पत्रकारों और न्यूज चैनलों पर क्यों हमला करता है इजरायल?
दुनिया
• TEL AVIV 17 Jun 2025, (अपडेटेड 17 Jun 2025, 10:27 PM IST)
पत्रकारों पर हमला और उनकी हत्या करना, जांच को लटकाना और दोषियों को बचाने में इजरायल का इतिहास काफी पुराना है। ईरानी चैनल पर हमले के बाद इजरायल का यह पैटर्न चर्चा में है।

ईरान के सरकारी टीवी पर इजरायल का हमला। ( Photo Credit: Social Media)
इजरायल ने सोमवार को ईरान के सरकारी टीवी चैनल पर बड़ा हमला किया। इसका वीडियो पूरी दुनिया में वायरल हुआ। लाइव प्रसारण के दौरान इजरायली वायुसेना की बमबारी के बीच एंकर को स्टूडियो से भागते देखा गया। बाद में एक अन्य वीडियो भी सामने आया। इसमें टीवी चैनल की इमारत जलते दिख रही है। यह कोई पहली बार नहीं जब इजरायल ने टीवी चैनल या पत्रकारों पर हमला किया है।
पत्रकारों और मीडिया पर हमला करने का उसका इतिहास पुराना है। खास बात यह है कि इजरायल पत्रकारों की हत्या की जांच भी गंभीरता से नहीं करता है। इजरायल पत्रकारों को क्यों निशाना बनाता है, अब तक कितने मीडियाकर्मी की जान ले चुका है। जांच में उसका ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है, आइए जानते हैं इन सब सवालों का जवाब। मगर उससे पहले ईरान ईरान के उस टीवी चैनल की बात, जिसे हाल ही में इजरायल ने अपना निशाना बनाया।
ईरान में विदेशी चैनल बैन हैं। जनता सरकारी न्यूज चैनलों के भरोसे होती है। इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ब्रॉडकास्टिंग (आईआरआईबी) ईरान का सबसे लोकप्रिय चैनल है। तेहरान के डिस्ट्रिक्ट तीन में आईआरआईबी का मुख्यालय है। पेमन जेबेली आईआरआईबी के प्रमुख हैं। इनका चयन ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई करते हैं। हमले के वक्त खबर पढ़ने वाली महिला ईरान की प्रसिद्ध एंकर सहर इमामी हैं। ईरानी न्यूज चैनल आईआरआईबी के मुख्यालय की पहचान कांच की इमारत के तौर पर होती है। चैनल पहली मंजिल पर हैं। चार मंजिला इस इमारत के हर फ्लोर में 200 से 300 लोग काम करते हैं।
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फोटो में दिख रहा शख्स ईरानी पत्रकार यूनुस शादलू हैं। उन्होंने बताया कि इजरायली हमले के वक्त हमारे कई साथी इमारत के अंदर थे। मुझे नहीं पता कि मेरे कितने साथी अंदर फंसे हैं। हमें इमारत खाली करने की चेतावनी दी गई थी। मगर सभी लोग जायोनी शासन का असली चेहरा दुनिया को दिखाने की खातिर आखिरी पलों तक रुके थे।
124 पत्रकारों की हत्या, 70 फीसदी को इजरायल ने मारा
सीपीजे की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल यानी 2024 में 124 पत्रकार और मीडियाकर्मी की हत्या हुई। इसमें से 70 फीसदी हत्याओं को इजरायल ने अंजाम दिया। सबसे अधिक पत्रकार फलस्तीन में मारे गए। गाजा में 2024 में 85 और 2023 में 78 पत्रकारों को इजरायली ने मारा। 2024 से पहले पत्रकारों की सबसे अधिक हत्याएं 2007 में हुई थीं। उस वक्त 113 पत्रकारों को मारा गया था। सीपीजे की जांच में सामने आया कि इजरायल जानबूझकर पत्रकारों को निशाना बनाता है। दुनियाभर में ड्रोन से पत्रकारों की हत्या का चलन बढ़ा है। इजरायल पत्रकारों पर सबसे अधिक ड्रोन हमले करता है।
फ्रीलांसरों पर सबसे बड़ा संकट
दुनियाभर में मारे गए पत्रकारों में एक तिहाई यानी 43 फ्रीलांसर थे। अकेले गाजा में ही 31 फ्रीलांसरों की हत्या की गई। इजरायली हवाई हमलों में अपने न्यूज आउटलेट नष्ट होने के बाद गाजा के पत्रकारों ने फ्रीलांसर के तौर पर विदेशी मीडिया ज्वाइन की। इसके बाद इजरायल ने इन्हें भी निशाना बनाना शुरू किया। फ्रीलांसर सबसे कम संसाधनों के साथ काम करते हैं। नियमित कर्मचारी जैसे उनके पास स्वास्थ्य बीमा आदि की सुविधा भी नहीं होती है।
पत्रकारों पर क्यों हमला करता है इजरायल?
