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गाजा पर कब्जा क्यों चाहता इजरायल, इसमें नफा-नुकसान क्या?

इजरायल की सेना ने गाजा शहर पर कब्जे के तहत हमला शुरू कर दिया है। मगर गाजा पर कब्जा कई समस्याओं को जन्म दे सकता है। यह बात इजरायल को भी पता है। जानतें इसमें नफा-नुकसान क्या है?

Israel-Hamas War.

गाजा पर इजरायल क्यों चाहता है कब्जा। ( AI Generated Image)

इजरायल ने गाजा शहर पर कब्जे की योजना को मंजूरी दी है। इसके बाद इजरायली सैनिकों ने गाजा पर हमला भी शुरू कर दिया है। 60 हजार रिजर्व सैनिकों को भी बुला लिया गया है। गाजा पर कब्जे की योजना इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तैयार की है। इसी महीने इजरायल के सुरक्षा मंत्रिमंडल ने इस पर अपनी मुहर लगाई। गाजा शहर के बाहरी इलाके में इजरायली सेना का कब्जा हो चुका है। अब सवाल यह उठ रहा है कि इजरायल गाजा शहर पर कब्जा क्यों चाहता है, अगर इजरायल का गाजा पर कब्जा हो गया तो इससे क्या नफा और नुकसान होगा? आइये जानते हैं। 

 

गाजा पर इजरायली कब्जे का कोड नाम 'गिदोन चैरियट्स II' रखा गया है। इसका लक्ष्य शहर पर हमला करना और कब्जा करना है। यह अभियान मई में शुरू किए गए गिदोन चैरियट्स का ही विस्तार है। गाजा के लगभग 75 फीसदी हिस्से पर इजरायल का पहले से ही कब्जा है। नए अभियान के तहत 10 लाख फिलिस्तीनियों को गाजा पट्टी के उत्तरी भाग से दक्षिण में विस्थापित करना है।

 

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गाजा पर कब्जा क्यों चाहता है इजरायल?

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कैबिनेट बैठक में कहा था कि इजरायल पूरे गाजा पर कब्जा करे। मगर नए प्लान में सिर्फ गाजा शहर का जिक्र है। हालांकि इजरायली सेना के चीफ ऑफ स्टाफ ने पूरे गाजा पर पूरे कब्जे पर अपनी कड़ी आपत्ति जताई। माना जा रहा है कि गाजा शहर पर कब्जे के बाद इजरायल अन्य क्षेत्रों पर आक्रामण शुरू करेगा।

 

इजरायल के गाजा पर सैन्य हमले को हमास पर दबाव बनाने की नई रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। कुछ समय पहले बेंजामिन नेतन्याहू ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में बताया था कि इजरायल गाजा को अपने पास नहीं रखना चाहता है। हम एक सुरक्षा घेरा चाहते हैं, गाजा पर शासन नहीं।

गाजा पर कब्जे का लक्ष्य क्या?

  • हमास के हथियार शक्ति को छीनना   
  • जीवित या मृतक सभी बंधकों को वापस लाना
  • गाजा पट्टी को असैन्यीकरण करना
  • गाजा पट्टी पर इजरायली सुरक्षा नियंत्रण
  • हमास और फिलिस्तीन की जगह गाजा में एक वैकल्पिक प्रशासन की स्थापना करना। 

गाजा पर कब्जे से इजरायल को क्या नफा हो सकता?

इजरायल की सुरक्षा: गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा है। हमास यहां से ही इजरायल पर हमले को अंजाम देता है। इजरायल को लगता है कि अगर गाजा पट्टी पर कब्जा हो गया तो हमास से होने वाला संभावित खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा।   

 

इजरायल की बढ़ेगी ताकत: लेबनान में हिजबुल्लाह को काफी हद तक इजरायल तबाह कर चुका है। ईरान पर भी हमले करके उसे भी बड़ी चोट पहुंचाई है। सीरिया में पहले बशर अल असद की सरकार थी। इजरायल की असद सरकार से इतनी नहीं बनती थी, क्योंकि यह सरकार ईरान समर्थक थी। अब सीरिया में भी नई सरकार आ चुकी है। इस लिहाज से इजरायल के सामने सबसे बड़ी चुनौती पश्चिमी मोर्चे यानी गाजा पट्टी पर ही है। अगर इजरायल गाजा पर कब्जा करता है तो मध्य पूर्व में उसकी पकड़ मजबूत होगी और ईरान हमास समर्थक देशों का प्रमुख सीमित होगा।

