अनुसार, मरने वालों में 745 नागरिक शामिल हैं - जिनमें से ज़्यादातर को नज़दीक से गोली मारी गई थी। अन्य 125 सरकारी सुरक्षाकर्मी और असद से जुड़े सशस्त्र समूहों से जुड़े 148 आतंकवादी भी मारे गए। लड़ाई के कारण लताकिया के बड़े हिस्से में बिजली और पीने का पानी नहीं है।

 

एसओएचआर ने बताया कि सीरियाई सुरक्षा बलों ने असद के गढ़, लताकिया प्रांत में 'फील्ड एक्जीक्यूशन' में कम से कम 162 अलवाइट लोगों को मौत के घाट उतार दिया, जो इस संप्रदाय से संबंधित है। सीरियाई गृह मंत्रालय ने तटीय इलाके में 'व्यक्तिगत अधिकारों के उल्लंघन' किए जाने की बात स्वीकार की और कार्रवाई करने की कसम खाई।

 

गुरुवार को शुरू हुई झड़पें सीरिया के नए शासकों के लिए एक बड़ी चुनौती हैं, जिन्होंने असद को हटाने के बाद तीन महीने पहले सत्ता संभाली थी। सरकार का दावा है कि वह असद की सेना के बचे हुए हमलों का जवाब दे रही थी और उसने हत्याओं को अलग-अलग घटनाओं के रूप में कम करके आंका।

 

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अलावी कौन हैं?

अलावी सीरिया में धार्मिक अल्पसंख्यक हैं, जो आबादी का लगभग 12 प्रतिशत हैं। शिया इस्लाम से पैदा हुए अलावी के तौर-तरीके अलग थोड़े अलग हैं। ऐतिहासिक रूप से, अलावी सीरिया के तटीय क्षेत्रों, विशेष रूप से लताकिया और टार्टस प्रांतों में केंद्रित रहे हैं।

 

दिसंबर 2024 तक पांच दशकों से अधिक समय तक सीरिया पर शासन करने वाले असद परिवार अलावी संप्रदाय से संबंधित हैं। अपने शासन के दौरान, अलावी सेना और सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर रहे, जिससे यह धारणा बनी कि उन्हें हर जगह तरजीह दी जाती है।

 

क्यों मारा जा रहा उन्हें?

असद के सत्ता से बेदखल होने के बाद, कथित तौर पर नई सरकार के प्रति वफ़ादार सशस्त्र सुन्नी गुटों ने अलावी लोगों के खिलाफ़ बदला लेने के लिए हत्याएं शुरू कर दीं, जिससे सीरिया में सांप्रदायिक विभाजन और गहरा हो गया। इसकी बढ़त ने हयात तहरीर अल-शाम के अधिकार को ख़तरे में डाल दिया, जो कट्टरपंथी सुन्नी गुट है जिसने असद को सत्ता से हटाने में केंद्रीय भूमिका निभाई थी। 

 

दशकों तक, अलावी लोग असद के समर्थन आधार की रीढ़ बने रहे। अब, उन्हें घातक प्रतिशोध का सामना करना पड़ रहा है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अलावी गांवों में काफी गंभीर दृश्य भी देखने को मिले, जहां बंदूकधारियों ने नागरिकों को मार डाला, जिनमें से ज़्यादातर पुरुष थे, या तो सड़कों पर या उनके दरवाज़े पर। घरों को लूटा गया और आग लगा दी गई, जिससे हज़ारों लोग पास के पहाड़ी इलाकों में भागने को मजबूर हो गए।

 

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'बिखरी हुई लाशें'

सबसे ज़्यादा प्रभावित कस्बों में से एक बनियास में कुछ सबसे क्रूर हमले हुए हैं। निवासियों ने सड़कों पर और छतों पर बिखरे शवों देखा। कुछ मामलों में, बंदूकधारियों ने स्थानीय लोगों को घंटों तक अपने पड़ोसियों के शवों को इकट्ठा करने से रोका। 

 

अपने परिवार के साथ भागने वाला 57 वर्षीय अली शेहा ने अपने पड़ोस में हुए नरसंहार के बारे में बताया, जहां कम से कम 20 अलवाइट मारे गए। कुछ को उनकी दुकानों में और अन्य को उनके घरों के अंदर मार दिया गया।

 

शेहा ने पास के शहर से फोन पर बताया, 'यह बहुत बुरा था। लाशें सड़कों पर पड़ी थीं।' शेहा ने कहा कि बंदूकधारी लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चला रहे थे और लोगों को मारने से पहले उनके संप्रदाय की जांच करने के लिए पहचान पत्र मांग रहे थे।

 

दुनिया ने क्या कहा?

फ्रांस ने जारी हिंसा पर 'गहरी चिंता' व्यक्त की है, धार्मिक आधार पर किए गए अत्याचारों की कड़ी निंदा की है। शनिवार को एक बयान में, फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने सीरिया की अंतरिम सरकार से सामूहिक हत्याओं की स्वतंत्र जांच सुनिश्चित करने का आग्रह किया।



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