थाईलैंड और कंबोडिया के बाद अब अफ्रीका के दो देशों के बीच जंग छिड़ती दिख रही है। सैन्य झड़प में अब तक छह जवानों की जान गई है। यह नई जंग की आहट युगांडा और दक्षिण सूडान के बीच दिख रही है। दोनों देशों के बीच वर्षों पुराना सीमा विवाद है। कई बार हिंसक झड़प हो चुकी है। ताजा झड़प के बाद हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ रहा है। दोनों देशों के बीच विवाद की असल वजह सीमा है। ब्रिटिश काल से यह विवाद चला आ रहा है और कई बार पहले भी हिंसक झड़प हो चुकी है। अब दोनों देशों ने एक समिति के माध्यम से विवाद सुलझाने की बात कही है। आइये जानते हैं कि दोनों देशों के बीच ताजा विवाद कैसे शुरू हुआ, कहां झड़प हुई और दोनों के रिश्ते कैसे हैं?
युगांडा और दक्षिण सूडान के बीच झड़प में कुल चार सैनिकों की जान गई है। मृतकों में पांच सैनिक दक्षिण सूडान और एक युगांडा का है। दक्षिण सूडान की सेना के मुताबिक दोनों देशों के बीच झड़प मध्य इक्वेटोरिया प्रदेश के काजो केजी काउंटी में हुई। दक्षिण सूडान का आरोप है कि युगांडा की सेना ने अचानक उस पर हमला किया है।
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दक्षिण सूडान का क्या आरोप?
काजो-केजी काउंटी के सेना कमांडर ब्रिगेडियर जनरल हेनरी बुरी का आरोप है कि युगांडा की सेना न केवल टैंक और तोपों, बल्कि भारी हथियारों से भी लैस थी। उसने जनता की सुरक्षा में तैनात एक संयुक्त सुरक्षा बल की इकाई पर हमला किया। हमले में जान गंवाने वालों में दो दक्षिण सूडानी सैनिकों, दो पुलिस अधिकारियों और एक जेल अधिकारी शामिल है। हिंसक झड़प के बाद इलाके में अफरा-तफरी का माहौल है। हजारों की संख्या में लोग अपने घरों को छोड़कर जा रहे हैं।
मौजूदा संघर्ष की वजह क्या?
युगांडा और दक्षिण सूडान के बीच संघर्ष की शुरुआत सोमवार यानी 28 जुलाई की शाम लगभग साढ़े चार बजे हुआ। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ कि पहले किस देश ने हमला किया है। मगर दोनों पक्षों ने अपने-अपने इलाके में नुकसान की बात मानी है। युंगाडा का आरोप है कि दक्षिण सूडान के सैनिक पश्चिम नील प्रदेश की सीमा में घुसे और अपना कैंप बना लिया। युगांडा के सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल फेलिक्स कुलायिगे का कहना है कि हमने दक्षिण सूडान के सैनिकों को तुरंत इलाका खाली करने को कहा। मगर उन्होंने जाने से इनकार कर दिया है। इसके बाद युगांडा को बल का इस्तेमाल करना पड़ा। दोनों ही देश इस क्षेत्र पर अपना-अपना दावा ठोंकते हैं।
सैन्य संघर्ष से क्यों हैरान दुनिया?
दक्षिण सूडान गृह युद्ध की चपेट में है। राष्ट्रपति साल्वा कीर की सरकार मतभेदों से घिरी है। इस वजह से देशभर में दक्षिण सूडान की सेना और सशस्त्र विद्रोही समूहों के बीच लड़ाई चल रही है। युगांडा की सरकार दक्षिण सूडान में साल्वा कीर की सरकार को बचाने में जुटी है, वहां अपने सैनिकों को तैनात कर रखा है। मगर इतने गहरे सैन्य सहयोग के बावजूद दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष से हर कोई हैरान है।
युगांडा ने बचाई कीर की सत्ता
2011 में आजादी मिलने के दो साल बाद यानी 2013 से दक्षिण सूडान में गृह युद्ध शुरू है। युंगाडा के राष्ट्रपति मुसेवेनी ने दक्षिण सूडान के राष्ट्रपति साल्वा कीर के समर्थन में अपनी सेना भेजी, ताकि उनकी सत्ता कायम रहे। इतना ही नहीं युगांडा ने दक्षिण सूडान की आजादी का भी समर्थन किया। जब साल्वा कीर के उप-राष्ट्रपति रीक माचर ने उनके खिलाफ विद्रोह किया और तख्तापलट की साजिश रची तो सबसे पहले युंगाडा ने उनके समर्थन में अपनी विशेष सैन्य दल को भेजा था।
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दोनों के बीच कब-कब हुई झड़प?
दक्षिण सूडान पहले सूडान का हिस्सा था। 2011 में सूडान से उसे आजादी मिली। मगर साथ में युंगाडा के साथ वर्षों पुराना सीमा विवाद भी हाथ लगा। ब्रिटिश शासन के वक्त युंगाडा और सूडान के बीच सीमांकन प्रारंभ हुआ, लेकिन दोनों देशों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई। दोनों देश कई बार सीमा विवाद पर भिड़ चुके हैं। मगर तोपखाने के साथ हिंसक झड़प शायद पहली बार देखने को मिल रही है।
- 2010 में युंगाडा की सरकार ने सूडान की सेना पर अपने पश्चिमी नील जिले के डेंगोलो गांव में हमला करने का आरोप लगाया था। सूडान ने लड़की काटने आए युगांडा के कुछ नागरिकों को भी पकड़ लिया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच झड़प शुरू हुई थी।
- 2020 में भी दोनों देशों के बीच झड़प हो चुकी है। दक्षिण सूडान के मागवी काउंटी के पोगी में में दोनों देशों की सेना ने एक-दूसरे पर हमला कर दिया था। इसमें युगांडा और दक्षिण सूडान के दो-दो सैनिकों की जान गई थी।