 

अमेरिका हो सकता निश्चिंत: अगर गाजा पट्टी से हमास को खत्म करने पर नेतन्याहू कामयाबी होते हैं और वहां अपना प्रशासनिक ढांचा खड़ा करते हैं तो इजरायल के सहयोगी देश जैसे अमेरिका को इजरायल की अधिक चिंता नहीं करनी पड़ेगी। उसके लगेगा कि इजरायल अब सुरक्षित और मजबूत है।

 

तबाह होगी आतंक की सप्लाई चेन: हमास के पूरी तरह से तबाह होने के बाद ही गाजा पर इजरायल का कब्जा होगा। अगर हमास खत्म होता है तो उसके साथ-साथ आतंकी नेटवर्क की पूरी सप्लाई लाइन भी तबाह होगी। यह सप्लाई लाइन लेबनान से सीरिया और ईरान तक फैली है।

 

समुद्री व्यापार सुरक्षित होने की संभावना: हमास को ईरान के अलावा यमन के हूती विद्रोहियों का समर्थन प्राप्त है। गाजा पर इजरायली कब्जे के बाद माना जाता है कि समुद्री व्यापार अधिक सुरक्षित होगा, क्योंकि हूती विद्रोही गाजा पर हमले के विरोध में ही समुद्री जहाजों पर हमला करते हैं। हमास के खत्म होने और गाजा पर इजरायली नियंत्रण के बाद इन हमलों में कमी आ सकती है। भूमध्यसागर और लाल सागर में शिपिंग मार्ग पहले से अधिक सुरक्षित होंगे। 

गाजा पर कब्जे से नुकसान क्या?

अलग-थलग पड़ सकता इजरायल: कई विश्लेषकों का मानना है कि गाजा पर नियंत्रण से इजरायल को कुछ समय तक फायदा तो हो सकता है, लेकिन लंबे समय में उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। यूके और फिनलैंड जैसे कई देशों ने इजरायली हमले की निंदा की है। अगर इजरायल ने अपने हमले नहीं रोके तो संभावना यह है कि वह पश्चिम देशों में अलग-थलग पड़ सकता है। ब्रिटेन और फ्रांस समेत कई देशों ने सितंबर में फिलिस्तीन को मान्यता देने की बात कही है। 

 

मानव संकट का खतरा: गाजा की आबादी लगभग 20 लाख है। अभी तक 60 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। लाखों लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा है। अगर इजरायल गाजा शहर पर अपने कब्जे की नीति को नहीं छोड़ता है तो विकराल मानवाधिकार संकट खड़ा हो सकता है। पूरे गाजा पट्टी में हिंसा और भूखमरी की नई लहर पैदा होने का खतरा है। 

 

आतंक का हो सकता उभार: इजरायल की सोच है कि गाजा पर कब्जे के बाद आतंकवाद की समस्या खत्म हो जाएगी। मगर कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इससे वैश्विक आतंक की घटनाएं पैदा होंगी और अधिक कट्टरता की लहर उपज सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह इजरायल के सामने बड़ी सुरक्षा चुनौती होगी।

 

अरब देशों में बढ़ सकता विरोध: इजरायल के इस कदम से अरब और इस्लामिक देशों में विरोध बढ़ेगा। कुछ देशों में इजरायल अलग-थलग पड़ सकता है। अरब देशों और इजरायल के बीच टकराव भी पैदा हो सकता है। अगर मध्य पूर्व में अस्थिरता पैदा हुई तो इसका असर वैश्विक ईंधन बाजार पर पड़ेगा। गैस और तेल की आपूर्ति बाधित होने पर दुनियाभर में महंगाई बढ़ सकती है।

 

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संयुक्त राष्ट्र ने क्या चेतावनी दी?

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने गाजा पर इजरायल के नियोजित सैन्य हमले को तुरंत रोकने की अपील की। संगठन का कहना है कि इजरायल के इस कदम से बड़े पैमाने पर जबरन विस्थापन होगा। इसके अलावा अधिक लोगों की मौत, असहनीय पीड़ा और मूर्खतापूर्ण विनाश होगा। संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस का कहना है कि इजरायल हमले से गाजा पट्टी में तबाही आ सकती है। बता दें कि इजरायली घेराबंदी के कारण गाजा में भीषण खाद्यान संकट है। बड़े पैमाने पर लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं। 

 

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