इजरायल अल जजीरा समेत कई मीडिया चैनलों को प्रचार के साधन के तौर पर देखता है। उसका मानना है कि ये चैनल सिर्फ प्रचार तंत्र का हिस्सा हैं, उनका पत्रकारिता से कोई वास्ता नहीं है। वह पत्रकारों पर आतंकी होने, आतंकी संगठन से मिले होने और जासूसी तक के आरोप लगाता रहा है। इन्हीं बहानों से अब तक सैकड़ों पत्रकारों को अपना निशाना बना चुका है।
इजरायल ने पत्रकार अल घोउल की हत्या के बाद उन पर हमास के कार्यकर्ता होने का आरोप लगाया था। सोमवार को ईरानी टीवी चैनल पर हमले से पहले इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने कहा, 'ईरानी दुष्प्रचार और उकसावे वाला मुखपत्र गायब होने वाला है।' इजरायल की सेना ने भी एक बयान में कहा कि उसने तेहरान में ईरान के सरकारी प्रसारक की इमारत पर बमबारी की है। इजरायल ने आरोप लगाया कि इस केंद्र का इस्तेमाल ईरान की सेना नागरिक कवर के तहत सैन्य अभियानों में कर रही थी।
2024 में गाजा में हुई प्रमुख पत्रकारों की हत्या
- पिछले साल 7 जनवरी को अल जजीरा के 27 वर्षीय कैमरा ऑपरेटर अल दहदौह को इजरायल ने ड्रोन हमले में मारा।
- जुलाई महीने में 27 वर्षीय फिलिस्तीनी पत्रकार इस्माइल अल घोउल और उनके सहयोगी रामी अल रेफी की हत्या ड्रोन हमले में की।
- नवंबर महीने में पत्रकार अहमद अबू स्कील और उनकी बहन जहरा अबू स्कील व तीन पत्रकार चचेरे भाइयों को बम धमाके में मारा।
- दक्षिणी लेबनान में इजरायल ने पत्रकार विसम कासेम , घासन नज्जर और मीडियाकर्मी मोहम्मद रेडा की हत्या को अंजाम दिया।
- 6 अक्टूबर को स्वतंत्र फोटोग्राफर अलहसन हमद (18) को इजरायल ने ड्रोन हमले में मारा। हमद 2024 में जान गंवाने वाले सबसे युवा पत्रकार थे।
- 26 दिसंबर को इजरायल ने पत्रकार फदी हसौना, मोहम्मद अल-लदा, फैसल अबू अल कुमसन, अयमान अल गेदी और इब्राहिम शेख अली को मारा।
इजरायल अपनाता है जांच को लटकाने वाली रणनीति
जांच में सामने आया है कि पत्रकारों की हत्या को अंजाम देने वाले देश सबूतों को मिटाते हैं। जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करते हैं। जांच प्रक्रिया धीमी करते हैं। कई मौकों पर पत्रकार पर ही दोष माढ़ना शुरू कर देते हैं। इजरायल पर आरोप हैं कि वह पत्रकारों की हत्या के मामले में जांच पारदर्शी तरीके से नहीं करता है। बिना किसी मजबूत सबूत के पत्रकारों को ही आतंकी बताने लगता है।

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जब अल जजीरा के दफ्तर में घुसी इजरायली सेना
ईरानी चैनल पर हमले से पहले इजरायल गाजा, वेस्ट बैंक और लेबनान में समाचार चैनलों को निशाना बना चुका है। पिछले साल अक्टूबर में इजरायल ने दक्षिण बेरूत में स्थित हिजबुल्लाह से जुड़े अल-मनार टीवी स्टूडियो पर हमला किया था। 2021 के मई महीने में गाजा में इजरायल ने 11 मंजिला अल-जला इमारत को तबाह किया था। इसी इमारत में अल जजीरा और एसोसिएटेड प्रेस का ऑफिस था। 2024 के सितंबर महीने वेस्ट बैंक के रामल्लाह शहर में स्थित अल जजीरा टीवी के ब्यूरो में इजरायली सेना घुसी थी। उसने 45 दिनों में प्रसारण बंद करने का आदेश दिया था।
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